उपाधीक्षक व स्टोरकीपर के वेतन से काटें
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कार्रवाई . सिविल सर्जन ने की अनुशंसा, एक्सपायर होने वाली दवाओं की कीमत
उपाधीक्षक व स्टोरकीपर के वेतन से काटें किशनगंज : स्थानीय सदर अस्पताल में सर्वत्र फैले अनियमितता की एक बानगी प्रभात खबर के मंगलवार के अंक में लाखों की दवा की हेराफेरी की आशंका शीर्षक के साथ प्रमुखता से प्रकाशित किये जाने के बाद जिले के स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया. सिविल सर्जन डा परशुराम […]
किशनगंज : स्थानीय सदर अस्पताल में सर्वत्र फैले अनियमितता की एक बानगी प्रभात खबर के मंगलवार के अंक में लाखों की दवा की हेराफेरी की आशंका शीर्षक के साथ प्रमुखता से प्रकाशित किये जाने के बाद जिले के स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया. सिविल सर्जन डा परशुराम प्रसाद ने भी मामले को गंभीरता से लेते हुए अस्पताल उपाधीक्षक डा आरपी सिंह व स्टोर कीपर सह फार्मासिस्ट रमेश साह की कारगुजारियों की जानकारी वरीय पदाधिकारी को देते हुए उनके विरुद्ध समुचित कार्रवाई की मांग की है.
क्या कहते हैं सिविल सर्जन
इस संबंध में पूछे जाने पर डा परशुराम ने बताया कि गत तीन जुलाई 14 को बिहार मेडिकल साइंस इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड के द्वारा सदर अस्पताल को मांग के अनुसार ऑफ्लोक्सीन एंड ऑरनीडायजोल नामक दवा की 30 हजार बोतल उपलब्ध करायी गयी थी. परंतु दो वर्ष बीत जाने के बाद भी अब तक सदर अस्पताल द्वारा मात्र 15 हजार बोतल दवा की खपत की जा सकी. अब जब दवा का एक्सपायरी डेट समीप आ गया है
तो सदर अस्पताल प्रशासन दवा को खपत करने की जुगत में भिड़ गये. उन्होंने कहा कि हाल के दिनों में जब सूबे के अस्पताल दवा की घोर किल्लत का सामना कर रहे थे उस वक्त स्टोरकीपर रमेश साह इस दवा पर भी कुंडली मार कर बैठ गये थे. नतीजतन लगभग 15 हजार दवा की बोतले पड़ी की पड़ी रह गयी.
डा प्रसाद ने बताया कि उस वक्त सदर अस्पताल को 6 लाख रुपये की दवा खुले बाजार से खरीद कर उपलब्ध करायी गयी थी, ताकि मरीजों का समुचित इलाज संभव हो सके. उन्होंने बताया कि अगर सदर अस्पताल प्रबंधन द्वारा ससमय दवा के स्टॉक के संबंध में जानकारी दे दी जाती तो इन दवाओं को जिले के प्राथमिक केंद्रों को उपलब्ध करा दिया जाता और दवाओं का खपत भी सुचारू रूप से हो जाता.
परंतु सदर अस्पतासल के कुप्रबंधन के कारण लाखों रुपये मूल्य की दवा अब बेकार होने की कगार पर जा पहुंचा है. श्री प्रसाद ने बताया कि फरवरी माह के आखिरी में सदर अस्पताल के स्टोर रूम में पड़े दवाओं की सूची अलग से तैयार कर उसे बिहार सरकार के स्वास्थ्य विभाग व राज्य स्वास्थ्य समिति को भेज कर सारे एक्सपायर दवाओं को जब्त कर लिया जायेगा. उन्होंने कहा कि जब्त दवाओं की कीमत अस्पताल उपाध्यक्ष व स्टोर कीपर के वेतन से काटने की अनुशंसा राज्य सरका से की जायेगी तथा राज्य सरकार द्वारा स्वीकृति मिलने पर अस्पताल उपाधीक्षक व स्टोर कीपर के वेतन से दवा की कीमत काटने की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी जायेगी.
इधर सिविल सर्जन के द्वारा मामले में सख्त रूप अख्तियार करने के बावजूद भी मंगलवार को सदर अस्पताल के दवा वितरण काउंटर में पूर्व की भांति चिकित्सक के परामर्श के बगैर ही अन्य दवा के स्थान पर मरीजों को जबरन ऑफ्लोक्सीन दवा दिये जाने का कार्य जारी था तथा गलत दवाओं का सेवन कर मरीज लगातार हलकान हो रहे थे.
हालांकि इस संबंध में जब अस्पताल उपाधीक्षक से उनकी प्रतिक्रिया जानने की चेष्टा की गयी तो वे पूरे मामले से कन्नी काटते नजर आये. स्टोर कीपर रमेश साह ने इस संबंध में कुछ भी कहने से साफ इनकार कर दिया.
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