मधुबनी : यदि पहल सार्थक हो और ईमानदारी से समस्या को दूर करने की कोशिश की जाये तो हर मुश्किल आसान हो जाता है. शहर के करीब दस मुहल्लों से जिस जल निकासी की पहल बीते दस साल से की जा रही थी वह पहल अंतत: शनिवार को धरातल पर उतर सका. नप के मुख्य पार्षद के पहल पर रेलवे के बाउंड्रीवाल को तोड़ कर नाले की सफाई की गयी.
नाला सफाई होते ही जल की निकासी तेज गति से होने लगी. शनिवार की सुबह सात बजे रेलवे के अभियंता एवं नगर परिषद के मुख्य पार्षद के प्रतिनिधि निर्मल राय, वार्ड सात के वार्ड आयुक्त सुरेंद्र मंडल के समक्ष मजदूरों ने रेलवे के दीवार को तोड़कर जेसीबी जाने लायक रास्ता बनाया गया. इसके बाद नाले की सफाई की गयी.
रेलवे स्टेशन के समीप जाम था नाला. शहर में जल जमाव से मुक्ति के लिए रेलवे के नाले के उड़ाही के संबंध में नगर परिषद के अध्यक्ष सुनैना देवी ने कहा कि नाला रेलवे की जमीन में पड़ता है इसलिए नगर परिषद प्रबंधन को सफाई में मुश्किल हो रहा था. वहां दीवार रहने के कारण मजदूर या मशीन से सफाई नहीं हो पाती थी. इस परेशानी के निदान का एक मात्र उपाय था कि रेलवे के बाउंड्रीवाल को तोड़ कर उसकी सफाइ हो. नप प्रशासन ने रेलवे के अधिकारियों से वार्ता कर दीवार तोड़ने का प्रस्ताव दिया. जिसे विभाग ने मान लिया. इसके बाद दीवार को तोड़कर नाले की सफाई जेसीबी से कराया गया है. तोड़े गये दीवार को पुन: नगर परिषद अपने खर्चे पर जुड़वा देगी.
काश पहले होता यह इंतजाम. विनीत कुमार झा ने कहा कि तीन माह पूर्व जुलाई में ही यदि सफाई हो जाती तो तीन माह लोगों को जल जमाव से नहीं जूझना पड़ता. सेवानिवृत्त बैंक कर्मी सुनील चंद्र मिश्रा ने कहा कि नगर परिषद के अध्यक्ष व वार्ड पार्षद सुरेंद्र मंडल की पहल सराहनीय है. इस मौके नीतीश मिश्रा, सुभाष मिश्रा सहित कई कॉलोनियों के निवासी भी उपस्थित थे.
रेलवे की दीवार तोड़ कर हुई नाले की सफाई
इन मुहल्लों से निकलेगा पानी. वार्ड पार्षद सुरेंद्र मंडल ने कहा कि रेलवे के नाला की सफाई से शहर की आधी आबादी के जल निकासी की समस्या का समाधान होगा. कहा कि लहेरियागंज, बैंकर कॉलोनी, शंकर चौक क्षेत्र, मोमिन टोल, धोबिया टोली, कुमर टोली, प्रोफेसर कॉलोनी, बीएन झा कॉलोनी, बस स्टैंड, मैक्सी स्टैंड, स्टेशन मोहल्ला में लगे जल जमाव का निकासी होगी.
काफी प्रयास से हुआ संभव
सालों से विनोदानंद कॉलोनी से जलनिकासी की पहल की जा रही थी. वर्तमान मुख्य पार्षद के पहल पर यह संभव हो सका है.
जटाशंकर झा, कार्यपालक पदाधिकारी
10 वर्ष बाद हुई नाले
की उड़ाही
शहर की करीब 25 हजार की आबादी जल जमाव से परेशान है. शायद ही ऐसा कोइ साल होता हो जिस साल शहर के इतने बड़े आबादी परेशान न होती हो. इस साल यह समस्या कुछ अधिक ही रहा. बारिश इस कदर हुई और जल निकासी का कोई इंतजाम नहीं रहने के कारण कई लोगों को अपना घर छोड़ कर जाना पड़ा. ऐसा शायद पहली बार हुआ कि विनोदानंद झा कॉलोनी के लोग विस्थापित हो गये. इस समस्या को नप प्रशासन ने गंभीरता से लिया और जल निकासी के लिये विकल्प की तलाश शुरू कर दी.