खगड़िया : मानसी पीएचसी में महिला चिकित्सक द्वारा प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी पर लगाये गये आरोपों के जांच के आदेश दिये गये हैं. मामला तूल पकड़ने के बाद सिविल सर्जन डॉ अरुण कुमार सिंह ने दो चिकित्सकों की टीम बना कर पूरे मामले के जांच के आदेश दिये हैं. इधर, सीएस के निर्देश के आलोक में जांच टीम में शामिल चिकित्सक डॉ वाईएस प्रयासी व डॉ केएम प्रसाद ने जांच शुरू कर दी है.
इन सारे घटनाक्रम के बीच सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब महिला चिकित्सक एक महीना पूर्व ही अपने साथ हो रहे उत्पीड़न की जानकारी सिविल सर्जन कार्यालय में पहुंच कर दी तो उस वक्त मामले को क्यों दबा दिया गया? जिसके बाद उसके साथ प्रताड़ना का दौर थमने की बजाय बढ़ता चला गया.
आखिरकार एक सप्ताह पूर्व फिर से महिला चिकित्सक ने सीएस को आवेदन देकर इंसाफ की गुहार लगायी है. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर स्वास्थ्य विभाग महिलाओं के हितों की सुरक्षा में इतनी उदासीनता क्यों बरत रहा है?
कार्यस्थल पर जब महिला चिकित्सक ही सुरक्षित नहीं है तो छोटे पद पर कार्यरत महिला स्वास्थ्यकर्मियों के साथ इस तरह की हरकत नहीं होती होगी इसकी क्या गारंटी है? हालांकि मामला तूल पकड़ते देख सीएस ने दो सदस्यीय चिकित्सकों की टीम का गठन कर जांच के आदेश दिये हैं. लेकिन मामले में क्या कार्रवाई होती है यह देखना बाकी है. फिलहाल मानसी पीएचसी में प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी व महिला चिकित्सक के बीच तनातनी के बीच मरीज पीस रहे हैं.
कौन सच्चा … कौन झूठा : इधर, पीएचसी प्रभारी डॉ मनीष कुमार ने संबंधित महिला चिकित्सक पर ड्यूटी पर गायब रहने का आरोप लगाते हुए कहा है कि कार्रवाई से बचने के लिये अनर्गल आरोप लगाया जा रहा है. रोस्टर के अनुसार ड्यूटी करने के लिये कहने पर संबंधित महिला चिकित्सक आनाकानी करती हैं. उन्होंने कहा कि सारे आरोप बेबुनियाद हैं
. जबकि मानसी पीएचसी में कार्यरत एक महिला चिकित्सक ने प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी पर अनैतिक आचरण का आरोप लगाते सीएस को आवेदन दिया है. सीएस को दिये गये आवेदन में लगाये गये रोपों में कितनी सच्चाई है यह तो जांच के बाद ही स्पष्ट हो जायेगा. महिला चिकित्सक के आवेदन में कहा गया है कि ऑपरेशन सिखाने के बहाने प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी द्वारा अनैतिक, अमानवीय, असमाजिक आचरण किया जाता है. उनके (पीएचसी प्रभारी) निजी स्वार्थ की पूर्ति नहीं करने पर तरह तरह से मानसिक व आर्थिक रुप से प्रताड़ित किया जाता है. उपस्थति पंजी पर बनी हुई हाजिरी काट कर परेशान किया जाता है.
कानून की भाषा में इसे कार्यस्थल पर महिलाओं के लैंगिक उत्पीड़न की श्रेणी में रखा जा सकता है. पूरे प्रकरण में कौन सच और कौन झूठ बोल रहा है यह तो जांच के बाद ही स्पष्ट हो पायेगा लेकिन पूरा मामला सामने आने के बाद स्वास्थ्य विभाग की कार्यशैली कटघरे में जरूर खड़ा नजर आने लगा है.
मामला मानसी पीएचसी प्रभारी पर महिला चिकित्सक द्वारा लगाये गये प्रताड़ित किये जाने के आरोप का
सीएस कार्यालय में एक महीने पहले महिला चिकित्सक की शिकायत को दबाने के पीछे क्या हैं राज
आखिर कार्यस्थल पर महिला चिकित्सक के साथ अनैतिक आचरण पर चुप क्यों रहा विभाग
विभाग में जब महिला डॉक्टर ही सुरक्षित नहीं तो दूसरे महिला स्वास्थ्यकर्मियों की कौन सुनेगा
प्रभारी व महिला चिकित्सक की आपसी लड़ाई में पीस रहे मानसी पीएचसी आने वाले मरीज
महिला चिकित्सक ने सिविल सर्जन को आवेदन देकर मानसी पीएचसी प्रभारी पर लगाये गंभीर आरोप
पीएचसी प्रभारी ने कहा, ड्यूटी से बचने के लिये महिला डॉक्टर लगा रही अनर्गल आरोप
कार्यस्थल पर महिलाएं कितनी सुरक्षित
कहने को केंद्र व राज्य सरकारों ने कार्यस्थल पर महिलाओं के साथ लैंगिक उत्पीड़न सहित प्रताड़ना रोकने के लिये स्पेशल सेल बना दिया हो लेकिन स्थिति में कोई खास सुधार होता नहीं दिख रहा है. मानसी पीएचसी में तैनात एक महिला चिकित्सक द्वारा प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी पर लगाये गये आरोप सरकारी दावों की पोल खोलने के लिये काफी है.
इधर, खगड़िया के विभिन्न सरकारी विभागों खासकर स्वास्थ्य विभाग में कार्यस्थल पर महिलाओं के साथ लैंगिक भेदभाव व उत्पीड़न रोकने के लिये अलग से सेल बना भी या नहीं यह कोई बताने को तैयार नहीं है. ऐसे में सेल बना भी या नहीं इस पर शंका जतायी जा रही हैं.
कहने को केंद्र व राज्य सरकारों ने कार्यस्थल पर महिलाओं के साथ लैंगिक उत्पीड़न सहित प्रताड़ना रोकने के लिये स्पेशल सेल बना दिया हो लेकिन स्थिति में कोई खास सुधार होता नहीं दिख रहा है. मानसी पीएचसी में तैनात एक महिला चिकित्सक द्वारा प्रभारी चिकित्सा
पदाधिकारी पर लगाये गये आरोप सरकारी दावों की पोल खोलने के लिये काफी है. इधर, खगड़िया के विभिन्न सरकारी विभागों खासकर स्वास्थ्य विभाग में कार्यस्थल पर महिलाओं के साथ लैंगिक भेदभाव व उत्पीड़न रोकने के लिये अलग से सेल बना भी या नहीं यह कोई बताने को तैयार नहीं है. ऐसे में सेल बना भी या नहीं इस पर शंका जतायी जा रही हैं.
योगदान के बाद संबंधित महिला चिकित्सक कभी भी समय से ड्यूटी नहीं आयी है. ड्यूटी से गायब रहने की सुविधा देने से इनकार करने पर अब अनर्गल आरोप लगाये जा रहे हैं. इसकी सूचना पहले ही सीएस को दी गयी है. महिला चिकित्सक द्वारा लगाये गये सभी आरोप बेबुनियाद और मनगढ़ंत हैं.
डॉ नीष कुमार, मानसी पीएचसी प्रभारी.
मानसी पीएचसी में तैनात महिला चिकित्सक द्वारा प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी के खिलाफ दिये गये आवेदन के आलोक में जांच के लिये दो सदस्यीय टीम का गठन किया गया है. आरोप की सत्यता के जांच रिपोर्ट का इंतजार है.
डॉ अरुण कुमार सिंह, सिविल सर्जन.