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उरांव आदिवासी टोला का नहीं हो सका विकास

शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, पानी के लिए वर्षों से तरस रहे लोग कटिहार : जिला मुख्यालय से महज एक किलोमीटर की दूरी पर बसा नगर निगम क्षेत्र का वार्ड नंबर एक का आदिवासी उरांव टोला विकास के मामले में कोसों दूर है. इस टोला की आबादी लगभग एक हजार की है. यहां के लोग दैनिक मजदूरी […]

शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, पानी के लिए वर्षों से तरस रहे लोग

कटिहार : जिला मुख्यालय से महज एक किलोमीटर की दूरी पर बसा नगर निगम क्षेत्र का वार्ड नंबर एक का आदिवासी उरांव टोला विकास के मामले में कोसों दूर है.
इस टोला की आबादी लगभग एक हजार की है. यहां के लोग दैनिक मजदूरी कर अपना जीवन यापन करते हैं. अभी तक इस टोला के निवासी शहरी जीवन तो छोड़िये ग्रामीण जीवन भी ठीक से नहीं जी पा रहे हैं. इस टोला में सड़क, बिजली, स्वास्थ्य एवं शिक्षा के मामले में अभी भी पीछे है.
इस टोला के लोगों को पक्का मकान नसीब नहीं है. यहां के लोग स्वयं को ठगा महसूस करते हैं क्योंकि चुनाव के समय नेतागण विकास के सब्जबाग तो दिखाते हैं लेकिन चुनाव में जीत कर भूल जाते हैं. मंगलवार को प्रभात खबर ने उक्त टोला का जायजा लिया. इस टोला के नागरिकों का सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक विकास का आकलन किया.
शिक्षा और स्वास्थ्य का हाल बुरा
आदिवासी उरांव टोला में बच्चों की शिक्षा के मामले में एक आंगनबाड़ी तथा एक किलोमीटर दूर सरकारी विद्यालय स्थापित हैं. विद्यालय की दूरी काफी दूर होने की वजह से बच्चे पढ़ने नहीं जा पाते हैं. जिसके कारण बच्चों की पढ़ाई के प्रति कम लगाव है. जबकि स्वास्थ्य के मामले में कटिहार प्रखंड स्थित स्वास्थ्य केंद्र पर निर्भर है अन्यथा झोला छाप डॉक्टर के पास इलाज के लिए जाना मजबूरी है.
सड़क और बिजली भी बदहाल
इस टोला में मुख्य सड़क तक आने और जाने के लिए कच्ची सड़क एवं टूटा-फूटा ईंट सोलिंग सड़क मात्र है. वह भी बरसात के दिनों में उस वक्त व गली से पैदल चलना भी मुश्किल भरा होता है. हल्की सी बरसात होने पर कीचड़ व जलजमाव से लोगों को खासी परेशानी उठानी पड़ती है.
जबकि यहां बिजली का पोल और तार तो लगा है. किंतु वहां कहीं भी स्ट्रीट लाइट नहीं लगाया गया है. गरीबी व आर्थिक तंगी के कारण किसी-किसी के घर में ही विद्युत कनेक्शन रहने के कारण बिजली का लाभ मिलता है. शेष लोग आदिम युग में ही जीने को मजबूर हैं. इस टोला में कुटीर उद्योग का भी नामो-निशान नहीं है. यहां के लोग पढ़-लिख कर भी बेरोजगार है.
कहते हैं लोग
उरांव टोला निवासी मनोज हेंब्रम कहते हैं कि जब-जब चुनाव हुआ है. नेताओं द्वारा विकास की बात कही गयी, किंतु फिर इस दिशा में कोई पहल आज-तक नहीं हुई है.
अभिजीत मरंडी एवं रामू उरांव कहते हैं कि आज तक यहां के लोग कच्ची सड़क का उपयोग करने को विवश हैं. काशी उरांव एवं पंकज उरांव प्रशासन व सरकार के खिलाफ आक्रोश व्यक्त करते हुए कहते हैं कि सभी ने केवल ठगा है. जबकि लालू उरांव व रितलाल उरांव कहते हैं कि बच्चों की पढ़ाई-लिखाई नहीं के बराबर हो पाता है.
मनोज उरांव, पुनिया देवी एवं उर्मिला देवी कहती हैं कि हर तरह से यहां के लोग पिछड़े हैं. जिसे देखने वाला कोई नहीं है. सभी जनप्रतिनिधियों ने वोट बैंक के रूप में हमलोगों का इस्तेमाल किया है.

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