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कुरसी की माया में गिरफ्तार लोकतंत्र विषय पर गोष्ठी

वक्ताओं ने रखे िवचार शराबबंदी अच्छी, लेकिन इसके लिए सारे कार्य को ठहरा देना उचित नहीं मुंगेर : साहित्यिक संस्था गंगोत्री के बेलन बाजार स्थित कार्यालय में एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया. इसका विषय ” कुरसी की माया में गिरफ्तार लोकतंत्र ” था. गोष्ठी की अध्यक्षता प्रो. अवध किशोर प्रसाद सिंह ने की. […]

वक्ताओं ने रखे िवचार शराबबंदी अच्छी, लेकिन इसके लिए सारे कार्य को ठहरा देना उचित नहीं

मुंगेर : साहित्यिक संस्था गंगोत्री के बेलन बाजार स्थित कार्यालय में एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया. इसका विषय ” कुरसी की माया में गिरफ्तार लोकतंत्र ” था. गोष्ठी की अध्यक्षता प्रो. अवध किशोर प्रसाद सिंह ने की.
मुख्य वक्ता डॉ शिवचंद्र प्रताप ने कहा कि भारतीय राजनीति का सेवा युग बीत गया और अब मेवा युग चल रहा है. कुरसीबाज लोग यह समझ नहीं पाते कि कुरसी माया है. येन केन प्रकारेण चुनाव जीत कर जब लोग कुरसी पर छड़प कर बैठते हैं, तब उन्हें लगता है कि वे अंतहीन सत्ता सुख के उस कुतुबमीनार पर जा बैठे हैं. जहां से उन्हें मौत भी नहीं डिगा सकती है. ये लोग अंग्रेज शासकों से अधिक खतरनाक हो गये हैं. क्योंकि अंग्रेज हमेशा अपने असली रूप में रहते थे. मगर ये तो छद्मवेशी है. ये बाहर से कुछ और अंदर से कुछ और होते हैं.
उन्होंने कहा कि शराबंदी बड़ी अच्छी बात है. लेकिन मात्र इसके लिए सारे कार्य को ठहरा देना कहां तक उचित है. प्रतिदिन विश्वविद्यालय खोले जा रहे हैं. लेकिन जो है उसे ध्वस्त किया जा रहा है. उन्होंने आरडी एंड डीजे कॉलेज का उदाहरण देते हुए कहा कि जहां 125 प्रोफेसर की जगह है. वहां मात्र 25 है. पहले जो है उसकी व्यवस्था दुरुस्त करने की जरूरत है. ताकि शिक्षा व्यवस्था सुदृढ़ हो. दिन दहाड़े पुलिस को गोली मारी जाती है.
शराब के धंधे में नेता व पुलिस अधिकारी पकड़े जाते है. राज्यकर्मियों के वेतन 6-6 महीने तक लंबित रहते है. लेकिन आम जनता को छुच्छा भाषण सुनने के सिवा कुछ नहीं मिलता. प्रो. अवध किशोर ने कहा कि अशिक्षित और गरीब जनता को जात-पात, धर्म-मजहब का शराब पिलाया जा रहा है तो मामूली शराब की क्या जरूरत है. मौके पर कैलाश राय रमण. नारायण शर्मा, शिवनंदन सलित, गुरुदयालय त्रिविक्रम सहित अन्य ने भी अपने-अपने विचार व्यक्त किया.

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