परेशानी. प्रशासन भी गैस की अवैध रिफिलिंग का धंधा नहीं कर पा रहा बंद
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समय पर नहीं मिलता गैस सिलिंडर
परेशानी. प्रशासन भी गैस की अवैध रिफिलिंग का धंधा नहीं कर पा रहा बंद शहर में उपभोक्ताओं को ससमय गैस सिलिंडर नहीं मिल पा रहा है. वहीं दर्जनों दुकानों पर पार्ट्स पुरजे बेचने के नाम पर अवैध तरीके से गैस रिफिलिंग का धंधा चल रहा है. इससे उपभोक्ता परेशान रहते हैं. गोगरी : शहर में […]
शहर में उपभोक्ताओं को ससमय गैस सिलिंडर नहीं मिल पा रहा है. वहीं दर्जनों दुकानों पर पार्ट्स पुरजे बेचने के नाम पर अवैध तरीके से गैस रिफिलिंग का धंधा चल रहा है. इससे उपभोक्ता परेशान रहते हैं.
गोगरी : शहर में ऐसी दर्जनों दुकानें मिल जायेंगी, जहां विभिन्न तरह के पार्ट्स पुर्जे बेचने के नाम पर अवैध तरीके से गैस रिफिलिंग का धंधा चल रहा है. लेकिन इनके विरुद्ध प्रशासन की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है. पूर्व में जिला प्रशासन द्वारा महीने में एकाध बार गैस एजेंसी संचालकों के साथ एक बैठक होती थी और कालाबाजारी पर इसी बहाने नियंत्रण भी रखा जाता था. लेकिन, ये सिलसिला थमने के बाद जिले में एक बार फिर से अवैध गैस रिफलिंग का कारोबार फलने-फूलने लगा है.
जब रसोई गैस उपभोक्ताओं को समय पर गैस उपलब्ध नहीं होता, तो वे बवाल मचाते हैं. लेकिन इससे न तो अब प्रशासन को फर्क पड़ रहा है और न हीं गैस की कालाबाजारी को बल देनेवाले लोगों को. उपभोक्ताओं के भड़कने पर एजेंसी संचालक किसी तरह उन्हें मैनेज कर लेते हैं और इसी तरह गैस की कालाबाजारी चलती रहती है. शहर में ऐसे कई दुकानें हैं, जो छिप-छिपा कर नहीं बल्कि खुले में गैस की रिफिलिंग करते हैं. इन्हें देख ऐसा लगता है कि मानो इन्हें इसका लाइसेंस मिला हुआ है.
इस अवैध धंधे के पीछे जायज उपभोक्ताओं को कभी-कभी भारी परेशानी उठानी पड़ती है. गैस रिफिलिंग का कारोबार शहर के खगड़िया,गोगरी,परबत्ता,मडैया,बेलदौर,चौथम सहित दर्जनों स्थानों में देखा जा सकता है.
80 से 100 रुपये प्रति किलो में होती है रिफिलिंग: शहर में चल रहे अवैध गैस रिफलिंग के कारोबार में दर्जनों दुकानदार लगे हैं. ये दिखावे के लिए भले ही पार्ट्स पुर्जे की दुकानें चला रहे हैं, पर असल में इनका कारोबार अवैध गैस रिफिलिंग का है. इनके कस्टमर भी बड़े पक्के होते हैं, जो पहले इनके दुकान पांच किलो का खाली सिलेंडर खरीदते हैं और फिर वो इनके नियमित ग्राहक बन जाते हैं.ऐसे उपभोक्ताओं में ज्यादातर छात्र, किरायेदार, मजदूर और फुटपाथी दुकानदार शामिल हैं. ऐसे विक्रेता एक किलो गैस भरने के नाम पर 80 से 100 रुपये ग्राहकों से वसूलते हैं. इनकी कमाई इस बात से लगायी जा सकती है कि एक घरेलू गैस सिलेंडर में लगभग 14 किलो गैस भरा होता है, जो सब्सिडी जोड़ कर उपभोक्ताओं से लगभग 700 रुपये लिये जाते हैं.यही गैस दुकानदारों को 750 रुपये में उपलब्ध होती है. जिसे फिर ये खुदरे तरीके से बेचते हुए एक किलो का 80 से 100 रुपया लेते है, जिसमें इनका मुनाफा एक किलो पर 30 से 50 रुपये है.यानी एक गैस पर ये 450 से लेकर 700 रुपये तक कमाते हैं.इस दोगूने मुनाफे के चक्कर में परेशानी जायज उपभोक्ताओं को हो रही है.
सरकार की नीति भी है जिम्मेवार, नहीं मिलते छोटे सिलिंडर
एलपीजी के अवैध रिफिलिंग से जुड़े धंधे के लिए सरकार की पॉलिसी भी बराबर की जिम्मेवार है.दरअसल, सरकार ने कई साल पहले गैस कंपनियों के माध्यम से पांच किलो के सिलिंडर बेचने की योजना बनायी थी.
इंटर व मैट्रिक की परीक्षा कमाई का है सीजन
गैस रिफिलिंग के अवैध कारोबार में लगे दुकानदारों की असल कमाई मैट्रिक व इंटर की परीक्षा के दौरान होता है.ऐसे दुकानदार इसे कमाई का सीजन मानते हैं. इस वक्त छात्र-छात्राएं सप्ताह, 10 दिन के लिए जब परीक्षा देने यहां पहुंचते हैं, तो वे घरेलू गैस के बजाय पांच किलोवाला सिलेंडर पर खाना बनाना ज्यादा बेहतर समझते हैं. क्योंकि इसमें उन्हें जरूरत के हिसाब से गैस भर कर मिल जाती है और पांच किलो में ही पूरी परीक्षा निकल जाती है. ऐसे में मैट्रिक व इंटर की परीक्षावाला समय पूरे जिले में गैस के अवैध रिफलिंग करने वाले व्यवसायियों के लिये खूब मुनाफे का वक्त रहता है. इन दिनों गैस 90 से 100 रुपये प्रति किलो तक वसूलते हैं.
फुटपाथ पर दिखते हैं घरेलू गैस सिलिंडर
गैस रिफिलिंग व्यवसाय के अलावे घरेलू रसोई गैस की कालाबाजारी सिलिंडर की अदला-बदली करके भी की जाती है. ऐसे व्यवसायी फुटपाथी दुकानदारों को भी ब्लैक में घरेलू गैस उपलब्ध कराते हैं, जो शहर के फुटपाथों पर आसानी से दिख जाते हैं. इसके अलावे होटलों में भी रिफिलिंग का काम छिप कर होता है, जिस पर प्रशासन की अब तक निगाह नहीं गयी है
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