मुजफ्फरपुर: रेडक्रॉस भवन में शुक्रवार को भारत मुक्ति मोरचा व राष्ट्रीय मूल निवासी संघ के तत्वावधान में आयोजित कार्यकर्ता सम्मेलन बहुजन समाज की मूलभूत समस्याओं पर गंभीर चिंतन किया गया. सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए मोरचा के बिहार प्रभारी एसएफ तोरणो ने कहा कि बिहार की अति पिछड़ी जातियों को केंद्रीय मान्यता नहीं है.
यहां तक कि जाति आधारित जनगणना भी नहीं करायी जाती है. शिक्षा का निजीकरण व व्यवसायीकरण मूल निवासी समाज को शिक्षा से वंचित करने का षड्यंत्र है. उन्होंने कहा कि देश के मूल निवासियों की हजारों समस्याएं है. परंतु इनकी समस्या राष्ट्रीय समस्या नहीं बन पाती है.
इसके लिए मूल निवासी समाज को जन आंदोलन करना होगा, तभी हमारी समस्या राष्ट्रीय बन पायेगा. बाद में संघ व मोरचा की उप शाखा व जिला स्तरीय समन्वय समिति की घोषणा की गयी. इसमें संघ के संयोजक विनोद कुमार शर्मा, गोनौर पासवान, महिला संघ संयोजक चांदनी देवी, अतिपिछड़ा संघ के संयोजक नरेश कुमार सहनी, मोरचा के संयोजक डॉ मृत्युंजय कुमार राणा सहित 28 सदस्यीय समन्वय समिति के पदाधिकारी मनोनीत किये गये.