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आबादी बढ़ी, काम बढ़ा, पर घटते चले गये कर्मचारी

1954 में निर्धारित कर्मियों के भरोसे जिला, आबादी सात गुनी बढ़ी 63 साल पूर्व के स्वीकृत पदों पर चल रहा कलेक्ट्रेट, बढ़ने के बदले घट रहे कर्मचारी जिले में 388 सहायक व प्रधान सहायक के पद में से 128 रिक्त मुजफ्फरपुर : छह दशक में जिले की आबादी में सात गुनी बढ़ी है. आबादी बढ़ने […]

1954 में निर्धारित कर्मियों के भरोसे जिला, आबादी सात गुनी बढ़ी

63 साल पूर्व के स्वीकृत पदों पर चल रहा कलेक्ट्रेट, बढ़ने के बदले घट रहे कर्मचारी
जिले में 388 सहायक व प्रधान सहायक के पद में से 128 रिक्त
मुजफ्फरपुर : छह दशक में जिले की आबादी में सात गुनी बढ़ी है. आबादी बढ़ने के साथ सरकारी कार्यालयों पर काम का दबाव भी इसी अनुपात में बढ़ा है, लेकिन कार्यालय में कर्मियों की संख्या बढ़ने के बदले लगातार घट रहा है. इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 63 साल पहले जिले की आबादी करीब सात लाख थी. जो अब बढ़ कर 54 लाख हो गया है,
लेकिन अब तक सरकारी दफ्तरों में 1954 में निर्धारित की गयी कर्मचारियों के संख्या बल पर काम चल रहा है.
चौकानें वाली बात तो यह है कि फिलहाल जिले में सृजित पद में से भी एक तिहाई खाली है. प्रशासनिक रिपोर्ट के अनुसार जिले में बाबूओं (सहायक व प्रधान सहायक ) के 388 पद सृजित हैं, लेकिन अभी 260 बाबू ही कार्यरत हैं. 128 पद रिक्त हैं. जनवरी 2018 में काफी संख्या में कर्मचारी सेवानिवृत होंगे. इसके बाद स्थिति क्या होगी, समझा जा सकता है.
दफ्तरों में कर्मचारियों की कमी का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जिला निर्वाचन, नजारत, भू-अर्जन व सामान्य, आपदा जैसे महत्पूर्ण कार्यालय डेपुटेशन के कर्मचारी के भरोसे हैं.
जिला मुख्यालय से लेकर प्रखंड व अंचल तक कर्मचारियों के टोटा से न सिर्फ सरकारी काम प्रभावित होता है बल्कि जनता को भी भारी कठिनाई का सामना करना पड़ता है. कर्मचारियों पर भी काम का दबाव बढ़ता जा रहा है.
कर्मचारियों की कमी का यह आंकड़ा तो सिर्फ मुख्य कार्यालय का है. फील्ड में काम रहे कर्मचारियों की बात करें तो स्थिति और भी बदतर है. राजस्व कर्मचारी, पंचायत सचिव, अमीन, मापक का पद काफी संख्या में रिक्त है. एक राजस्व कर्मचारी को तीन हलका प्रभार है. इसी तरह दो-तीन पंचायत पर एक पंचायत सचिव है. इधर, पिछले पांच साल में प्रशासनिक व्यवस्था के सुधार के लिए कई विभाग भी खुले हैं, लेकिन कार्यालय में पदाधिकारी व कर्मचारी के पदस्थापना के नाम पर अतिरिक्त प्रभार से काम चलाया जा रहा है. मसलन आटीपीएस, जनशिकायत, लोक शिकायत निवारण व सूचना के अधिकार में बढ़ी संख्या में शिकायतें आ रही है, लेकिन कर्मचारियों की कमी के वजह से निर्धारित अवधि में निष्पादन नहीं होता है.

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