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मिलते हैं मोबाइल, जेलर जा चुके हैं जेल

लापरवाही . मुंगेर जेल में कैदियों को मिलती है हर प्रकार की सुविधा मुंगेर मंडल कारा में पैसे के बल पर कैदियों को सुविधा मुहैया करायी जाती रही है. पैसे के बल पर लजीज व्यंजन के साथ ही गांजा, भांग व सिगरेट जेल के सेल में बंद कैदियों तक पहुंचती है. जबकि मोबाइल फोन व […]

लापरवाही . मुंगेर जेल में कैदियों को मिलती है हर प्रकार की सुविधा

मुंगेर मंडल कारा में पैसे के बल पर कैदियों को सुविधा मुहैया करायी जाती रही है. पैसे के बल पर लजीज व्यंजन के साथ ही गांजा, भांग व सिगरेट जेल के सेल में बंद कैदियों तक पहुंचती है. जबकि मोबाइल फोन व अन्य जरूरत के सामान भी कैदियों को जेल में सुलभ हो जाता है. मुंगेर जेल इस मामले में पूर्व से ही सुर्खियों में रहा है. वर्ष 2013 में तत्कालीन जिलाधिकारी नरेंद्र कुमार सिंह ने जेल में मोबाइल व अन्य आपत्तिजनक समान मिलने के मामले में जहां जेलर को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था. वहीं आपत्तिजनक समान जेल में पहुंचने के मामले में राज्य सरकार ने मुंगेर के जेलर आलोक कुमार को पिछले सप्ताह निलंबित कर दिया.
मुंगेर : मुंगेर मंडल कारा में जब भी छापेमारी की जाती है तो वहां से मोबाइल, गांजा व अन्य आपत्तिजनक समान की बरामदगी होती है. अब सवाल उठता है कि आखिर अतिसुरक्षित जेल में कैदियों को किस तरह से मोबाइल व अन्य सुविधाएं पहुंचायी जा रही है. जबकि बिना जिलाधिकारी के आदेश पर प्रशासनिक अधिकारी से लेकर थानों के पुलिसकर्मी भी जेल में प्रवेश नहीं कर पाते. बावजूद हाल के वर्षों में मुंगेर जेल में जब भी छापेमारी हुई है तो मोबाइल, गांजा, सिगरेट, भांग जैसे पदार्थ मिलते रहे हैं.
केस स्टडी -1
28 जुलाई 2015 को जिला बल के जवान लाल बाबु ठाकुर को कैदी को मोबाइल उपलब्ध कराते हुए गिरफ्तार किया गया था. उसके पास से सैमसंग कंपनी का दो मोबाइल भी बरामद किया गया. विदित हो कि जेल में बंद कैदियों को न्यायालय में उपस्थापन कराने के लिए लाल बाबु ठाकुर जेल से कैदी को लेकर न्यायालय आते थे. उन्होंने हथियार तस्करी के मामले में मंडल कारा में बंद रवि शर्मा को दो मोबाइल उपलब्ध कराने का प्रयास किया था. लेकिन वह पकड़ा गया.
केस स्टडी -2
मंडल कारा में तैनात नवनियुक्त जेलर आलोक कुमार को कैदियों को सिगरेट पहुंचाने के आरोप में निलंबित कर दिया गया. उन पर आरोप था कि कि 1600 रुपये का महंगा सिगरेट उन्होंने डेढ़ माह पूर्व कैदियों को उपलब्ध कराया था. जिसकी जांच जिलाधिकारी व एसपी ने की थी. जिसमें आरोप सत्य पाया गया. अधिकारियों ने उनके खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा की थी. जिसके आधार पर जेलर आलोक कुमार को तत्काल प्रभाव से जेल प्रशासन विभाग ने निलंबित कर दिया.
केस स्टडी -3
2 मई 2013 को तत्कालीन जिलाधिकारी नरेंद्र कुमार सिंह ने एसपी सहित दर्जन भर जिला एवं पुलिस अधिकारी के साथ जेल में छापा मारा था. जहां से 23 मोबाइल, 19 चार्जर, 80 पाकेट गुटका, दो चीलम, गांजा, मासिच, चाकू व कैंची बरामद किया गया था. जिसे देख डीएम व एसपी के होश उड़ गये थे. डीएम ने जेलर अरुण कुमार सिंह को इसके लिए जिम्मेदार ठहराते हुए गिरफ्तारी का आदेश दिया और तत्काल ही पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया था.

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