मधुबनी : जिले के 151 नवसृजित भूमिहीन विद्यालयों का अस्तित्व अब समाप्त हो जाएगा और इन्हें पूर्व से शिफ्ट बगल के विद्यालयों में समायोजित कर दिया जाएगा. यह निर्देश राज्य मध्याह्न भोजन योजना समिति के निदेशक ने सभी विभागीय जिला कार्यक्रम पदाधिकारी को सरकार के उप सचिव शिक्षा विभाग बिहार सरकार के लिए गए निर्णय के अनुसार दिया है. सरकार व विभाग द्वारा यह निर्णय वर्षो से नवसृजित प्राथमिक भूमिहीन एवं भवनहीन विद्यालयों का बीईपी द्वारा इसके प्रासंगिकता का मूल्यांकन कराने के बाद लिया गया है. जिससे भारी मशक्कत के बाद स्वीकृति इन विद्यालयों का लाभ अब उस मुहल्ले के बच्चों को नही मिल पाएगा. जिनकी सुविधा के लिए 300 की आबादी पर एक विद्यालय यूनिट की स्वीकृति दी गई थी.
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151 विद्यालयों का अस्तित्व समाप्त, होंगे समायोजित
मधुबनी : जिले के 151 नवसृजित भूमिहीन विद्यालयों का अस्तित्व अब समाप्त हो जाएगा और इन्हें पूर्व से शिफ्ट बगल के विद्यालयों में समायोजित कर दिया जाएगा. यह निर्देश राज्य मध्याह्न भोजन योजना समिति के निदेशक ने सभी विभागीय जिला कार्यक्रम पदाधिकारी को सरकार के उप सचिव शिक्षा विभाग बिहार सरकार के लिए गए निर्णय […]
क्या है मामला. दरअसल जिले के विद्यालय विहीन तीन सौ आबादी वाले मुहल्ले में 676 नवसृजित स्कूलों की स्वीकृति वर्ष 2006 से अब तक दी गई थी. जिसमें स्थानीय समाज, अंचल और भू-स्वामी द्वारा भूमि दी गई वहां इन वर्षो में 5259 विद्यालयों को भवन सहित अन्य सुविधाओं से लैस कर दिया गया. लेकिन, इतने वर्षो बाद भी जहां समाजिक लोगों, जनप्रतिनिधियों एवं अंचल प्रशासन द्वारा जमीन नही उपलब्ध कराया गया. वैसे 151 नवसृजित विद्यालयों आवंटन के बाद भी भूमिहीन एवं भवनहीन बना हुआ है. बाद में विभागीय निर्देशानुसार इन स्कूलों से राशि वापसी कराकर यूनिट को बगल के विद्यालय में शिफ्ट कर दिया गया.
एचएम की कुर्सी खतरे में. पूर्व से शिफ्ट भवनयुक्त विद्यालयों में समायोजित करने के निदेश से जहां इनके एचएम की कुर्सी भी खतरे में पड़ गई.
वहीं अब इस यूनिट के नाम से किसी भी मद की राशि सरकार या विभाग द्वारा अलग से नही दी जाएगी. बल्कि ऐसे विद्यालयों के शिक्षक छात्र-छात्रा, रसोईया सभी को शिफ्ट वाले विद्यालयों के नाम से ही जाना जाएगा. जिससे मध्याहन भोजन, पोशाक, छात्रवृति, रसोईया मानदेय, विकास, मरम्मत, टीएलएम आदि की राशि अब मूल विद्यालय शिक्षा समिति के ही खाते में जाएगी और इसे मूल विद्यालयों के नाम से ही जाना जाएगा. साथ ही इन विद्यालयों के लिए गठित शिक्षा समिति भी यूनिट समाप्ति के साथ ही विलोपित हो जाएगा.
शिक्षकों के बल्ले-बल्ले. वैसे भूमिहीन एवं भवनहीन विद्यालयों के शिक्षक एवं शिक्षिका जिसे बगल के मध्य विद्यालयों में शिफ्ट किया गया है या बीईओ द्वारा समायोजित किया जाएगा वो अब पंचायत के बदले प्रखंड शिक्षक बन जाएंगे. यह वैसे शिक्षकों के लिए अतिरिक्त तोहफा हुआ
सालों बाद नहीं मिली जमीन तो सरकार ने समायोजन
का दिया निर्देश
नवसृजित िवद्यालय आवंटन के बाद भी बने हुए हैं भवनहीन
5259 विद्यालयों को किया गया सुविधाओं से लैस
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