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पहले नदी को लील गये, अब हवा में घोल रहे जहर

पहले नदी को लील गये, अब हवा में घोल रहे जहर

मधेपुरा. गांव-गांव में स्वच्छता को लेकर कचरे के उठाव की प्रक्रिया सरकारी स्तर पर संचालित है, लेकिन शहर में जलता कचरा लगातार वातावरण को प्रदूषित कर रहा है. सुखासन नदी किनारे अभी भी शहर का अवैध डंपिंग जोन बना हुआ है. नदी में फेंके गये कचरे के टीले से निकल रही बदबू से निजात पाने के उद्देश्य से लोग इसमें आग लगा रहे हैं, लेकिन इन कचरे में लगाये गये आग से निकलने वाला धुआं शहर की हवा में जहर घोल रहा है. इस पर नियंत्रण की दिशा में कोई पहल प्रशासनिक स्तर पर नहीं हो रही है. यही हाल रहा, तो जल्द हवा इस कदर प्रदूषित हो जायेगी, जिससे सांस लेना भी मुश्किल हो जायेगा. बदबू से होती है परेशानी- कचरे में आग लगाने वाले लोगों का कहना है कि घर के पीछे नदी में कचरे के ढेर के कारण हमेशा बदबू आता रहता है, जिससे निजात का और कोई रास्ता नहीं बचा है. वे लोग इसे मजबूरी का नाम देकर शहर की हवा में जहर घोल रहे हैं, लेकिन कचरे की डंपिंग से लेकर निष्पादन तक की जिम्मेदारी निर्वहन करने वाला नगर परिषद इस दिशा में मौन बना है. पहले नदी को लील गए, अब हवा में घोल रहे जहर. संकुचित हो गयी है नदी- इसे लेकर कागजों पर प्रतिदिन कार्य होता है, लेकिन जिले में इसके तहत किये गये कार्य का हाल यह है कि पहले लोग नदी को लीलने में कोई कोर कसर नहीं छोड़े, अब हवा में जहर घोलने में जुट गये हैं. नदी को अतिक्रमण कर उसे संकुचित कर दिया गया, उसके बाद कचरे का ढेर लगा कर नदी की धार को हद तक कुंद कर दिया गया. अब जब फेंके गये कचरे से दुर्गंध आने लगी, तो उसे जलाकर हवा को प्रदूषित करने में लगे हैं. जल और जीवन दोनों पर ही हमला जारी है ऐसे में यहां हरियाली की परिकल्पना भी बेमानी होगी.

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