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राशि के अभाव में अब तक शुरू नहीं हो सकी लाली पहाड़ी के दूसरे फेज की खुदाई

लखीसराय : सूबे के मुखिया नीतीश कुमार ने 25 नवंबर, 2017 को लाली पहाड़ी की खुदाई के प्रथम फेज का कार्यारंभ कराते हुए लखीसराय के गर्भ में छिपे इतिहास के पन्ने को निकालने का काम शुरू कराया था. प्रथम फेज की खुदाई अप्रैल 2018 में समाप्त होने के बाद खुदाई में से बौद्धकालीन अधिसंख्य भग्नावेश […]

लखीसराय : सूबे के मुखिया नीतीश कुमार ने 25 नवंबर, 2017 को लाली पहाड़ी की खुदाई के प्रथम फेज का कार्यारंभ कराते हुए लखीसराय के गर्भ में छिपे इतिहास के पन्ने को निकालने का काम शुरू कराया था. प्रथम फेज की खुदाई अप्रैल 2018 में समाप्त होने के बाद खुदाई में से बौद्धकालीन अधिसंख्य भग्नावेश प्राप्त होने से यहां एक वृहत बौद्ध महाविहार मिलने का मार्ग दिखने लगा था. हालांकि, उसके बाद खुदाई का सीजन समाप्त होने से खुदाई कार्य को रोक कार्य में लगे विश्वभारती शांतिनिकेतन विश्वविद्यालय पश्चिम बंगाल के प्राचीन इतिहास एवं पुरातत्व विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ अनिल कुमार ने इसकी पूरी रिपोर्ट बनायी, जिसके बाद 30 अप्रैल, 2018 को लाली पहाड़ी पर प्रदर्शनी लगायी गयी, जहां स्वयं नीतीश कुमार पहुंच खुदाई में मिले भग्नावेशों की पूरी जानकारी ली थी. इसके बाद विगत 23 अक्तूबर, 2018 को पुन: डॉ विजय कुमार चौधरी एवं डॉ अनिल कुमार को दूसरे फेज के खुदाई का लाइसेंस मिला, लेकिन खुदाई के लिए राशि नहीं मिलने की वजह से ढाई महीने बीत जाने के बावजूद आज तक दूसरे फेज की खुदाई का कार्य प्रारंभ नहीं हो सका है. चर्चाओं के अनुसार पहले फेज की खुदाई में जिस तरह विभाग एवं खूद सूबे के मुखिया ने रूचि दिखायी वह रुचि दूसरे फेज की खुदाई प्रारंभ कराने में नहीं दिखायी जा रही है. इससे यह अवरुद्ध पड़ा हुआ है. इसके साथ ही खुदाई का सीजन भी मात्र चार महीने का बचा हुआ है, जिससे कार्य एजेंसी की चिंता भी बढ़ती जा रही है. वहीं, स्थानीय लोगों के मन में लाली पहाड़ी की खुदाई से मिलनेवाले बौद्ध महाविहार को लेकर जिज्ञासा पर विभाग द्वारा पानी फेरा जा रहा है.

बौद्ध महाविहार मिलने से जिले को पर्यटन के क्षेत्र में स्थापित होने में मिलेगी मदद

लाली पहाड़ी को मुख्यमंत्री द्वारा राष्ट्रीय धरोहर में शामिल तो कर दिया गया है, लेकिन इसकी खुदाई पूर्ण नहीं होने से इसे परवान चढ़ाना मुश्किल हो रहा है. अब तक खुदाई में मिले भग्नावेशों के मिलने से लाली पहाड़ी की पूरी खुदाई होने के बाद यहां बौद्ध महाविहार का पूरा स्वरूप मिलने की संभावना जतायी जा रही है. इससे जिला को बौद्ध सर्किट से जुड़ने तथा जिला को पर्यटन के क्षेत्र में स्थापित होने में मदद मिलेगी. पर्यटन क्षेत्र होने से यहां विकास की भी काफी संभावना प्रबल होगी.

संग्राहलय नहीं रहने से खुदाई में मिले सामग्री रखने में हो रही परेशानी

जिले में चारों ओर पुरातात्विक धरोहरों के मिलने का सिलसिला काफी पुराना है. इसमें लाली पहाड़ी की खुदाई ने एक और अध्याय जोड़ दिया है, लेकिन जिले में पुरातात्विक धरोहरों को संजो कर रखने के लिए संग्रहालय की कमी यहां के पुरातात्विक समझ रखने वालों को काफी खल रही है. हालांकि, संग्रहालय के लिए अशोक धाम के पास जिला प्रशासन जमीन मिलने की भी बात कह रही है, लेकिन इसका निर्माण कार्य कब शुरू होगा, यह नहीं कहा जा रहा है. तत्काल धरोहरों को अशोक धाम मंदिर परिसर में स्थित प्रशासनिक भवन के तहखाने में अस्थायी रूप से संग्राहलय बनाकर रखा गया है, जो नाकाफी बताया जा रहा है.

बोले विश्वभारती शांतिनिकेतन के पुरातत्व विभाग के डॉ अनिल कुमार

इस संबंध में विश्वभारती शांतिनिकेतन विश्वविद्यालय पश्चिम बंगाल के प्राचीन इतिहास एवं पुरातत्व विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ अनिल कुमार ने बताया कि उन्हें 2018-19 सेशन के लिए 23 अक्तूबर, 2018 को खुदाई का लाइसेंस मिला है, लेकिन इसके लिए मिलनेवाली राशि अभी तक आवंटित नहीं की गयी है, जिससे खुदाई कार्य प्रारंभ करने में परेशानी हो रही है. उन्होंने बताया कि खुदाई कार्य के लिए काफी व्यवस्था करनी पड़ती है जिसमें राशि की आवश्यकता होती है. उन्होंने बताया कि राशि आवंटन होते ही खुदाई कार्य प्रारंभ कर दिया जायेगा.

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