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अपने ही जाल में खुद फंस रहा रेलवे!

अपने ही जाल में खुद फंस रहा रेलवे! पुलिस की प्राथमिकी व रेल अधिकारी के एफआइआर में विरोधाभास से उठे सवालमुफस्सिल थाने में दर्ज प्राथमिकी के 15 नामजद आरोपी में राजेश शामिल नहींआरपीएफ थाने में दर्ज एफआइआर में राजेश ही करवा रहा था रेलवे ट्रैक जामघटना के बाद मुफस्सिल थाना पुलिस ने राजेश को पहुंचाया […]

अपने ही जाल में खुद फंस रहा रेलवे! पुलिस की प्राथमिकी व रेल अधिकारी के एफआइआर में विरोधाभास से उठे सवालमुफस्सिल थाने में दर्ज प्राथमिकी के 15 नामजद आरोपी में राजेश शामिल नहींआरपीएफ थाने में दर्ज एफआइआर में राजेश ही करवा रहा था रेलवे ट्रैक जामघटना के बाद मुफस्सिल थाना पुलिस ने राजेश को पहुंचाया था अस्पताल रेफर होने के बाद सरकारी एंबुलेंस से राजेश को पहुंचाया गया बेगूसराय दोपहर 11 : 43 में बेगूसराय स्थित निजी क्लीनिक में भरती हो गये घायल राजेश व रिया सरकार को भेजी रिपोर्ट में रेल दुर्घटना के वक्त ढाला खुला होने का खुलासा ट्रेन व बाइक की टक्कर में घायल राजेश व अन्य को जब मुफस्सिल थाना पुलिस ने खुद ही गाड़ी में ले जा कर सदर अस्पताल में भरती कराया, फिर रेफर होने के बाद सरकारी एंबुलेंस से राजेश व उनकी बेटी रिया को बेगूसराय स्थित निजी क्लीनिक में भरती करवा दिया गया. फिर वह आंदोलन में कहां और कैसे शामिल हो गया. यह तो रेलवे अधिकारी ही बता सकते हैं. यही कारण है कि मुफस्सिल थाने में हो हंगामा को लेकर दर्ज प्राथमिकी में राजेश का नाम नहीं है. रामानंद सागर, एसडीपीओ, खगड़िया ——————दुर्घटना के बाद मिली जानकारी अनुसार राजेश ही अपने साथियाें की मदद से रेलवे ट्रैक जाम करवा रहा था. इस मामले में वह ज्यादा कुछ नहीं बता सकते हैं. – अशोक कुमार, सीनियर सेक्शन इंजीनियर, खगड़िया ————————-खुद की गरदन बचाने के लिए रेल प्रशासन घिनौना हरकत कर रहा है. अस्पताल में भरती राजेश के खिलाफ आरपीएफ थाने में दर्ज प्राथमिकी इसी का नतीजा है. घटनास्थल की स्थिति ऐसी है कि कोई भी बाइक पर चार लोग सवार होकर नहीं निकल सकते हैं. दरअसल घटना के वक्त ढाला खुला हुआ था. रेल प्रशासन जल्द से जल्द पीड़ित परिवार को मुआवजा दे, नहीं तो युवा शक्ति का आंदोलन झेलने के लिए तैयार रहे. नागेंद्र सिंह त्यागी, प्रदेश अध्यक्ष, युवा शक्ति ——————–ट्रेन व बाइक की टक्कर बाद हो हंगामा मामले में रेलवे द्वारा घायल राजेश पर दर्ज करवायी गयी प्राथमिकी का मामला तूल पकड़ता जा रहा है. जिला पुलिस की मानें, तो घटना के बाद राजेश अस्पताल में इलाज करवा रहा था. रेलवे द्वारा दर्ज प्राथमिकी में राजेश ही अपने साथियाें की मदद से रेलवे ट्रैक जाम करवा रहा था. रेलवे की जांच रिपोर्ट में घटना के वक्त ढाला बंद बताया गया है. पर, जिला प्रशासन द्वारा सरकार को भेजी रिपोर्ट में ढाला खुला हुआ था. ऐसे में सवाल उठता है कि झूठ कौन बोल रहा है, रेलवे या जिला पुलिस-प्रशासन? बहरहाल, अब तक के तथ्यों के आधार पर रेलवे खुद ही अपने बुने जाल में फंसता नजर आ रहा है. ———————–प्रतिनिधि, खगड़ियाट्रेन व बाइक की टक्कर मामले में रेलवे व जिला पुलिस थाने में दर्ज प्राथमिकी में विरोधाभास से कई सवाल उठ खड़े हुए हैं. मुफस्सिल थाने में थानाध्यक्ष इरशाद आलम के बयान पर 15 नामजद व तीन-चार सौ अज्ञात के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गयी है. पुलिस के अनुसार घटना के बाद राजेश भगत व अन्य घायल को पुलिस की गाड़ी से इलाज के लिए सदर अस्पताल पहुंचाया गया. जहां से रेफर होने के बाद सरकारी एंबुलेंस से राजेश व अन्य को बेगूसराय स्थित निजी क्लीनिक में भरती करवाया गया, तो फिर राजेश आंदोलन में कैसे शामिल हो सकता है? बात सही भी है. घटना के बाद रेलवे ट्रैक जाम करने के दौरान जब राजेश को पुलिस ने ही अस्पताल में भरती करवाया, तो वह उसका नाम प्राथमिकी में कैसे डाल देती? इधर, रेलवे के सीनियर सेक्शन इंजीनियर अशोक कुमार के आवेदन पर आरपीएफ थाने में दर्ज प्राथमिकी में घायल राजेश कुमार ही अपने साथियों की मदद से रेलवे ट्रैक जाम करवाया था. इसके कारण करीब सात घंटे तक खगड़िया-मानसी रेलखंड पर परिचालन ठप रहा. लोगों का कहना है कि ऐसा कैसे हो सकता है? जब राजेश अस्पताल में था, तो रेलवे अधिकारी ने राजेश को जाम करते हुए कैसे देख लिया? आखिर पुलिस व रेलवे अधिकारी अलग-अलग चश्मे से पूरे घटनाक्रम को देख रहे थे क्या? इधर, राजेश की पत्नी कोमल ने कहा कि अपनी गलती छिपाने के लिए रेलवे उसके पति पर जो झूठी प्राथमिकी दर्ज करवायी है, इसका खामियाजा रेलवे को भुगतना होगा. जल्द ही सोनपुर मंडल के डीआरएम एमके अग्रवाल, सीनियर सेक्शन इंजीनियर सहित अन्य पर कोर्ट में मुकदमा किया जायेगा. दूसरी ओर घटना के बाद उपजे हालात की सरकार को भेजी गयी रिपोर्ट में घटना के वक्त ढाला खुला रहने की बात कही गयी है. एसडीओ व एसडीपीओ की संयुक्त रिपोर्ट में कहा गया है कि ढाला खुला रहने के कारण बेफिक्र होकर बाइक पर सवार राजेश अपने परिवार के साथ रेलवे लाइन पार करने लगा. इसी दौरान ट्रेन व बाइक में टक्कर हो गयी. इधर, घटना के बाद बिना जांच के ही डीआरएम द्वारा पूरे मामले में रेलवे को क्लीन चिट दिये जाने सहित रेलवे अधिकारी द्वारा घायल राजेश पर प्राथमिकी दर्ज किये जाने से मामला सुलझने की बजाय तूल पकड़ने की आशंका है.

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