मामला कस्तूरबा िवद्यालय का . वार्डेन व संचालक के बीच चल रहा है विवाद
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बच्चियों के भविष्य के साथ हो रहा खिलवाड़
मामला कस्तूरबा िवद्यालय का . वार्डेन व संचालक के बीच चल रहा है विवाद शंकरपुर : सरकार भले ही गरीब घर के बच्चियों के शिक्षा के लिए जिले के प्रखंडों में कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय खोलकर गरीब, महादलित, बीपीएल अल्पसंख्यक परिवार की बच्चियों को आठवीं कक्षा तक मुफ्त शिक्षा आवासीय के साथ देने का […]
शंकरपुर : सरकार भले ही गरीब घर के बच्चियों के शिक्षा के लिए जिले के प्रखंडों में कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय खोलकर गरीब, महादलित, बीपीएल अल्पसंख्यक परिवार की बच्चियों को आठवीं कक्षा तक मुफ्त शिक्षा आवासीय के साथ देने का प्रावधान है, लेकिन शंकरपुर प्रखंड के मधैली बाजार के गरीब चंद मध्य विद्यालय के प्रांगण स्थित कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय अपने आप में ही कुपोषण का शिकार होकर रह गया है.
विद्यालय के वार्डेन व संचालक के बीच चल रहे आरोप प्रत्यारोप के कारण विद्यालय का विकास भगवान भरोसे चल रहा है. ज्ञात हो कि उक्त विद्यालय वार्डेन मधु कुमारी व संचालक प्रभु दयाल दास के बीच चल रहे विवाद की गूंज महामहिम राज्य पाल के प्रधान सचिव तक पहुंच चुकी है. वार्डेन की कार्य प्रणाली से क्षुब्ध होकर उक्त विद्यालय के संचालक सह गरीब चंद मध्य विद्यालय के प्रधानाध्यापक प्रभुदयाल दास ने बिहार के राज्यपाल के मुख्य सचिव राज्य भवन पटना से लेकर सचिव राज्य अनुसूचित जाति आयोग बिहार,
मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव, मुख्य सचिव बिहार, राज्य परियोजना निदेशक पटना, जिला पदाधिकारी मधेपुरा, जिला शिक्षा पदाधिकारी मधेपुरा, जिला कार्यक्रम पदाधिकारी मधेपुरा, प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी शंकरपुर समेत तमाम विभागीय पदाधिकारी को अपना पत्र दिया है. लेकिन अब तक इस मामले को लेकर किसी ने कुछ नहीं किया है.
संचालक पर मधेपुरा के एक महिला के द्वारा वकालत नामा नोटिस भेजकर लगाया गंभीर आरोप. 26 जुलाई 2016 को मधेपुरा वार्ड नंबर दो के एक महिला ने अधिवक्ता के माध्यम से एक वकालनामा नोटिस भेजकर कहा था कि शंकरपुर प्रखंड स्थित गरीब चंद मध्य विद्यालय के प्रधानाध्यापक प्रभुदयाल दास मुझे सिंहेश्वर स्थित एसबीआइ के शाखा में मुलाकात हुई थी. मुलाकात के समय ही मुझे नाश्ता के दुकान में नाश्ता कराने ले गयी. इसी दौरान बात में उक्त व्यक्ति ने कहा कि मैं अकेले झारकहा में रहता हूं.
तुम मेरे साथ रहोगी तो हमलोगों का समय अच्छा कटेगा तो मैं प्रभुदयाल दास के साथ झारकहा में आठ महीना तक रही. उसके बाद में उक्त व्यक्ति पर शादी करने का दबाव बनाने लगा तो मेरे साथ मारपीट कर वहां से भगा दिया गया. आप पात्र प्राप्ति के 15 दिनों के अंदर अपना जवाब दें. इस बाबत गरीब चंद मध्य विद्यालय के प्रधानाध्यापक सह कस्तूरबा संचालक प्रभुदयाल दास ने बताया कि कस्तूरबा विद्यालय के वार्डेन की क्रियाकलाप को लेकर यहां से हटाने को लेकर आलाधिकारी को पत्र भेजा गया था. उसी से आक्रोशित होकर वार्डेन व वार्डेन के अधिवक्ता पति के एक महिला से गलत आरोप लगाया गया है. उन्होंने कहा वे ईश्वर से आस्था रखकर ब्रह्मचर्य जीवन व्यतीत करते हैं. अब तो नौकरी के भी अंतिम पड़ाव पर हूं.
