मधेपुरा : भूपेंद्र नारायण मंडल विवि में मेडिकल की परीक्षा का प्रश्नपत्र लीक होने के मामले में कार्यवाहक कुलपति प्रो आरएन मिश्र द्वारा प्रतिकुलपति प्रो जेपी एनझा पर इस मामले की साजिश करने का आरोप लगाने के बाद प्रो वीसी ने सोमवार को प्रेस वार्ता कर इन आरोपों का विरोध जताया और कहा कि वह कार्यवाहक कुलपति के खिलाफ मान-हानि का दावा पेश करेंगे.
उन्होंने कहा कि कुलपति का यह बयान विरोधभासी है. प्रश्नपत्र लीक होने के मामले में कुलपति ने पहले ही कहा है कि आर्थिक अपराध इकाई की टीम द्वारा लाये गये प्रश्नपत्र से वास्तविक प्रश्नपत्र मेल नहीं खाते. जिस प्रश्नपत्र को लीक बताया जा रहा है वह सजेशन मात्र है. अगर यह सच है तो प्रश्नपत्र लीक होना किसी की साजिश कैसे हो सकती है. हां अगर सचमुच प्रश्नपत्र लीक हुए हैं तो कुलपति में इसे स्वीकार करने का नैतिक साहस होना चाहिए.
प्रेस वार्ता में प्रो वीसी डॉ झा ने कहा कि विवि अधिनियम के अनुसार विवि में होने वाली किसी भी परीक्षा का नियामक एवं संचालक प्रो वीसी होता है. लेकिन इस विवि में यह विडंबना रही कि उन्हें योगदान करने से ले कर आज तक परीक्षा संबंधी एक भी संचिका नहीं दी गयी. नियम विरुद्ध अधिकार से वंचित रखने पर प्रतिकुलपति ने इस संबंध में वीसी सहित राजभवन को भी अवगत कराया. कोई कार्रवाई नहीं होने पर अंतत: उन्हें कोर्ट का शरण लेना पड़ा. कार्यवाहक कुलपति ने इस संबंध में उन्हें जवाब भी भेजा था जिसका आशय था कि उनकी मंशा मान्य नहीं है.
लंबित है अब तक परीक्षाएं
विवि में स्नातक और पीजी, पीजी प्रीवियस की परीक्षाएं जून तक हो जानी चाहिए थी लेकिन आठ महीना बाद भी परीक्षाएं आयोजित नहीं की गयी हैं. प्रो वीसी ने कहा कि प्रश्नपत्र लीक होने का संदेह इसलिए भी होता है कि इतनी सारी परीक्षाएं छोड़ कर क्यों समय पर मेडिकल की परीक्षाएं आयोजित की गयी. क्या अन्य विषयों और वर्गो के छात्रों का भविष्य महत्वपूर्ण नहीं है.
मेडिकल परीक्षा में हुई गड़बड़ी
प्रतिकुलपति ने कहा कि कटिहार मेडिकल कॉलेज एवं किशनगंज स्थित मेडिकल कॉलेज में मेडिकल की परीक्षा से पहले वीसी ने विशेष आंतरिक विमर्श की थी. इसके बाद अपने चचेरे भाई के पुत्र कनीय प्राध्यापक डा अतुल मिश्र को परीक्षा समन्वयक बना कर उत्तर पुस्तिका जांच करायी गयी. वहीं आर्थिक अपराध इकाई की जांच में भी यह बात सामने आयी कि मेडिकल परीक्षा के प्रश्नपत्र सेटिंग से लेकर प्रकाशन तक में कुलपति की भूमिका थी. नियमानुसार प्रश्नपत्र राज्य से बाहर प्रिंटिंग होना है लेकिन नियम विरुद्ध इसकी छपाई स्थानीय स्तर पर ही करायी गयी. प्रति कुलपति ने कहा कि कार्यवाहक कुलपति के पद अवनति के बावजूद कुलपति बनने के खिलाफ जगन्नाथ ठाकुर ने माननीय सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है, जिस पर आगामी सात अप्रैल को सुनवाई होनी है.