गतिरोध. योजना की निकली हवा, घाट किनारे के शौचालय टूटे
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गंगा घाटों पर खुले में ही शौच
गतिरोध. योजना की निकली हवा, घाट किनारे के शौचालय टूटे पूरे देश में स्वच्छ भारत और निर्मल गंगा अभियान जोर-शोर से चल रहा है. वहीं मुंगेर के गंगा घाटों पर खुले में शौच मुक्त योजना की हवा निकल रही है. स्त्री, पुरुष, बच्चे सभी खुले में शौच करने को विवश हैं. क्योंकि अधिकांश घाटों पर […]
पूरे देश में स्वच्छ भारत और निर्मल गंगा अभियान जोर-शोर से चल रहा है. वहीं मुंगेर के गंगा घाटों पर खुले में शौच मुक्त योजना की हवा निकल रही है. स्त्री, पुरुष, बच्चे सभी खुले में शौच करने को विवश हैं. क्योंकि अधिकांश घाटों पर जहां शौचालय नहीं है. वहीं जिन घाटों पर हैं भी, वहां गंदगी और जर्जरता के कारण उसका उपयोग नहीं हो पा रहा. इस दिशा में जिला व नगर निगम प्रशासन भी पूरी तरह उदासीन है.
मुंगेर : मुंगेर में उत्तर वाहिनी गंगा प्रवाहित है, जो धार्मिक दृष्टकोण से काफी महत्वपूर्ण स्थान है. अलग-अलग घाटों की अलग-अलग महत्ता भी है और कहा जाता है कि भगवान राम ने कष्टहरणी घाट में स्नान कर अपनी थकान मिटायी थी.
वहीं गंगा के मध्य भगवती सीता ने महापर्व छठ का अनुष्ठान किया था. लेकिन आज जब पूरे देश में स्वच्छ भारत अभियान और निर्मल गंगा का जयघोष हो रहा है, तो मुंगेर के गंगा घाटों पर गंदगी का अंबार है. गंदगी भी ऐसी कि लोग खुले में शौच कर रहे हैं. शायद लोगों की यह मजबूरी भी है.
गंगा घाटों पर नहीं है शौचालय: मुंगेर में गंगा घाट-बबुआ घाट, सोझी घाट, कष्टहरणी घाट, दुरमंठा, बेलवा घाट, कंकड़, जहाज घाट ऐसे हैं जहां श्रद्धालुओं की प्रतिदिन भीड़ लगती है. उत्तर वाहिनी गंगा में डुबकी लगा कर लोग यहां पूजा-अर्चना करते हैं. गंगा घाटों पर जिला प्रशासन की ओर से गंगा महाआरती का आयोजन किया जाता है. लोग सैर सपाटे के लिए यहां पहुंचते हैं. लेकिन इन गंगा घाटों पर शौचालय की कोई व्यवस्था नहीं है. बबुआ घाट पर लोगों की भीड़ को देखते हुए नगर निगम द्वारा वर्षों पूर्व एक शौचालय का निर्माण कराया गया था. लेकिन वह वर्षों से बंद पड़ा हुआ है. रखरखाव के अभाव में वह जर्जर हो गया है. जबकि शौचालय में घास-फूस उग आये हैं. जर्जर शौचालय नगर निगम प्रशासन के व्यवस्था की पोल खोल रही है.
खुले में शौच मुक्त अभियान की निकल रही हवा : सरकार गंगा को स्वच्छ व निर्मल बनाने के लिए नमामि गंगे प्रोजेक्ट चला रही है. जबकि खुले में शौच मुक्त अभियान को लेकर हजारों करोड़ रुपये खर्च किये जा रहे हैं. सरकार शौचालय निर्माण के लिए अनुदान राशि दे रही है. ताकि खुले में शौच मुक्त समाज का निर्माण हो सके. लेकिन मुंगेर के गंगा घाटों पर सरकार का स्वच्छता अभियान व खुले में शौच मुक्त अभियान की हवा निकल रही है. गंगा घाटों पर लोग खुले में शौच करते कभी भी देखा जा सकता है.
महिलाओं व लड़कियों को होती है परेशानी : गंगा घाटों पर स्नान करने आने वाली महिलाओं व लड़कियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. पुरुष तो गंगा किनारे शौच महसूस होने पर निवृत्त हो जाते है. बच्चे गंगा तट पर ही शौच करते हैं. लेकिन महिला व लड़कियों को शौच महसूस होने पर शर्म व हया को त्यागना पड़ता है. सैर-सपाटे के लिए आये लोग भी यत्र-तत्र मल-मूत्र त्याग करने को विवश हैं.
कहते हैं नगर आयुक्त
नगर आयुक्त डॉ एसके पाठक ने कहा कि खुले में शौच करने वालों पर कार्रवाई की जायेगी और जुर्माना लगाया जायेगा. सार्वजनिक शौचालय के लिए वार्ड पार्षदों से प्रस्ताव मांगा गया है. इसके बाद सार्वजनिक शौचालय का निर्माण किया जायेगा.
उदासीन हैं प्रतिनिधि
जमालपुर बड़ी आशिकपुर निवासी सरिता देवी गंगा स्नान के लिए कष्टहरणी घाट पहुंची थी. उनका मानना है कि हमारे जिले के जनप्रतिनिधि व प्रशासनिक पदाधिकारी पूरी तरह से उदासीन है. अगर महिलाओं के प्रति उनके अंदर आदर का भाव होता तो कष्टहरणी जैसे महत्वपूर्ण गंगा घाटों पर जरूर शौचालय का निर्माण कराते.
शौचालय के बिना उठाते हैं शर्मिंदगी
जमालपुर केशोपुर निवासी सुशीला देवी ने कहा कि शौचालय के बिना काफी शर्मिंदगी उठानी पड़ती है. सिर्फ गंगा सफाई की बात करते है. स्वच्छता और खुले में शौच मुक्त का ढिंढोरा पीटा जाता है. लेकिन हकीकत यह है कि गंगा घाट पर एक शौचलय तक नहीं है.
खुले में बदलना पड़ता है कपड़ा
मुंगेर शहर के वासुदेवपुर निवासी प्रीति कुमारी ने कहा के वह गंगा स्नान के लिए कष्टहरणी घाट आयी हुई है. सैकड़ों महिला व लड़की स्नान करने रोजाना आती है. क्या जिला प्रशासन को सुधी नहीं है कि यहां एक शौचालय का निर्माण कराया जाये. मजबूरन महिलाओं शौच त्यागने के लिए छिपने का स्थान खोजना पड़ता है. अधिकांश महिला व लड़की तो खुले शर्मिंदगी के बीच खुले में शौच त्यागने को विवश होती है. हद तो तब होती है जब खुले में स्नान करने के उपरांत कपड़ा बदलना पड़ता है.
जरूरी है महिलाअों के लिए शौचालय
कष्टहरणी घाट पर टिकुली-सिंदूर व फूल-पत्ती का दुकान चलाने वाली रीता का कहना है कि साहेब लोगों को घाटों पर शौचालय निर्माण कराना चाहिए. क्योंकि महिलाओं व लड़कियों के लिए यह जरूरी है.
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