विरोध. अनिश्चित कालीन हड़ताल पर गये निर्माण सामग्री विक्रेता
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जिले में ठप पड़ा भवन व सड़क निर्माण कार्य
विरोध. अनिश्चित कालीन हड़ताल पर गये निर्माण सामग्री विक्रेता सरकार की बालू नीति पर जता रहे हैं विरोध कहा, सरकार जब तक हमारी मांग नहीं सुनती जारी रहेगी हड़ताल मधेपुरा : सरकार की बालू नीति पर विरोध जताते हुए जिले के भवन निर्माण सामग्री दुकानदार गुरुवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गये. इनके हड़ताल पर […]
सरकार की बालू नीति पर जता रहे हैं विरोध
कहा, सरकार जब तक हमारी मांग नहीं सुनती जारी रहेगी हड़ताल
मधेपुरा : सरकार की बालू नीति पर विरोध जताते हुए जिले के भवन निर्माण सामग्री दुकानदार गुरुवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गये. इनके हड़ताल पर जाने से जिले भर में भवन व पीसीसी सड़क के अलावे अन्य निर्माण कार्य पूर्णत: ठप पड़ गया. इससे पहले हड़ताल को सफल बनाने के लिए भवन निर्माण सामग्री संघ की जिला कमेटी ने बैठक की. जिला संघ ने कहा कि सरकार की इस तरह की नीति के खिलाफ सभी दुकानदार अपनी अपनी दुकान बंद रखेंगे. उन्होंने कहा कि हम शांतिपूर्ण तरीके से इस नीति के खिलाफ पूर्ण रूपेण अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं. जब तक सरकार हमारी मांगों को लेकर नहीं सुनती तब तक हड़ताल पर रहेंगे.
चूंकि सरकार की इस नीति ने भूखे मरने की हालत कर दी है. बैठक में जिले व प्रखंड के सभी भवन निर्माण सामग्री दुकानदार उपस्थित थे. इधर, भवन निर्माण सामग्री दुकानदार की हड़ताल को लेकर आमलोग काफी परेशान नजर आये. कुछ लोग तो एक एक एक बोरी सीमेंट और बालू के लिए दुकान दुकान भटकते रहे पर कुछ भी हासिल नहीं हुआ. आम जनों से बात करने पर मकान निर्माण कर रहे शिवम कुमार ने कहा कि उनके घर का काम आधा हो चुका है अगर यही हालत रही तो फिर घर कब बनेगा पता नहीं. इस तरह कई भवन निर्माता परेशान भटकते रहे. किसी का घर का काम शुरू हुआ था तो किसी का छत बाकी था या फिर अधूरा था कुछ लोग का तो यह भी कहना है कि उन्होंने घर बनाने के लिए मजदूरों को बुला लिया और सामग्री मिल नहीं रही है.
अब तो पूरे दिन की मजदूरी भी देनी पड़ेगी और काम भी नहीं होगा. इस हड़ताल के कारण कई मजदूर भी काम तलाशते रहे लेकिन कोई भी काम देने को तैयार नहीं था. इसका कारण है कि एक डिपो के खुलने से सैकड़ों मजदूरों को रोजगार मिलता है. इससे वे अपने घर के सदस्यों का पेट भर पाते हैं. चूंकि डिपो खुलने के बाद सामग्री खदानों से उठ कर डिपो तक और डिपो से भवन निर्माता तक पहुंचाने में मजदूरों को काम मिलता है. भवन निर्माण में भी तो कई मजदूर और ठेकेदार को भी काम मिलता है लेकिन अभी ऐसी स्थिति है कि सभी डिपो बंद होने के कारण सभी काम बंद पड़ा हुआ है और मजदूर को भी काम नहीं मिल रहा है.
इस हड़ताल के पीछे डिपो मालिक या फिर सरकार की जो भी मनसा रही हो, लेकिन आमजन और मजदूरों का तो नुकसान ही नुकसान है. इस हड़ताल के कारण कई ट्रक और ट्रैक्टर मालिक भी नाखुश थे. उनका कहना था कि अगर यह हड़ताल ऐसी ही रही तो काम की तंगी हमारी कमर ही तोड़ कर रख देगी.
क्या है सरकार की बालू नीति
एक दिसंबर से सूबे में लघु खनिजों की खुदरा बिक्री करने वाले लाइसेंसधारी को केवल बालू और पत्थर की बिक्री करने का इजाजत होगी. वैसे किसी भी बंदोबस्तधारी को बालू व पत्थर की बिक्री का लाइसेंस नहीं दिया जायेगा जिन्हें विभाग ने इसके खनन का लाइसेंस जारी कर रखा है. इतना ही नहीं लघु खनिजों की खुदरा बिक्री के लाइसेंसधारी झारखंड सहित अन्य पड़ोसी राज्यों से बालू व पत्थर की खरीद तो कर सकते हैं लेकिन उन्हें बिहार से बाहर दूसरे राज्यों में बिक्री की इजाजत नहीं होगी.
खान एवं भूतत्व विभाग ने एक दिसंबर से राज्य में लघु खनिजों की खुदरा बिक्री के लिए दी जाने वाली लाइसेंस की सेवा शर्त जारी कर दी है. वहीं विभाग ने जिलाधिकारी को विस्तृत दिशा निर्देश उपलब्ध करा दिया है. इसमें लघु खनिजों की बिक्री करने वाले लाइसेंसधारियों को बालू व पत्थर की बिक्री करने पर कमीशन की राशि भी तय कर दी गयी है. विभाग के अनुसार लघु खनिजों के खुदरा लाइसेंसधारी अपने जिले से बाहर पूरे राज्य में लघु खनिजों की बिक्री कर सकते हैं.
इन्हें लघु खनिजों की बिक्री में आठ प्रतिशत का कमीशन देय होगा. जबकि बिहार राज्य खनिज निगम को इसमें पांच प्रतिशत का कमीशन मिलेगा. नयी नियमावली में इन्हें बालू व पत्थर की कीमत अाग्रिम रूप से स्वीकार करने की छूट नहीं होगी. जबकि लघु खनिजों के निर्धारित मूल्य में ग्राहक के स्थल तक पहुंचाने का परिवहन शुल्क भी शामिल होगा.
बिहार लघु खनिज नियमावली 2017 की धारा 31 में प्रावधान किया गया है कि बालू व पत्थर खनन का लाइसेंस लेने वाला कोई भी व्यक्ति या एजेंसी को लघु खनिजों की खुदरा बिक्री का लाइसेंस नहीं दिया जा सकता है. जबकि खुदरा बिक्री करने वाले लाइसेंसधारियों को यदि किसी अन्य राज्य से लघु खनिज मंगाने की जरूरत होती है तो इसके लिए अनुज्ञप्तिधारी को अपने जिले में बिहार राज्य खनिज निगम के कार्यालय से अनुमति लेनी होगी. इसके साथ ही खरीदे गये खनिजों की कुल कीमत की पांच प्रतिशत राशि जमा करनी होगी.
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