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शिक्षा विभाग में हड़कंप

शिक्षकों के स्थानांतरण में धांधली की शिकायत पर डीएम के कड़े रुख से कार्रवाई की उम्मीद जतायी जा रही है. सूत्रों की मानें तो चोरी पकड़े जाने के डर से तिकड़म आजमाने का दौर शुरू हो चुका है. इधर, कार्रवाई की आशंका से मनपसंद स्कूलों में स्थानांतरण करवाने वाले शिक्षकों की धड़कन बढ़गयी है. खगड़िया […]

शिक्षकों के स्थानांतरण में धांधली की शिकायत पर डीएम के कड़े रुख से कार्रवाई की उम्मीद जतायी जा रही है. सूत्रों की मानें तो चोरी पकड़े जाने के डर से तिकड़म आजमाने का दौर शुरू हो चुका है. इधर, कार्रवाई की आशंका से मनपसंद स्कूलों में स्थानांतरण करवाने वाले शिक्षकों की धड़कन बढ़गयी है.
खगड़िया : शिक्षकों के स्थानांतरण में धांधली की शिकायत पर डीएम द्वारा जांच के आदेश से शिक्षा विभाग में हड़कंप है. डीएम के कड़े रुख को देखते हुए पिछले दरवाजे के सहारे मनपसंद स्कूलों में पदस्थापना करवाने में कामयाब शिक्षकों को अनहोनी की आशंका सता रही है कि कहीं स्थानांतरण रद्द ना हो जाये.
बताया जाता है कि अगर पूरे मामले की सही तरीके से जांच हो तो स्थानांतरण में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी पर से परदा हट सकता है. बता दें कि मामला तूल पकड़ने के बाद डीएम ने पूरे मामले को गंभीरता से लेते हुए डीडीसी को जांच का आदेश दिया है. जो सात दिनों के अंदर जांच रिपोर्ट पेश करेंगे. वहीं स्थानांतरण में धांधली के खिलाफ नियोजित शिक्षक संघ द्वारा मोरचा खोलने के बाद मामला तूल पकड़ने की संभावना जतायी जा रही है.
कमेटी के एक सदस्य ने क्यों की बगावत : शिक्षकों के तबादले के लिये थ्री मैन कमेटी बनायी गयी थी. जिसमें जिला शिक्षा पदाधिकारी डॉ ब्रज किशोर सिंह, डीपीओ स्थापना सुरेश कुमार साहू, पीओ विमलेश कुमार चौधरी थे. सब कुछ ठीक-ठाक चल रहा था कि अचानक पीओ विमलेश कुमार सिंह ने स्थानांतरण में धांधली का आरोप लगाते हुए बगावत का बिगुल फूंक दिया.
पीओ श्री चौधरी ने तबादला के फाइल पर हस्ताक्षर कर दिया. ऐसे में पीओ विमलेश कुमार चौधरी द्वारा इंकार करना कई सवाल को जन्म देता है. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर पीओ श्री चौधरी ने वरीय अधिकारियों के खिलाफ मोरचा क्यों खोल दिया? बताया जाता है कि नियम-कायदे को ताक पर रख कर किये गये तबादले में प्राथमिक शिक्षा के निदेशक के निर्देश को भी ताक पर रख दिया गया. निदेशक के स्पष्ट निर्देश के बावजूद प्रावधान को दरकिनार कर 34, 540 कोटि के शिक्षकों का स्थानांतरण कर दिया गया. जिस स्कूल में रिक्ति नहीं है वहां भी शिक्षकों को तबादला कर दिया गया है. शिक्षकों के स्थानांतरण में शिक्षक-छात्र अनुपात का भी ख्याल नहीं रखा गया.
तबादले में नियम-कायदे को दिखाया ठेंगा
चार कमरे वाले प्राथमिक विद्यालय विद्यार्थी टोला पहले से ही छह शिक्षक हैं. विद्यालय में मात्र 78 बच्चे नामांकित हैं. रिक्ति नहीं रहने के बावजूद नियम को ताक पर रख कर दो और शिक्षकों का तबादला इस विद्यालय में कर दिये जाने से विकट स्थिति उत्पन्न हो गयी है.
बता दें कि यहां पहले से 13 विद्यार्थी पर एक शिक्षक हैं. दो और शिक्षकों का तबादला इस विद्यालय में किये जाने से 10 बच्चे पर एक शिक्षक हो गये हैं. जिसके बाद विद्यालय के प्रधान नित्यानंद प्रसाद सिंह ने शिक्षकों की कोई कमी नहीं होने का हवाला देते हुए दोनों शिक्षकों को दूसरे विद्यालय में भेजने का अनुरोध डीइओ से किया है. बताया जाता है कि कई विद्यालय ऐसे हैं जो शिक्षकों के लिये तरस रहा है . अब इन विद्यालयों में शिक्षक भेजने की बजाय पहले से पर्याप्त शिक्षक वाले विद्यालय में शिक्षकों के तबादले के पीछे क्या राज हैं यह तो शिक्षा विभाग के अधिकारी ही बता सकते हैं. लेकिन पूरे प्रकरण में अब तक सामने आयी बातें दाल में काला की ओर इशारा कर रहे हैं.

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