मुंगेर : राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने सात निश्चय में से पहला निश्चय पूर्ण शराबबंदी के रूप में पूरा किया. जिसके तहत नशे के गिरफ्त में फंसे मरीजों को इलाज के लिए जिले में नशामुक्ति केंद्र की स्थापना की गयी है. किंतु जिला स्वास्थ्य समिति की उदासीनता के कारण नशामुक्ति केंद्र में भरती होने वाले मरीजों को सरकार द्वारा उपलब्ध करायी गयी सारी सुविधा उपलब्ध नहीं हो पा रही है. यहां न सिर्फ दवाओं का अभाव है.
बल्कि मरीजों का इलाज करने के बजाय उन्हें रेफर किया जा रहा है. तारापुर प्रखंड के लौना गांव निवासी आनंदी बिंद के 35 वर्षीय पुत्र दर्शन बिंद को इलाज के लिए 11 अप्रैल को नशामुक्ति केंद्र में भरती कराया गया. जिसे 13 अप्रैल को ही इलाज के लिए भागलपुर रेफर कर दिया गया. आनंदी बिंद ने बताया कि उनका पुत्र पहले दिन-रात शराब के सेवन में लिप्त रहता था. जो भी कमाता था, वह उसे शराब में ही उड़ा देता था.
पिछले छह माह पूर्व उसने शराब पीना छोड़ दिया था. किंतु शराबबंदी के 20 दिन पूर्व से वह पुन: शराब पीना शुरू कर दिया. जैसे ही शराब मिलना बंद हुआ कि वह मानसिक रूप से बीमार हो गया तथा तरह- तरह की हरकत करने लगा. जिसके कारण उसे इलाज के लिए सदर अस्पताल लाया गया. इमरजेंसी वार्ड में प्राथमिक उपचार के उपरांत उसे चिकित्सक ने नशामुक्ति केंद्र में भरती कर दिया. किंतु उसे अभी होश भी नहीं आया है, बावजूद चिकित्सक ने इलाज के लिए उनके पुत्र को भागलपुर रेफर कर दिया.