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महिलाओं ने पुत्र की लंबी उम्र के लिए किया निर्जला व्रत
मधेपुरा : संतान की लंबी उम्र की कामना के साथ महिलाएं जीवित पुत्रिका व्रत शुक्रवार से आरंभ की. यह पर्व आश्विन महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को पुत्र के आरोग्य लाभ तथा सर्व विध कल्याण के लिए जीवित पुत्रिका, जिउतिया या जीमूत वाहन व्रत किया जाता है. शुक्रवार को सप्तमी तिथि सुबह 8:59 […]
मधेपुरा : संतान की लंबी उम्र की कामना के साथ महिलाएं जीवित पुत्रिका व्रत शुक्रवार से आरंभ की. यह पर्व आश्विन महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को पुत्र के आरोग्य लाभ तथा सर्व विध कल्याण के लिए जीवित पुत्रिका, जिउतिया या जीमूत वाहन व्रत किया जाता है.
शुक्रवार को सप्तमी तिथि सुबह 8:59 बजे समाप्त हो रही है और अष्टमी लग जा रही है. दूसरे दिन 24 सितंबर को उदया अष्टमी प्रातः 6:59 बजे तक रहती है. शनिवार को जीवित पुत्रिका व्रत का पारण सुबह 6:59 बजे के बाद होगा. हर मां की चाहत होती है उनकी संतान दीर्घायु हो और उनका जीवन सुखमय बीते. इसके लिए माताएं व्रत रखती हैं. ऐसा ही एक व्रत है जिसके बारे में कहा जाता है कि जो माताएं यह व्रत रखती हैं उनकी संतान दीर्घायु होती है और उन्हें अल्पायु में संतान की मृत्यु का कष्ट नहीं सहना पड़ता है.
क्या है पूजन का विधान : व्रती प्रदोष काल में गाय के गोबर से आंगन को लीपने के बाद परिष्कृत करके छोटा सा तालाब भी जमीन खोद कर बनाने चाहिए. तालाब के निकट एक पाकड़ की डाल लाकर खड़ा कर शालिवाहन राजा के पुत्र धर्मात्मा जीमूतवाहन की कुश निर्मित मूर्ति जल या मिट्टी पात्र में स्थापित कर पीली व लाल रूई से अलंकृत कर धूप, दीप, अक्षत, फूल, माला एवं विविध प्रकार के नैवेद्यों के साथ पूजन करना चाहिए.
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