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वकील की फीस में फंसे पूर्व वीसी

मुजफ्फरपुर: बीआरए बिहार विवि के तत्कालीन कुलपति व कुलसचिव ने नियम-कानून को ताक पर रख परीक्षा विभाग के राशि को खर्च किया है. वीसी डॉ विमल कुमार व कुलसचिव डॉ एपी मिश्र ने राज्य सरकार व राजभवन की अनुमति बिना ही परीक्षा विभाग के एकाउंट से 13 लाख रुपया सुप्रीम कोर्ट के एक वकील के […]

मुजफ्फरपुर: बीआरए बिहार विवि के तत्कालीन कुलपति व कुलसचिव ने नियम-कानून को ताक पर रख परीक्षा विभाग के राशि को खर्च किया है. वीसी डॉ विमल कुमार व कुलसचिव डॉ एपी मिश्र ने राज्य सरकार व राजभवन की अनुमति बिना ही परीक्षा विभाग के एकाउंट से 13 लाख रुपया सुप्रीम कोर्ट के एक वकील के नाम ट्रांसफर कर दिया है. इसके अलावा इन दोनों अधिकारियों ने हवाई जहाज से दिल्ली आने-जाने और वहां रहने में गलत तरीके से विवि की राशि को खर्च किया है. इसका खुलासा निगरानी अन्वेषण ब्यूरो पटना ने अपनी जांच रिपोर्ट में किया है.

रिपोर्ट सामने आने के बाद तत्कालीन वीसी व कुलसचिव के अलावा इसके जद में एफओ व एफए भी आ गये हैं. हालांकि, इन दोनों अधिकारियों के खिलाफ निगरानी ने अपनी जांच रिपोर्ट में कोई कड़ी टिप्पणी नहीं की है.

निगरानी अन्वेषण ब्यूरो पटना के एसपी डॉ परवेज अख्तर ने विशेष निगरानी कोर्ट को सौंपी रिपोर्ट में कहा, वीसी ने सुप्रीम कोर्ट में विवि का सरकारी वकील व कानूनी सलाहकार नियुक्त रहने के बाद भी गलत तरीके से दूसरे वकील को नियुक्त कर दिया. इसके बाद उनके नाम अपनी नियुक्ति व हाइकोर्ट द्वारा जब्त वित्तीय शक्ति को प्राप्त करने के लिए अलग-अलग चेक से 13 लाख रुपया का भुगतान किया है, जबकि, यह कुलपति का निजी मामला था.

कुलपति ने कुलाधिपति के आदेश के प्रत्याशा में वकीलों के नाम 13 लाख का चेक काटा, जबकि, बाद में कुलाधिपति का कोई आदेश राशि ट्रांसफर करने से संबंधित संचिका पर प्राप्त नहीं है. एसपी ने अपनी रिपोर्ट में महालेखाकार बिहार से ऑडिट कराने और गलत तरीके से खर्च 13 लाख रुपया को इन दोनों अधिकारियों से रिकवरी करने की सिफारिश की है.

जांच रिपोर्ट में कहा गया है, जब सभी कुलपतियों की नियुक्ति कोर्ट ने रद्द कर दी है. इससे संबंधित मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है, तब सभी पूर्व कुलपति अपने निजी खर्च पर मामले की पैरवी कर रहे हैं. इन वकीलों का भुगतान विवि की ओर से नहीं किया जा रहा है. इससे साफ हो जाता है, नियुक्ति संबंधी मामला विवि का नहीं पूर्व कुलपतियों का निजी मामला है.

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