ठाकुरगंज.मुख्य रेल संरक्षा आयुक्त जनक कुमार गर्ग ने सोमवार को गलगलिया अररिया नई रेल लाइन के ठाकुरगंज पौआखाली रेलखंड के बीच नवनिर्मित ब्रॉड गेज रेलवे लाइन का ट्रॉली निरीक्षण शुरू किया. दो दिन चलने वाले इस निरीक्षण कार्यक्रम के पहले दिन सोमवार सुबह ठाकुरगंज रेलवे स्टेशन पर शुरू हुआ मोटर ट्रॉली से निरीक्षण देर शाम तक जारी रहा. इसके पहले वे ठाकुरगंज रेलवे स्टेशन पर अपने विशेष सैलून से वरीय रेल अधिकारियों के साथ एनजेपी से पहुंचे. जिसके बाद ठाकुरगंज स्टेशन पर स्टेशन पैनल, रिले रूम, इंटिग्रेटेड पावर सप्लाई यूनिट रूम, रूट रिले इंटरलॉकिंग, प्लेटफॉर्म क्लियरेंस आदि का निरीक्षण किया. पहले दिन यह निरीक्षण लगभग 13 किमी तक हुआ. दौरे के प्रथम दिन ठाकुरगंज से भोगडाबर हॉल्ट होते हुए तातपौआ मेची पुल तक करीब 13 किमी लंबी नवनिर्मित थर्ड लाइन, रेलवे ट्रैक, ट्रेक्शन पावर, लेवल क्रॉसिग, अंडर ब्रिज, स्टेशन भवन, कंट्रोल पैनल समेत तमाम चीजों का बारीकी से अवलोकन किया. जहां भी कोई त्रुटि नजर आई उसे तुरंत सुधार करने का निर्देश दिया. निरीक्षण के क्रम में सीआरएस ने नवनिर्मित ट्रैक कोर्ट के विभिन्न मानकों का निरीक्षण किया. रेलवे के एक अधिकारी ने कहा कि 9 किलोमीटर लंबे शेष हिस्से के लिए ट्रॉली निरीक्षण मंगलवार को भी जारी रहेगा. रेलवे सुरक्षा आयुक्त मंगलवार को पौआखाली से ठाकुरगंज के बीच स्पीड ट्रायल रन भी करेंगे. इस दौरान कई रेलवे अधिकारी मौजूद थे. सीआरएस निरीक्षण व स्पीड ट्रायल पूरा होने के बाद इस नये रेलखंड पर ट्रेनों का परिचालन शुरू हो पायेगा. सीआरएस के साथ दौरे पर कटिहार के डीआरएम सुरेन्द्र कुमार, सीएओ (निर्माण) आर के सिंह, सीनियर डीईएन अमित सिंह, सीनियर डीएसओ नरेंद्र मोहन, सीई (निर्माण), डिप्टी सीई (डिजाइन), डिप्टी सीई ( ब्रिज) सहित जोन एवं कटिहार डिवीजन के अन्य रेल अधिकारी मुख्य रूप से मौजूद थे. क्या होता है सीआरएस निरीक्षण सीआरएस ( कमिश्नर ऑफ रेलवे सेफ्टी ) यानी रेल संरक्षा आयुक्त. यह भारत सरकार के नागरिक उड्डयन मंत्रालय की अधीन आता है. रेल संरक्षा आयुक्त की जरूरत तब महसूस हुई थी जब भारतीय रेल में दुर्घटनाएं हो रही थी और विभागीय जांच में पक्षपात की संभावना दिखने लगी. बाद में संरक्षा आयुक्त के अधिकार बढ़ा दिए गए और भारतीय रेल के अंदर किसी भी आधारभूत संरचना में बदलाव के बाद यात्री गाड़ियों को उस विशेष सेक्शन में चलाने से पहले संरक्षा आयुक्त की अनुमति आवश्यक हो गई . पुरानी मीटर गेज या नैरोगेज लाइन को ब्रॉडगेज में बदलने के बाद, नई लाइन बनने के बाद, दूसरी – तीसरी – चौथी लाइन के नए निर्माण के बाद, किसी भी चालू लाइन पर विद्युतीकृत होने के बाद विद्युत से चलाने आदि के लिए संरक्षा आयुक्त की अनुमति जरूरी थी.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है