मुंगेर: नगर भवन के सभागार में सोमवार को मुख्यमंत्री तसर विकास परियोजना अंतर्गत एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. जिसका उद्घाटन जिलाधिकारी अमरेंद्र प्रसाद सिंह ने दीप प्रज्वलित कर किया. मौके पर उपविकास आयुक्त नागेंद्र कुमार सिंह, वरीय उपसमाहर्ता आशीष बरियार एवं वैज्ञानिक केके सिंह मुख्य रूप से मौजूद थे.
जिलाधिकारी ने कहा कि रेशम उद्योग के लिए भागलपुर वर्तमान समय में मुख्य क्षेत्र बना हुआ है. किंतु रेशम उद्योग के लिए मुंगेर में भी अपार संभावनाएं है. उन्होंने कहा कि उद्योग विभाग द्वारा कैमूर, नवादा, बांका एवं मुंगेर जिले में तसर की खेती के लिए योजनाएं चलायी गयी है. जिसमें चयनित किसानों को तसर की खेती के लिए अनुदान भी दिया जायेगा. इस योजना के लागू होने से मुंगेर के किसानों को एक नया रोजगार मिला है.
कैसे मिलेगा योजना का लाभ
सहायक उद्योग निदेशक मो. जाकिर हुसैन ने बताया कि वैसे किसान जिनके पास न्यूनतम 0.70 हेक्टेयर या उससे अधिक ऊंची जमीन हो और वे तसर पौधारोपण एवं कीटपालन के लिए इच्छुक होंगे. उन्हें इस योजना का लाभ निश्चित रूप से दिया जायेगा. उन्होंने कहा कि जिले के जलजमाव क्षेत्र जहां अजरुन एवं आसन्न के वृक्षारोपण की संभावना है वहीं पर इस योजना को संचालित किया जायेगा.
क्या है तसर विकास योजना
अग्र परियोजना पदाधिकारी प्रकाश चौधरी ने बताया कि नर्सरी एवं वृक्षारोपण के लिए प्रति हेक्टेयर 1965 पौधों के लिए 33,944 रुपये सहायता राशि विभाग द्वारा किसानों को दिया जायेगा. इसमें किसानों को 8519 रुपये अंशदान लगाना होगा. पौधा के रखरखाव के लिए प्रति हेक्टेयर प्रथम वर्ष 4587 रुपये विभाग द्वारा दिया जायेगा एवं 1786 रुपये किसानों को अंशदान लगाना है. दूसरे वर्ष विभाग द्वारा 6517 एवं अंशदान 2001 रुपये किसान को निजी खर्च करना होगा. उन्होंने बताया कि अंतर फसल के लिए प्रति हेक्टेयर विभाग द्वारा 3333 रुपये एवं किसानों को 667 रुपये अंशदान लगाना पड़ेगा. यह मात्र पहले वर्ष के लिए देय होगा. तसर कीट बीज उत्पादकों को बीजागार भवन निर्माण के लिए 50 हजार रुपये, उपकरण के लिए 27,500, प्रोत्साहन राशि 3000 रुपये एवं रसायन के लिए 2000 रुपये आवंटित किये जायेंगे.