मुजफ्फरपुर: संपर्क यात्रा सह कार्यकर्ता सम्मेलन की सफलता से खुश जिला जदयू टीम की नजर अब नये टीम लीडर पर है. हालांकि, राजनैतिक सम्मेलन के एक दिन पहले जिलाध्यक्ष के पाला बदलने के बाद से ही इस पर मंथन शुरू हो गया था.
अगले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर जिम्मेदारी किसे दिया जाये, इसे लेकर पूर्व सीएम नीतीश कुमार व प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह के समक्ष सर्किट हाउस में औपचारिक चर्चा भी हुई. जिला से कई पदाधिकारी का फीड बैक भी लिया गया, लेकिन निर्णय को आगे के लिए टाल दिया गया.
बताया जा रहा है कि प्रदेश अध्यक्ष के संपर्क यात्र से लौटने के बाद ही नये जिलाध्यक्ष के नाम पर मुहर लगेगी. मामला चाहे जो भी, लेकिन इतना तय माना जा रहा है कि इस बार काफी गंभीरता से निर्णय होगा. नया जिलाध्यक्ष सर्वमान्य हो, इसके लिए प्रखंड अध्यक्षों की पंसद को भी तरजीह दी जायेगी.
चर्चा यह भी है कि प्रखंड अध्यक्षों का एक शिष्ट मंडल प्रदेश अध्यक्ष से मिल कर नये जिला ध्यक्ष के संबंध में अपनी बात रखेंगे.
इधर, जिला के नेता व कार्यकर्ताओं की बात करें तो फिलहाल वे इस मसले पर खुल कर कोई बोलने को तैयार नहीं है. जिला के वरिष्ठ कार्यकर्ता व नेताओं का कहना है कि आलाकमान का निर्णय ही सवरेपरि होगा. लेकिन पार्टी सूत्रों की मानें तो अंदर ही अंदर खिचड़ी पक रही है.
आधा दर्जन से अधिक नेता जिलाध्यक्ष पद के दावेदारी के मूड में है. बहरहाल स्थिति एक अनार सौ बीमार जैसी है. अब देखना यह होगा कि पलड़ा किस का भारी पड़ता है. दल के नेता दावेदारों को अलग – अलग खेमे में बांट कर भी देख रहे है. जिले के दो मंत्री व एक एमएलसी का आशीर्वाद भी जिलाध्यक्ष के ताज के लिए काफी महत्व रखता है. जिलाध्यक्ष के लिए जातीय समीकरण भी यहां काफी महत्वपूर्ण है. अभी तक जो तसवीर सामने आ रही है. उसमें एक बार फिर अगड़ी जाति के ही किसी नेता का जिलाध्यक्ष बनाया जा सकता है.