मुजफ्फरपुर : अहियापुर के भिखनपुर में जिस एक एकड़ 15 डिसमिल जमीन की गलत जमाबंदी का खुलासा हुआ है, वह जमीन मुंबई की कंपनी ‘एएफ गारमेंट प्राइवेट लिमिटेड’ ने खरीदी थी. कंपनी यहां गारमेंट की फैक्टरी खोलना चाहती थी. यह दावा है जमीन की रजिस्ट्री करानेवाले ताहिर हुसैन का. वे खुद को कंपनी का निदेशक बताते हैं. उनका दावा है कि फैक्टरी खुलती, तो स्थानीय डेढ़ हजार से दो हजार लोगों को रोजगार मिलता. यह जिले की पहली गारमेंट फैक्टरी भी होती. ताहिर ने कंपनी के निदेशक के रूप में मुख्यमंत्री के सचिव को पत्र लिख कर मामले की जानकारी दी है. उनकी
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गारमेंट कंपनी के नाम लिख दी गलत जमाबंदी वाली जमीन
मुजफ्फरपुर : अहियापुर के भिखनपुर में जिस एक एकड़ 15 डिसमिल जमीन की गलत जमाबंदी का खुलासा हुआ है, वह जमीन मुंबई की कंपनी ‘एएफ गारमेंट प्राइवेट लिमिटेड’ ने खरीदी थी. कंपनी यहां गारमेंट की फैक्टरी खोलना चाहती थी. यह दावा है जमीन की रजिस्ट्री करानेवाले ताहिर हुसैन का. वे खुद को कंपनी का निदेशक […]
गारमेंट कंपनी के…
मांग है कि दाखिल-खारिज करके जल्द जमीन उनके नाम करायी जाये, ताकि कंस्ट्रक्शन का काम पूरा हो सके. पत्र की कॉपी डीएम धर्मेंद्र सिंह को भी दी गयी है.
ताहिर ने बताया है कि बिहार सरकार की इनेसिएटिव ‘बिहार फाउंडेशन मुंबई’ के सुझाव पर उन्होंने 26 मार्च, 2015 को सायदा राबिया खातून से भिखनपुर में एक एकड़ 15 डिसमिल जमीन खरीदी थी. इसके लिए उन्होंने एक करोड़ 61 लाख 57 हजार 500 रुपये कीमत चुकायी थी. डेढ़ साल पूर्व दाखिल-खारिज के लिए उन्होंने मुशहरी सीओ के यहां आवेदन दिया था.
उनकी मंशा थी कि दाखिल-खारिज होने के बाद फैक्टरी की स्थापना के लिए कंस्ट्रक्शन का काम शुरू करें. लेकिन, अभी तक दाखिल-खारिज की प्रक्रिया पूरी नहीं हुई है. उन्होंने सीएम के सचिव व डीएम से मांग की है कि दाखिल-खारिज की प्रक्रिया जल्द पूरी करायी जाय, नहीं तो इससे बिहार की छवि धूमिल होगी. कोई भी इनवेस्टर यहां पूंजी लगाने से डरेगा.
मुशहरी अंचल का मामला
नहीं खुल पायी फैक्टरी, मुंबई के व्यवसायी ने करायी थी 1.15 एकड़ जमीन की रजिस्ट्री
जांच में खुलासा, राबिया के नाम थी गलत जमाबंदी. इधर, ताहिर हुसैन के दाखिल-खारिज वाद की जांच के दौरान पता चला है कि राबिया खातून ने जो जमीन उन्हें बेची है, उसकी जमाबंदी गलत तरीके से की गयी थी. जांच खुद डीसीएलआर पूर्वी मो शाहजहां ने की थी. अपनी रिपोर्ट में उन्होंने
बताया है
जांच में खुलासा
कि जो जमीन ताहिर को बेची गयी थी, उसकी जमाबंदी संख्या-31 है, जो राबिया खातून के नाम पर अंकित है. इसमें जमीन का रकबा 1.25 एकड़ बताया गया है. लगान रसीद भी 2014-15 तक निर्गत है. जमाबंदी पर वाद संख्या 1498/2000-01 भी अंकित है. जब उस वाद की जांच की गयी, तो पता चला कि उसके माध्यम से सुदिष्ट लाल के पुत्र रामाकांत लाल के नाम से दाखिल-खारिज हुआ है. इसके आधार पर
डीसीएलआर पूर्वी का मानना है कि राबिया खातून के नाम पर जमीन की जमाबंदी फर्जी तरीके से की गयी है. फर्जी तरीके से जमाबंदी प्रविष्टि के बाद दाखिल-खारिज वाद संख्या 1234/2013-14, 6629/2013-14 व 3297/2014-15 के द्वारा क्रमश: जमाबंदी संख्या 3623, 3757 व 4257 कायम किया गया है. डीसीएलआर पूर्वी ने इस मामले में दोषी कर्मचारी पर एफआइआर दर्ज कराने व विभागीय कार्रवाई के लिए प्रस्ताव भेजने का निर्देश मुशहरी अंचलाधिकारी को दिया है.
बयान–
मामले की जानकारी मिली है. डीसीएलआर पूर्वी से इसकी जांच करायी गयी थी. इसमें गलत जमाबंदी की बात सामने आयी है. दोषी लोगों पर कार्रवाई होगी. निदेशक का पत्र मिलने के बाद मामले की नये सिरे से जांच कराने का निर्णय हुआ है. जल्द जांच पूरी कर ली जायेगी.
धर्मेंद्र सिंह, जिलाधिकारी
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