मुंगेर : महापर्व छठ को लेकर शहर से लेकर गांव तक माहौल भक्तिमय है. वहीं बाजार में छठ की पूजन सामग्री की खरीदारी के लिए खरीदारों का जनसैलाब उमड़ पड़ा है. जिला मुख्यालय से लेकर प्रखंड मुख्यालयों के बाजार में तिल रखने की जगह तक नहीं है. वहीं जाम की स्थिति बनी हुई है.
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महंगाई पर आस्था पड़ी भारी, महापर्व पर जम कर हुई खरीदारी
मुंगेर : महापर्व छठ को लेकर शहर से लेकर गांव तक माहौल भक्तिमय है. वहीं बाजार में छठ की पूजन सामग्री की खरीदारी के लिए खरीदारों का जनसैलाब उमड़ पड़ा है. जिला मुख्यालय से लेकर प्रखंड मुख्यालयों के बाजार में तिल रखने की जगह तक नहीं है. वहीं जाम की स्थिति बनी हुई है. तारापुर […]
तारापुर बाजार में छठ को लेकर फल की कीमतों में उछाल रहा. लेकिन आस्था के आगे महंगाई फीकी पड़ गयी. बाजार में खरीदारी के लिए भीड़ इतनी अधिक थी कि हर तरफ जाम की स्थिति बनी रही. दो पहिया वाहन तो दूर पैदल चलना भी राहगीरों के लिए मुश्किल हो गया. वहीं तारापुर के थानाध्यक्ष शंकर दयाल प्रभाकर के नेतृत्व में पुलिसकर्मी ने जाम की स्थिति से निबटने के लिए कमान संभाल रहे.
असरगंज में महापर्व छठ के अनुष्ठान के दूसरे दिन बुधवार की शाम छठ व्रतियों ने खरना का प्रसाद बनायी और भगवान भास्कर को भोग लगाया. तत्पश्चात प्रसाद ग्रहण की. वहीं बाजार में पूजन सामग्री की खरीदारी के लिए लोगों की भीड़ लगी रही. सड़कों पर स्थायी व अस्थायी दुकानें लगायी गयी है. जहां नारियल, नीबू, सेब, केला, ईख सहित अन्य पूजन सामग्री से पटा है. खरीदारी को लेकर बाजार में भर दिन जाम की स्थिति बनी रही.
संग्रामपुर प्रखंड में छठ के मधुर गीतों से पूरा क्षेत्र भगवान सूर्यदेव की उपासना में तल्लीन रहे. चार दिन के इस कठिन अनुष्ठान के दूसरे दिन बुधवार की संध्या व्रतियों द्वारा खरना पर सूर्यदेव को पारंपरिक प्रसाद का भोग लगाने के बाद 36 घंटे का निर्जला उपवास प्रारंभ हो गया. प्रकृति के अक्षुण्ण देव भगवान सूर्य के प्रसाद बनाने में महिलाएं भर दिन लगी रही.
व्रतियों ने चावल, चने की दाल, शुद्ध घी से तैयार चुपड़ी रोटी, गन्ने के गुड़ से रसिया बनाया गया. गोधूलि वक्त लकड़ी पर भगवान सुर्य के रूप को स्थापित कर व्रतियों द्वारा बिना किसी पंडित या मंत्र के पारंपरिक रूप से दीप अर्पित कर पूजा के बाद प्रसाद का भोग लगाया. खरना के समय व्रतियों की एकाग्रता भंग न हो इस बात का परिवार के सभी सदस्य पूरा-पूरा ख्याल रखते हैं. खरना भोग के बाद परिवार के सभी लोग पूरी निष्ठा से प्रसाद का ग्रहण करते हैं.
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