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अब हर माह जेल में छापेमारी

जेल से संचालित हो रहे अपराध पर अंकुश लगाने के लिए राज्य सरकार ने जेलों में नियमित छापेमारी का निर्देश दिया है. ताकि जेल की हर गतिविधि से पुलिस व प्रशासनिक अधिकारी रूबरू हो और अपराधियों के नेटवर्क का खुलासा हो सके. जेल महानिरीक्षक आनंद किशोर ने इस संदर्भ में जिला पदाधिकारी व पुलिस अधीक्षक […]

जेल से संचालित हो रहे अपराध पर अंकुश लगाने के लिए राज्य सरकार ने जेलों में नियमित छापेमारी का निर्देश दिया है. ताकि जेल की हर गतिविधि से पुलिस व प्रशासनिक अधिकारी रूबरू हो और अपराधियों के नेटवर्क का खुलासा हो सके. जेल महानिरीक्षक आनंद किशोर ने इस संदर्भ में जिला पदाधिकारी व पुलिस अधीक्षक को पत्र भेज कर औचक व नियमित छापेमारी के निर्देश दिये हैं.
मुंगेर : जेलों में अपराधियों के पास मोबाइल, गांजा, महंगी सिगरेट समेत अन्य आपत्तिजनक वस्तुओं के उपयोग करने की शिकायत हमेशा मिलती रही है तथा कई बार मुंगेर जैसे जेलों में इस प्रकार के समान बरामद भी होते रहे हैं. इस संदर्भ में जेल आइजी ने विशेष छापेमारी का निर्देश देते हुए कहा है कि प्रत्येक माह जेल में छापेमारी व तलाशी अभियान होनी चाहिए. साथ ही जेल सुरक्षा में तैनात पुलिस बल व सैप के जवानों का निरंतर तबादला के भी निर्देश दिये हैं.
जेल में बरामद होती रही है आपत्तिजनक समान : मुंगेर जेल में छापेमारी के दौरान मोबाइल पकड़ाना आम बात हो गयी है. जब भी जेल में छापेमारी होती है तो मोबाइल के साथ ही गांजा, सिगरेज जैसे आपत्तिजनक समान भी बरामद होती रही है.
विगत 6 फरवरी को भी जब मुंगेर जेल में छापेमारी की गयी तो मोबाइल चार्जर के साथ ही कई आपत्तिजनक समान बरामद हुए थे. हद तो तब हुआ जब कैदी वार्ड में लगे एक सीएफएल बल्व के होल्डर से मोबाइल सर्किट एवं एयर फोन बरामद किया गया था. जिसका इस्तेमाल जेल में बंद कुख्यात अपराधी मोबाइल के रूप में कर रहा था.
जेल से संचालित हो रहा अपराध : जेल से अपराध संचालित होने के कई प्रमाण मिल चुके हैं.एसपी आफिस से महज दो कदम दूरी पर एक रेस्टोरेंट में अपराधियों ने घूस पर उसके संचालक उत्तम शर्मा की हत्या कर दी थी. सरगना पवन मंडल ने बताया कि जेल से ही उसकी हत्या की साजिश उसने रची थी. इतना ही नहीं कुख्यात प्रशांत मिश्रा, सूरजा उर्फ झरकहवा, अमित मंडल जैसे जिले के दर्जनों कुख्यात अपराधी भी जेल से ही अपराध की घटना को संचालित करता रहा है.
अपराधियों के मनोबल का आलम यह है कि जेल में बंद अपराधी जमालपुर के एक पूर्व थानेदार को भी मोबाइल पर धमकी दिया था.
जेल की सुरक्षा पर उठते रहे हैं सवाल : मुंगेर जेल की सुरक्षा पर सवाल उठते रहे है. आखिर जेलों में आपत्तिजनक समान बिना जेल प्रशासन की मदद से अंदर कैसे पहुंच जाता है जो चिंता का विषय है.
हाल ही में जेलर आलोक कुमार को महंगी सिगरेट पहुंचाने के आरोप में निलंबित कर दिया गया. जबिक वर्ष 2013 में जेल में हुए छापेमारी में 23 मोबाइल बरामद होने पर तत्कालीन जिलाधिकारी नरेंद्र कुमार सिंह ने तत्कालीन जेलर अरुण कुमार सिंह को गिरफ्तार कर उसी जेल में बंद कर दिया था. वर्ष 2015 में भी जेल सुरक्षा में तैनात जिला बल के जवान लाल बाबू ठाकुर को कैदी को मोबाइल उपलब्ध कराते हुए पकड़ा था.
मुंगेर मंडल कारा में छापेमारी के दौरान तीन कार्ड रीडर, एक पेन ड्राइव एवं सात मेमोरी कार्ड बरामद किया गया, लेकिन छापेमारी में वह डिसप्ले डिवाइस नहीं मिला. जबकि जाहिर है कि इस इलेक्ट्रॉनिक उपकरण का उपयोग डिस्पले डिवाइस में ही संभव है.
एसडीपीओ कुंदन कुमार एवं ललित मोहन शर्मा ने जब बरामद सामग्री को देखा तो भोच्चक रह गये कि आखिर पेन ड्राइव, मेमोरी कार्ड एवं कार्ड रीडर अपराधी क्यों रखे हुए हैं. अब सवाल यह उठता है कि अगर अपराधी इन सामानों को रखे हुए हैं तो जरूर वह इसका उपयोग करते होंगे.
इन सामानों के लिए डिसप्ले डिवाइस का होना जरूरी है. जिसमें कंप्यूटर, लैप टॉप, एनरॉइड मोबाइल जैसे इलेक्ट्रानिक समान शामिल है. लेकिन छापेमारी में एक भी प्रकार के डिसप्ले डिवाइस नहीं मिला. आखिर सवाल यह उठता है कि इन इलेक्ट्रानिक सामान का जब उपयोग अपराधी नहीं करते थे तो वे अपने पास क्यों रखे हुए थे. जो पुलिस को सोचने पर विवश कर रही है. आखिर कार्ड रीडर, मेमोरी कार्ड एवं पेन ड्राइव में ऐसे कौन से दस्तावेज हैं जो अपराधी अपने पास ही उसे रखने को मजबूर थे.

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