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जिला परिषद में 60 लाख का घोटाला

मुजफ्फरपुर: जिला परिषद में साठ लाख के घोटाले का मामला सामने आया है. इसमें कैशियर उपेंद्र मिश्र ने सरकारी रुपया अपने खाते में ट्रांसफर कर लिया और उसे अपने काम में खर्च किया. इसका खुलासा होने से जिला परिषद में हड़कंप है. कैशियर कह रहा है कि मैंने रुपयों का इंतजाम कर लिया है. अब […]

मुजफ्फरपुर: जिला परिषद में साठ लाख के घोटाले का मामला सामने आया है. इसमें कैशियर उपेंद्र मिश्र ने सरकारी रुपया अपने खाते में ट्रांसफर कर लिया और उसे अपने काम में खर्च किया. इसका खुलासा होने से जिला परिषद में हड़कंप है. कैशियर कह रहा है कि मैंने रुपयों का इंतजाम कर लिया है.

अब सरकारी खाते में फिर से पैसा जमा करवा दूंगा. कैशियर उपेंद्र मिश्र ने अपने खाते (1159010100029953) में सरकारी रुपया जमा कराने के लिए अगल खेल खेला. उसने बीआरजीएफ व 12वें वित्त आयोग के रुपयों का गोलमाल किया. ये रुपये पंचायतों में नाली व सड़क बनवाने के मद में आये थे. इस दौरान उपेंद्र कुछ ऐसे चेक पर डीडीसी से हस्ताक्षर करवा लेता था, जिन पर पंचायतों का नाम व एकाउंट नंबर नहीं होता था. इसके बाद उसमें अपना एकाउंट नंबर भर कर बैंक में जमा कर देता था. पैसा उसके खाते ट्रांसफर हो जाता था.

2007 से 2009 के बीच ये काम उपेंद्र मिश्र ने किया. इस दौरान में 28 बार में 1.76 लाख अपने एकाउंट में जमा किया. ये रकम छोटी थी, लेकिन इसके बाद उसका मन बढ़ गया और उसने एकमुश्त 8.78 का चेक अपने खाते में जमा कर लिया. वो भी पैसा एकाउंट में आ गया, तो इसके बाद उसने धीरे-धीरे साठ लाख रुपये का घोटाला कर डाला. सरकारी पैसा जमा करने के बाद उन्हें अपने काम में खर्च करने के लिए उपेंद्र निकासी भी करता रहा.

उपेंद्र ने कार्यालय के सहयोगी जीवन मंडल व दिनेश प्रसाद सिंह के नाम से चेक काटा. इन दोनों के नाम पर पैसा निकला. रामजीवन मंडल ने एक दर्जन से ज्यादा बार कैशियर के एकाउंट से पैसा निकाला. ये राशि हजार से लेकर लाखों तक में होती थी. ये काम लगातार चलता रहा, लेकिन उस समय के डीडीसी समेत जिला परिषद में काम करनेवाले किसी व्यक्ति को इसकी भनक तक नहीं लगी.

जिला परिषद में पिछले सात साल से ऑडिट नहीं हुआ था. पिछले माह जब ऑडिट शुरू हुआ, तो ये मामला सामने आया. इसके बाद उपेंद्र मिश्र का कारनामा सामने आया, जिस तरह से उपेंद्र की ओर से रामजीवन मंडल के नाम पर चेक काटे गये और उसने रुपयों की निकासी की. उससे रामजीवन मंडल भी इस मामले में कहीं न कहीं शामिल लगता है. मामला उजागर होने के बाद जिला परिषद के कर्मचारियों में हड़कंप है. कर्मचारियों का कहना है, उन्हें पहले से इस बात की आशंका थी, लेकिन पता नहीं चल रहा था. वहीं, अधिकारी संबंधित कैशियर के खिलाफ जांच कर कार्रवाई की बात कह रहे हैं.

गंभीर मामला है. सरकारी राशि की इस तरह निजी खाता में जमा किया जाना आश्चर्यजनक है, पूरे मामले को बारीकी से खंगाला जायेगा. दोषी पर कड़ी कार्रवाई होगी.
कंवल तनुज, डीडीसी, मुजफ्फरपुर

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