मुंगेर : सदर अस्पताल में पिछले दस महीने में एक फीसदी महिलाओं का भी सीजिरियन प्रसव नहीं किया गया है. जबकि अस्पताल में दो-दो सर्जन चिकित्सक मौजूद हैं. हाल यह है कि सीजिरियन प्रसव का मामला आते ही गर्भवती महिला को रेफर कर दिया जाता है. जिसके कारण प्रसव के लिए परिजनों को निजी क्लिनिक का सहारा लेना पड़ता है.
सदर अस्पताल में आने वाले प्रसव पीडि़ता को यदि सर्जन की आवश्यकता होती है तो चिकित्सक व नर्स महिला के परिजनों को किसी निजी क्लिनिक में ले जाने की सलाह दे देते हैं. खास कर गरीब तबके के लोगों को सीजिरियन प्रसव के लिए मजबूरी में निजी क्लिनिक जाना पड़ता है. जहां उनसे 20-25 हजार रुपये तक ऑपरेशन व अन्य सुविधाओं के नाम पर ऐंठ लिया जाता है.
मालूम हो कि सदर अस्पताल में सीजिरियन प्रसव के लिए ऑपरेशन थियेटर की बेहतर व्यवस्था है. इतना ही नहीं ऑपरेशन करने के लिए दो-दो सर्जन चिकित्सक भी मौजूद हैं. बावजूद हर महीने लगभग दो सौ गर्भवती महिलाओं को प्रसव के लिए रेफर किया जाता है. पिछले दस महीने में सदर अस्पताल में कुल 4545 महिलाओं का प्रसव कराया गया. जिसमें मात्र 33 महिलाओं का सीजिरियन प्रसव किया गया.
वर्ष 2015 के अबतक के आंकड़ेमहीना सामान्य प्रसव सीजिरियन प्रसवजनवरी 484 2फरवरी 388 3मार्च 316 3अप्रैल 279 2मई 345 4जून 352 4जुलाई 566 5अगस्त 593 4सितंबर 591 4अक्तूबर 598 2कहते हैं अस्पताल उपाधीक्षकअस्पताल उपाधीक्षक डॉ राकेश कुमार सिन्हा ने बताया कि बिना वजह के महिलाओं को सीजिरियन प्रसव नहीं कराया जाता है. जरूरत पड़ने पर हर माह सीजिरियन प्रसव भी कराया गया है.