अमन कुमार, मधेपुरा : सदर अस्पताल में सरकार ने लोगों के स्वास्थ्य के लिए सरकारी अस्पतालों में विभिन्न स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध करा रही है. जिला मुख्यालय में स्थित सदर अस्पताल में 40 से 45 बेड की सुविधा उपलब्ध है, लेकिन अन्य सरकारी सुविधाओं की समुचित व्यवस्था नहीं होने के कारण मरीजों को असुविधा का सामना करना पड़ रहा है. सदर अस्पताल में लगभग दो वर्षों से मरीजों को अल्ट्रासाउंड की सुविधा नहीं मिलने से आर्थिक परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
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सदर अस्पताल में नहीं है अल्ट्रासाउंड की व्यवस्था, मरीजों का हो रहा शोषण
अमन कुमार, मधेपुरा : सदर अस्पताल में सरकार ने लोगों के स्वास्थ्य के लिए सरकारी अस्पतालों में विभिन्न स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध करा रही है. जिला मुख्यालय में स्थित सदर अस्पताल में 40 से 45 बेड की सुविधा उपलब्ध है, लेकिन अन्य सरकारी सुविधाओं की समुचित व्यवस्था नहीं होने के कारण मरीजों को असुविधा का सामना […]
पूर्व में प्राइवेट कर्मचारी से सदर अस्पताल में अल्ट्रासाउंड करवाया जा रहा था, लेकिन बाद में वह अल्ट्रासाउंड से संबंधित जितने भी कागजात थे सभी अपने साथ ले कर चले गये. प्रति दिन लगभग 25 से 30 मरीज अल्ट्रासाउंड के लिए अन्यत्र रेफर किया जाता है.
शोभा की वस्तु बनी है अल्ट्रासाउंड मशीन : सदर अस्पताल में अल्ट्रासाउंड मशीन शोभा की वस्तु बनी हुई है, लेकिन इसका इंस्टॉलेशन अभी तक नहीं हो सका है.
इसके चलते मरीजों को अल्ट्रासाउंड बाजार में खुले बहारी सेंटर में कराना पड़ रहा है. सदर अस्पताल में सबसे ज्यादा परेशानी महिलाओं को प्रसव जांच के लिए होती है. शनिवार को सदर अस्पताल में आये कई महिला मरीजों ने बताया कि अल्ट्रासाउंड की व्यवस्था नहीं होने से परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
साथ ही सात सौ से आठ सौ रुपये खर्च लग रहा है. बहार अल्ट्रसाउंड कराने के लिए अस्पताल में दलाल मौजूद रहते है. जैसे ही वो अस्पताल के पुर्जे ने अल्ट्रसाउंड लिखे देखते है तो उसे अपने साथ बहारी निजी अल्ट्रसाउंड सेंटर लेकर चले जाते है. वही लोगों की माने तो गांव से जांच कराने आयी महिला व पुरुषों को सदर अस्पताल से मायूस होकर लौटना पड़ रहा है.
निजी क्लिनिक में मरीजों को होता है शोषण
सदर अस्पताल से बाहर भेजे गये मरीजों का निजी अल्ट्रासाउंड में अधिक पैसे लिया जाता है. एक मरीज ने नाम नहीं छापने के शर्त पर कहा कि निजी अल्ट्रासाउंड सेंटर पर छह सौ से आठ सौ रुपये तक लिये जाते है. मरीज ने बताया कि मेहनत मजदूर कर एक दिन का दो सौ रुपये मिलते है. इस स्थिति अत्यधिक पैसे खर्च होने से आर्थिक परेशानी हो रही है.
अस्पताल में जहां मरीजों का मुफ्त अल्ट्रासाउंड होता, लेकिन निजी क्लिनिक में अधिक पैसे दिये जाते है. प्रबंधक की लापरवाही के कारण रोजाना लोगों को 24-25 हजार रुपये की वसूली होती है. इससे निजी अल्ट्रासाउंड सेंटरों की चांदी कट रही है.
सदर अस्पताल में अल्ट्रासाउंड की सेवा पिछले दो साल से बंद है, लेकिन छह महीने पहले मशीन उपलब्ध करायी गयी है. मशीन को चलाने वाले ऑपरेटर नहीं होने के कारण अल्ट्रासाउंड मशीन का संचालन नहीं हो पा रहा है.
अल्ट्रासाउंड की सेवा मरीजों को उपलब्ध कराने के सभी प्रयास किये जा रहे हैं. ताकि मरीज सरकार की संचालित सभी स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ पूरी तरह से प्राप्त कर सकें. जल्द ही सदर अस्पताल में अल्ट्रसाउंड सुविधा मिलेगी.
डॉ सुभाष चंद्र श्रीवास्तव , सिविल सर्जन
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