मुंगेर : मुंगेर किला परिसर में स्थित राजेंद्र उद्यान आज अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है. 29 लाख की लागत से बने इस उद्यान के रखरखाव की जिम्मेदारी वन एवं पर्यावरण विभाग की है. किंतु यहां आने वाले लोगों के लिए पेयजल व शौचालय तक की व्यवस्था नहीं है. उद्यान के सभी गेट में ताले लगे हैं और यहां पूरी वीरानी छायी हुई है.
वर्ष 2012-13 में मुख्यमंत्री नगर विकास योजना के तहत जिला शहरी विकास अभिकरण एजेंसी द्वारा राजेंद्र पार्क का निर्माण कराया गया था. 29 लाख 34 हजार 357 रुपये की लागत से बना यह पार्क आज बदहाल है. यहां न तो शौचालय की व्यवस्था है और न ही यहां पेयजल की. इतना ही नहीं पार्क अथवा आस-पास यूरिनल की भी व्यवस्था नहीं है.
पार्क की बदहाल स्थिति ऐसी है कि लोग यहां टहलने के बजाय खुले सड़कों पर ही टहलना मुनासिब समझते हैं. पार्क में लटका है ताला राजेंद्र पार्क में हमेशा ताला लटका रहता है. पार्क में प्रवेश करने के लिए तीन द्वार बनाये गये है. सभी में ताले लगे हुए हैं. लोग अगर अंदर भी जाना चाहे तो वे पार्क में नहीं घुस सकते. बच्चे की किलकारी भी पार्क में नहीं गूंजती है.
शुरुआती दौर में पार्क के रखरखाव एवं उसकी देखभाल होती थी. लेकिन वर्तमान स्थिति ऐसी है कि इस पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा. बदहाल है राजेंद्र उद्यान राजेंद्र उद्यान लोगों के लिए टहलने एवं बच्चों को खेलने के लिए बनाया गया है. लेकिन आज यह पुरी तरह बदहाल है. पार्क में बने पत्थर व टाइल्स के बेंच का टाइल्स भी उखड़ने लगा है. इतना ही नहीं पार्क की नियमित सफाई भी नहीं होती है. हालात ऐसी है कि पार्क में घुसने से भी लोग परहेज करते हैं. यहां लोगों के टहलने के लिए बनाया गया पथ पर धूल की परत जमी हुई है. जबकि योग व कसरत करने के लिए पार्क के मैदान में समुचित घास नहीं है.
जहां बैठ कर लोग घंटा-दो घंटा बिता सके. वन विभाग नहीं दे रहा ध्यान वन एवं पर्यावरण विभाग द्वारा पार्क को गोद लिया गया. इसकी देखरेख वन विभाग मुंगेर को करना है. लेकिन वन विभाग कोई ध्यान नहीं दे रहा है. हालात ऐसी है कि पार्क के अंदर किनारे-किनारे फूल व सजावटी पेड़ लगाने के लिए जमीन छोड़ा गया है. उस जमीन में कहीं-कहीं अशोक और अन्य प्रकार के पौधे लगे हुए हैं जो जमीन से ऊपर उठने का प्रयास कर रहा है. लेकिन सिंचाई एवं देखभाल के अभाव में वह पौधा जमीन में ही अपना दम तोड़ रहा है.