ग्रामीणों ने कहा वार्डेन की कार्यशैली नहीं है अच्छा. वही स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि वार्डेन की कार्यशैली अच्छा नहीं रहा है. इस कारण कस्तूरबा विद्यालय की स्थिति दिन प्रतिदिन बद से बदत्तर बनता जा रहा है. अगर इसी तरह की स्थिति बनी रही तो एक बड़ी अनहोनी से इनकार नहीं किया जा सकता है. जिसका खामियाजा इस विद्यालय में अध्ययनरत छात्रा को भुगतना पर सकता है. इस लिए जिला पदाधिकारी मधेपुरा से इस मामले में हस्तक्षेप कर निदान करने की मांग की है.
डीएम ने जांच रिपोर्ट के आधार पर दो माह पूर्व दिया था हटाने का आदेश. डीएम मो सोहैल द्वारा जिले के 13 कस्तूरबा विद्यालय का निरीक्षण अधीनस्त पदाधिकारी से करवाया गया था. जिसमें बिंदुवार जांच करने का निर्देश दिया गया था. इनमें प्रमुख रूप से छात्रावास में देय सुविधाओं की जांच, छात्राओं के पीने के लिए पानी, पर्याप्त रौशनी हेतु बल्ब, शौचालय, खान पान, बच्चों के आवासन हेतु बिस्तर, चौकी, चादर, साबुन वगैर की उपलब्धता के साथ सुरक्षा के निमित चाहर दीवारी की स्थिति पर रिपोर्ट देनी थी. इस क्रम में शंकरपुर कस्तुरबा विद्यालय के वार्डेन को तुरंत हटाने का निर्देश दिया था.
लेकिन डीएम के आदेश को ताक पर रख कर पदाधिकारी के द्वारा वार्डेन शंकरपुर से हटाकर अन्यत्र नहीं भेजा गया है और न ही शंकरपुर स्थित मधैली बाजार कस्तुरबा विद्यालय में अबतक नये वार्डेंन को भेजा गया है. जिस कारण आये दिन उक्त विद्यालय में विधि व्यवस्था लचर देखी जाती है.
आवेदन में वार्डेन पर आरोप
दिये गये आवेदन में कस्तूरबा विद्यालय में कार्यरत वार्डेन मधु कुमारी पर आरोप लगाते हुए कहा है कि वे वर्ष 2012 से इस विद्यालय में कार्यरत है. उस समय से ही कस्तूरबा विद्यालय में अनियमित्ता को देखता हूं तो उसे दूर करने का प्रयास करता आया हूं. क्योंकि यहां पर गरीब, महादलित, बीपीएल, अल्पसंख्यक, परिवार की छात्राएं रहती है, लेकिन वार्डेन के द्वारा बच्चों को दी जाने वाली खाद्य सामग्री बच्चों को न देकर बरे पैमाने पर विद्यालय के भंडार गृह से निकलकर अपने घर ले जाने की जानकारी विद्यालय के बच्चे, रसोइया व बच्चे के अभिभावकों से मिला. इतना ही नहीं बच्चे को भगवान भरोसे छोड़कर वार्डेन छुप छुप कर बराबर घर चली जाती है. मामले की छानबीन कर जब वार्डेन से पत्र के माध्यम से स्पष्टीकरण पूछा तो उन्होंने ने स्पष्टीकरण का बिना जवाब दिये पत्र लौटा दिया. इतना ही नहीं बच्चों के बीच स्टेशनरी का वितरण भी मनमाने तरीके से किया जाता है समेत जैसे कई गंभीर आरोप संचालक के द्वारा लगाते हुए वार्डेन को यहां से हटाने की मांग पिछले कई माह से जिले के आलाधिकारी से लेकर राज्य कमेटी तक किया जा चुका है. लेकिन जांच के नाम पर अधिकारियों के टेबुल पर धूल फांक रही है.
इस मामले में तीन सदस्यीय कमेटी का गठन कर जांच चल रही है. जांच पूरा होते ही दोषी सिद्ध होने पर कार्रवाई की जायेगी.
शिवशंकर राय, डीइओ, मधेपुरा.
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