मुजफ्फरपुर: सूतापट्टी स्थित श्री सालासर हनुमान मंदिर में आयोजित संगीतमय नवाह पारायण पाठ के छठे दिन गुरुवार को भरत प्रेम की कथा हुई. चित्रकूट से आये संत रामावतार दास त्यागी ने लोगों को यह मार्मिक कथा सुना कर मंत्र मुग्ध कर दिया. उन्होंने कहा कि आज भरत जैसा भाई संसार में कोई नहीं है.
भगवान राम चित्रकूट पहुंचे हैं. इधर, अयोध्या में भरत उन्हें वापस लाने का निर्णय कर चित्रकूट जाते हैं. वहां पहुंचे भरत को देख श्रीराम भाव-विभोर हो उन्हें गले से लगा लेते हैं. रामजी को यह समाचार मिलता है कि पिता जी का निधन हो गया, तो वे द्रवित हो उठते हैं. दोनों भाइयों के पद चिह्न् आज भी वहां देखे जा सकते हैं. संत जी ने कहा कि भरत मिलाप के दौरान राम से अयोध्या लौटने की विनती करते हैं. जनक जी भी वहां पहुंच जाते हैं. भरत की लाख विनती के बावजूद राम नहीं लौटते हैं. तब भरत कहते हैं कि आखिर वे किस क्षमता से राज्य को चलायें? तब श्री राम अपना खड़ाऊं उन्हें दे देते हैं. इस पर भरत कहते हैं कि भइया, हमने तो इस निर्णय के साथ आया था कि आपका वन में ही राज्याभिषेक करेंगे. इसके लिए सामग्रियां भी साथ लाये हैं, उनका क्या करें. तब वहां एक कुआं खोदा गया और उसी में वे सारी सामग्रियां डाल दी गयी जिसे आज भी भरत कूप कहा जाता है.
भरत जी खड़ाऊं को सिर पर रख कर अयोध्या वापस आते हैं और राजगद्दी पर उसे रख कर पूजा करते हैं. फिर यह सोच कि भइया जब वनवासी के वेश में हैं तो मैं राजा के वेश में नहीं रह सकता. फिर वे नंदीग्राम चले जाते हैं. वहां जमीन में खड्ढ़ा खोदवा कर 14 वर्ष तक वहीं पर वास करते हैं. राम कथा के दौरान संयोजक दीपक पोद्दार, अंबिका ढंढ़ारिया, नवल किशोर सुरेका, रमेश टिकमानी, वार्ड पार्षद केपी पप्पू, पुरुषोत्तम पोद्दार आदि अहम भूमिका निभा रहे हैं.