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बाल कल्याण समिति के फरार पूर्व अध्यक्ष के घर पर चिपका इश्तेहार

मुजफ्फरपुर : साहू रोड स्थित बालिका गृह यौन शोषण मामले की सीबीआई जांच की सिफारिश के बीच पुलिस ने भी अपनी कार्रवाई तेज कर दी है. शुक्रवार की देर शाम महिला थाने की थानेदार ज्योति कुमारी ने करजा स्थित वर्मा के घर पर इश्तेहार चिपका दिया. तय समय के भीतर आत्मसमर्पण नहीं करने पर पुलिस […]

मुजफ्फरपुर : साहू रोड स्थित बालिका गृह यौन शोषण मामले की सीबीआई जांच की सिफारिश के बीच पुलिस ने भी अपनी कार्रवाई तेज कर दी है. शुक्रवार की देर शाम महिला थाने की थानेदार ज्योति कुमारी ने करजा स्थित वर्मा के घर पर इश्तेहार चिपका दिया. तय समय के भीतर आत्मसमर्पण नहीं करने पर पुलिस वर्मा के घर की कुर्की करेगी.
पुलिस ने इस मामले में गिरफ्तार ब्रजेश ठाकुर सहित दस आरोपितों के विरुद्ध गुरुवार को न्यायालय में चार्जशीट दाखिल किया था. एक आरोपित दिलीप वर्मा फरार हैं. शुक्रवार को दिलीप वर्मा की खोज में महिला थानेदार ने करजा, कांटी और सरैया समेत कई थाना क्षेत्र में छापेमारी की. लेकिन उनका कोई भी सुराग नहीं मिला. इसके बाद पुलिस वापस करजा पहुंची. उनके पड़ोसी पर भी उन्हें आत्मसमर्पण कर देने के लिए दबाव बनाने की अपील की. इसके बाद महिला थानेदार ने उनके घर पर इश्तेहार चिपका दिया.
कुर्की के लिए आज आवेदन : पुलिस अब फरार पूर्व अध्यक्ष दिलीप वर्मा के घर की कुर्की करने की प्रक्रिया में लग गयी है. पुलिस शनिवार को न्यायालय में उनके घर की कुर्की के लिए आवेदन देगी. न्यायालय का आदेश प्राप्त होने के बाद उनके घर की कुर्की की जायेगी.
मिट्टी के नमूने को एफएसएल भेजने की प्रक्रिया शुरू : पुलिस ने बालिका गृह परिसर में खुदाई के दौरान संग्रह किये गये मिट्टी के नमूने को जांच के लिए एफएसएल भेजने की प्रक्रिया पूरी कर ली है. मिट्टी के नमूने को सोमवार तक जांच के लिए एफएसएल भेज दिया जायेगा. गौरतलब हो कि पीड़ित किशोरी के बयान के आधार पर न्यायालय से आदेश लेने के बाद पुलिस बालिका गृह परिसर में मृत किशोरी के शव की बरामदगी के लिए खुदाई की थी. इस दौरान दो जगहों पर खुदाई होने के बाद भी शव के अवशेष की बरामदगी नहीं हो सकी. इसके बाद एसएसपी हरप्रीत कौर के निर्देश पर महिला पुलिस ने खुदाई स्थल से मिट्टी का नमूना संग्रह किया था.
आठ और किशोरियों की मेडिकल
पटना के बालिका गृह में शिफ्ट की गयी किशोरियों में से आठ पीड़िताओं की सबसे अंत में मेडिकल जांच हुई थी. पुलिस को इन आठ किशोरियों की चिकित्सकीय जांच रिपोर्ट मिल गयी है. रिपोर्ट के अनुसार, उनमें से पांच किशोरियों के साथ यौन शोषण होने के प्रमाण मिले है. गौरतलब हो कि साहू रोड स्थित बालिका गृह में यौन शोषण का खुलासा होने के बाद यहां की 44 बच्चियों को पटना, मोकामा और मधुबनी भेजा गया था. मधुबनी के 13, मोकामा के 13 और पटना के एक बालिका गृह में शिफ्ट की गयी किशोरियों की मेडिकल रिपोर्ट पुलिस को मिल गयी थी. पटना के निशांत बालिका गृह में आवासित आठ किशोरियों को देर से मेडिकल हुआ था.
बच्चियों ने महिला आयोग से कहा गलत करने वालों से लेंगे बदला
मुजफ्फरपुर. मुजफ्फरपुर बालिका गृह की बच्चियों ने महिला आयोग से कहा कि वह बड़ी होकर शोषण करने वालों से बदला लेंगी. आयोग की अध्यक्ष दिलमणि मिश्र और दूसरे सदस्य मोकामा के नाजरत अस्पताल में लड़कियों से गुरुवार को मिलने गयी थीं. महिला आयोग की अध्यक्ष ने बताया कि लड़कियों की हालत पहले से काफी बढ़िया है. यहां उनकी पढ़ाई भी हो रही है.
अध्यक्ष ने कहा कि कई बच्चियां मुजफ्फरपुर बालिका गृह के बारे में बताते हुए उदास हो गईं. उन्होंने बताया कि उन्हें वहां ठीक से खाना भी नहीं दिया जाता था. जो खाना मिलता था वह कभी बासी होता था तो कभी फीका. इसका विरोध करने पर उनके साथ मारपीट और गाली गलौज तक की जाती थी.
लड़की ने फोड़ दिया था टीवी बॉक्स
बालिका गृह की लड़कियों को महिला आयोग को बताया कि वहां एक लड़की ने गलत काम के विरोध में टीवी बॉक्स भी फोड़ दिया था, जिसके बाद उसे काफी मारा गया था. इसे देखकर दूसरी लड़कियां काफी सहम गयी थीं. इसके बाद कुछ दिनों तक विरोध करने की हिम्मत नहीं जुटाई. महिला आयोग की अध्यक्ष को अस्पताल के सिस्टर ने बताया कि लड़कियां अभी काफी शांत हुई हैं लेकिन जब यहां आईं थीं तो काफी उग्र थीं. बात बात पर लड़ाई करने लगती थीं और उग्र हो जाती थीं.इस कांड का उनके दिमाग पर काफी असर पड़ा था. लेकिन माहौल बदलने से उनकी स्थिति काफी ठीक हुई है.
l फिर भी होती है धांधली
सरकार बालिका गृह चलाने के लिए एनजीओ को करोड़ों रुपये देती है, लेकिन इसके बाद भी कई स्तर पर धांधली होती है. मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड से यह जाहिर है कि धांधली का स्तर कितना नीचे गिर गया है. अभी 10 बालिका गृह एनजीओ के जरिये सरकार चला रही है जिसमें से हर एक बालिका गृह पर 30 लाख का खर्च होता है.
इसमें 90 फीसदी राशि तो सरकार ही देती है और 10 फीसदी एनजीओ को खर्च करना होता है. यानी सरकार 2.7 करोड़ की राशि इस मद में खर्च करती है लेकिन इसके बदले सरकार को केवल बदनामी ही हासिल हो रही है. बिहार सरकार बालिका गृह, बाल गृह और अल्पवास गृह नाम की संस्थाएं चलाती है. अभी कुल 11 बालिका गृह संचालित हो रहे हैं जिनमें 10 को एनजीओ और एक को सरकार संचालित कर रही है.

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