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आधी आबादी की अनदेखी…ना बाबा ना0

आधी आबादी की अनदेखी…ना बाबा ना0चारों विधानसभा क्षेत्रों में ताज दिलाने में महिला वोटरों की भूमिका काफी अहम बीते लोकसभा व विधानसभा चुनाव में मतदान करने में पुरुषाें को पछाड़ चुकी हैं महिलाएं चुनाव में महिलाआें को रिझाने के लिए खड़े अधिकांश प्रत्याशी कर रहे हर तिकड़म चाराें विधानसभा क्षेत्र में खड़े कुल 48 प्रत्याशियों […]

आधी आबादी की अनदेखी…ना बाबा ना0चारों विधानसभा क्षेत्रों में ताज दिलाने में महिला वोटरों की भूमिका काफी अहम बीते लोकसभा व विधानसभा चुनाव में मतदान करने में पुरुषाें को पछाड़ चुकी हैं महिलाएं चुनाव में महिलाआें को रिझाने के लिए खड़े अधिकांश प्रत्याशी कर रहे हर तिकड़म चाराें विधानसभा क्षेत्र में खड़े कुल 48 प्रत्याशियों में महिलाओं की संख्या मात्र छह सीट की दौड़ में महिलाओं को रिझाने के लिये प्रत्याशी लगा रहे हाजिरी प्रतिनिधि, खगड़ियाअबकी चुनाव में आधी आबादी निर्णायक भूमिका में है. बीते लोकसभा व विधानसभा में वोट गिराने में महिलाआें की दिलचस्पी सहित आयी जागरूकता ने कई प्रत्याशियाें की नींद उड़ा दी है. जीत की दौड़ में शामिल नेता भी इससे वाकिफ हैं. सो महिला वोटराें को रिझाने के लिये हर तिकड़म आजमाये जा रहे हैं. रोज दरवाजे पर हाजिरी लगा कर सपने दिखाये जा रहे हैं. प्रचार वाहनाें से लेकर पोस्टराें तक में महिला वोटराें के महत्व की झलक मिल रही है. इधर मतदान करने में पुरुषाें को पछाड़ चुकीं महिलाओं द्वारा इस बार भी बंपर मतदान की उम्मीद जतायी जा रही है. ऐसे में जिनके पक्ष में आधी आबादी रहेगी, उनको जीत का सेहरा मिल सकता है. बता दें कि बीते लोकसभा व विधानसभा चुनाव में हुए मतदान में खगड़िया में पुरुषों को पीछे छोड़ते हुए मतदान करने में महिलाएं अव्वल रही हैं. बीते लोकसभा चुनाव की बात करें तो खगड़िया में हुए कुल 59.80 प्रतिशत मतदाताआें ने मतदान किया. इनमें पुरुषों के मुकाबले करीब दस फीसदी ज्यादा महिलाआें ने मतदान में भाग लिया. आंकड़ाें की बात करें तो पुरुष 55.71 प्रतिशत, तो महिलाएं 64.50 प्रतिशत रहीं. इसी तरह 2010 के विधानसभा चुनाव में कुल मतदान 57.20 प्रतिशत हुआ. इसमें पुरुष 53.50 प्रतिशत, तो महिलाओं के मतदान का प्रतिशत 61.44 रहा. इधर, अबकी खगड़िया के चाराें विधानसभा क्षेत्र में कुल 48 प्रत्याशियाें में से मात्र छह महिलाएं ही मैदान में हैं. इधर, चुनावी मौसम में एक बार फिर महिलाओं को अपने पक्ष में करने के लिए वादाें का पिटारा खोल दिया गया है. फिर किये जा रहे हवा-हवाई वादे नौकरी में आरक्षण, बेटियों की जिंदगी संवारने की योजना सहित कई लोक-लुभावन वादे कर नेताजी जाल फेंकने में लगे हुए हैं. लेकिन ये पब्लिक है. शायद इसका अंदाजा नेताजी को भी है. ऐसे में ऊंट किस करवट बैठता है यह खुलासा तो आठ नवंबर को मतगणना के बाद ही हो पायेगा. —–आधी आबादी को सिर्फ वोट बैंक समझने वाले नेताओं को मुंह की खानी पड़ सकती है. हर क्षेत्र में आये बदलाव के बीच महिलाओं ने भी जांच परख कर वोट करने का मन बनाया है. आधी आबादी का वोट जिसे एकमुश्त मिलेगा, उसकी किस्मत चमक सकती है. सिर्फ भाषणों में महिलाआें के उत्थान की बात कर आधी आबादी के चेहरे पर खुशी लाना संभव नहीं है. सुनीता देवी, बलुआही, खगड़िया.

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