हमेशा दुर्घटना का डर सताते रहता है
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टूटी छत के नीचे पढ़ने को विवश नौनिहाल, विभाग बेखबर
हमेशा दुर्घटना का डर सताते रहता है दिघलबैंक : सरकार शिक्षा पर हर वर्ष लाखों-करोड़ों रुपये खर्च कर रही है. लेकिन इसके बाद भी बच्चों के शैक्षणिक स्तर में सुधार नहीं हो पा रहा है. वहीं, प्राथमिक विद्यालयों की अपेक्षा निजी विद्यालयों में बच्चों की संख्या दिन पर दिन बढ़ रही है. कई स्थानों पर […]
दिघलबैंक : सरकार शिक्षा पर हर वर्ष लाखों-करोड़ों रुपये खर्च कर रही है. लेकिन इसके बाद भी बच्चों के शैक्षणिक स्तर में सुधार नहीं हो पा रहा है. वहीं, प्राथमिक विद्यालयों की अपेक्षा निजी विद्यालयों में बच्चों की संख्या दिन पर दिन बढ़ रही है. कई स्थानों पर भवन जर्जर होने के कारण छात्रों को दूसरे विद्यालयों में जाकर शिक्षा ग्रहण करनी पड़ रह रही है.
प्रखंड के कई ऐसे स्कूल है जहां छात्र छात्राओं को मूलभूत सुविधाओं से दूर रखा जाता है. कहीं बैठने के उचित व्यवस्था नहीं है तो कहीं सर छुपाकर शिक्षा ग्रहण करने के लिए छत नहीं है. कुछ ऐसा ही नजारा दिघलबैंक प्रखंड परिसर में स्थित प्राथमिक विद्यालय पक्कामुड़ी का है. जहां बच्चों के बैठने के लिए जमीन तो है पर सर छुपाने के लिए मजबूत छत नहीं है. बच्चों के सिर पर हमेशा काल मंडराता रहता है. लेकिन देश के ये भविष्य काल से सामना कर पढ़ने को मजबूर है.
आखिर कर भी क्या सकते है. इस जर्जर भवनों की स्थिति बद से बदतर है. हमेशा दुर्घटना का भय सताता रहता है. लेकिन स्थिति जस की तस है. लोग भयभीत होकर बच्चे को भेजना उचित नहीं समझ रहे है.
विद्यालय में 180 छात्र-छात्राएं हैं नामांकित
इस विद्यालय में 180 छात्र-छात्राएं अध्ययनरत है. जिसके लिए पांच कमरे है. इसमें से दो कमरे पूरी तरह क्षतिग्रस्त है जो हमेशा बड़े हादसे का न्योता दे रहा है. बचे कार्यालय लेकर तीन कमरों में छात्र छत्राओं का पठन पाठन का कार्य होता है वो भी जर्जर छत के नीचे. ज्ञात हो कि चुनाव के समय प्रखंड का यह प्राथमिक विद्यालय जो आदर्श मतदान केंद्र बना था. उस समय इस विद्यालय में कई सुविधा उपलब्ध करायी गयी थी. लेकिन हैरानी की बात है कि अब इस विद्यालय में सुविधा के नाम पर कोई चीज दिखाई नहीं देती है. अब जरा इस भवन को देखिए ये भवन वर्तमान समय के बना हुआ नहीं है.
बल्कि वर्षो का बना हुआ है जिसके छत पर एस्बेस्टर चढ़ा हुआ है जो अब जगह जगह से टूट कर गिरने लगा है. अब जरा इस भवन के अंदर की हकीकत भी देखिए इस भवन के छत पूरी तरह जर्जर हो चुकी है. दीवारों मर दरार पड़ चुके है. हमेशा छात्र छात्राओं के सिर पर एस्बेस्टर का टुकड़ा टूट-टूटकर गिरते रहता है बारिश के दिनों में पानी टपकता है और छत गिरने का खतरा अधिक बढ़ जाता है. विद्यायल के शिक्षक बतलाते है कि इसकी सूचना शिक्षा विभाग एवं स्थानीय जनप्रतिनिधि को कई बार दे चुके है.
क्या कहती हैं प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी
छत ठीक करने के लिए स्थानीय बीडीओ से बात-चीत हुई थी. प्रखंड विकास पदाधिकारी ने कहा था कि एमएसडीपी योजना के तहत ठीक कराया जायेगा. उन्होंने बताया कि जल्द ही टूटे हुए एस्बेस्टर को बदल दिया जायेगा.
सावित्री कुमारी, बीइओ
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