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आत्महत्या की बात पर नहीं हो रहा था दारोगा संजय के परिजनों को विश्वास

सुसाइड मामला. प्रभात खबर की सूचना पर परिजन पहुंचे मुजफ्फरपुर, शव लेकर लौटे पानापुर करियात ओपी के प्रभारी अध्यक्ष संजय कुमार गौड़ का शव देर शाम परिजन लेकर चले गये. उनका अंतिम संस्कार सीवान स्थित पैतृक गांव में किया जायेगा. मुजफ्फरपुर/सीवान : दारोगा संजय कुमार गौड़ के सुसाइड की सूचना परिजनों को मिली, तो उन्हें […]

सुसाइड मामला. प्रभात खबर की सूचना पर परिजन पहुंचे मुजफ्फरपुर, शव लेकर लौटे

पानापुर करियात ओपी के प्रभारी अध्यक्ष संजय कुमार गौड़ का शव देर शाम परिजन लेकर चले गये. उनका अंतिम संस्कार सीवान स्थित पैतृक गांव में किया जायेगा.
मुजफ्फरपुर/सीवान : दारोगा संजय कुमार गौड़ के सुसाइड की सूचना परिजनों को मिली, तो उन्हें विश्वास नहीं हुआ. वे संजय के मोबाइल पर फोन लगाने लगे. इसी दरम्यान प्रभात खबर की टीम मुरा कर्मवार गांव पहुंची. पहले टीम के सदस्यों ने गांव के ग्रामीणों से बात की. किसी भी ग्रामीण को संजय की मौत की सूचना नहीं थी. इसके बाद मृत दारोगा के परिजनों से बात की तो उनको विश्वास नहीं हुआ. इसके बाद अपने आप को संभाल परिजनों ने घटनाक्रम की पूरी जानकारी ली. आत्महत्या की पुष्टि हो जाने के बाद गांव में कोहराम मच गया. घटना के बाद परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल हो गया था.
एक रोज पहले चचेरी बहन की आयी थी बारात, सुबह में हुयी विदा. दारोगा संजय के चाचा बनारसी गौड़ की बेटी यानि संजय की चचेरी बहन की बारात यूपी के बनकटा थाना क्षेत्र के सिकटिया गांव से शनिवार की रात आयी थी. विदायी रविवार की सुबह हुयी. विदायी के बाद कई मेहमान जा चुके थे. अभी भी कई मेहमान मौजूद थे. सभी परिजन आराम कर रहे थे. इसी दरम्यानआत्महत्या की सूचना के बाद कोहराम मच गया. परिजनों के साथ मेहमानों का भी रो-रो कर बुरा हाल हो गया.
सुबह 11 बजे तक फोन पर की थी बात. संजय बहन की शादी में तो नहीं आये पर शादी की सारी गतिविधियों की जानकारी वे परिजनों से लेते रहे. रविवार की रात चाचा बनारसी, पत्नी कल्याणी देवी, भाई संजीव व रवि से बात करते रहे.
रविवार को दिन में 11 बजे तक परिजनों से उनकी बात हुयी. इस दौरान उन्होंने हंसी-खुशी परिजनों से बात कही. वे काफी खुश थे. इसी बीच महज कुछ घंटे बाद संजय के आत्महत्या की बात सुन परिजनों के पैरों तले जमीन खिसक गया.
मधुर व शांत स्वभाव का था संजय. मुरा कर्मवार गांव निवासी काशीनाथ के सबसे बड़े पुत्र संजय कुमार दारोगा के पद पर पदस्थापित था. उसकी आत्महत्या की खबर जैसे के परिजनों के साथ ग्रामीणों को हुयी तो बस उसी की
चर्चा करने लगे. ग्रामीणों का कहना था कि संजय काफी मधुर, मिलनसार व शांत स्वभाव का था. आखिर ऐसी क्या वजह हुयी जिसके चलते उसने इतना बड़ा कदम उठा लिया. कई लोग कयास लगा रहे थे कि शायद चचेरी बहन की शादी में छुट्टी मांगने के बाद भी नहीं मिलने पर उसने यह कदम तो नहीं उठाया है. परंतु लोग फिर इस बात इंकार भी कर जा रहे थे. फिलहाल जो हो संजय की आत्महत्या की सूचना के बाद हर कोई स्तब्ध था.
चार भाईयो में सबसे बड़ा था संजय. संजय चार भाईयों में सबसे बड़ा था. संजय दूसरे नंबर के भाई संतोष की मौत दो वर्ष पहले दूसरे राज्य में नौकरी करने के दरम्यान हो गयी थी. वहीं संतोष
तीसरे नंबर के भाई संजीव पटना सचिवालय में तैनात है. वहीं सबसे छोटा भाई रवि
पढ़ाई करता है. मृत दरोगा को एक पुत्र व दो पुत्रियां है. जिनकी उम्र क्रमश: 8, 12 व 11 वर्ष है. घटना के पत्नी कल्याणी व पुत्र-पुत्रियों का रो-रो कर बुरा हाल हो गया था. पति की आत्महत्या की सूचना के बाद पत्नी अपने देवर संजीव के साथ मुजफ्फरपुर पहुंची थी.
आखिर एक ही सवाल, खुद को क्यों मारी गोली?: पानापुर ओपी में तैनात दारोगा संजय ने खुद को गोली क्यों मारी, यह सवाल एसकेएमसीएच पहुंचने वाले हर एक पुलिसकर्मी के जुबां पर थीं? घटना की सूचना जैसे सबको मिली, एक के बाद एक हत्था ओपी , महिला थानाध्यक्ष, बेला थानाध्यक्ष, करजा, अहियापुर थाना से पुलिसकर्मी पहुंच गये. कोई गायघाट थाने के बाद से टेंशन में रहने की बात कह रहा था तो कोई वरीय अधिकारी द्वारा छुट्टी नहीं देने की बात बोल रहे थे. एसोसिएशन के अध्यक्ष राम बालक यादव का कहना था कि जब तक जांच नहीं हो जाती है. कुछ भी नहीं कहा जा सकता है. लेकिन पानापुर ओपी में तैनात दारोगा मो हारुण का कहना था कि जिस दिन से संजय ओपी में आये थे. किसी से अधिक बातचीत नहीं करते थे. वह अकेले रहना पसंद करते थे. अगर कोई उन्हें टोकतातो वह हंस कर निकल जाते थे.

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