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संरक्षित वन क्षेत्र के लोगों को शस्त्र के लिए विभाग से लेना होगा एनओसी

डीएफओ ने वन अधिनियम के प्रावधानों को लागू करने के लिए डीएम को लिखा पत्र भभुआ नगर : जिले के संरक्षित वन प्रक्षेत्र के अंतर्गत आनेवाले 314 गांव के लोगों को अब शस्त्र लाइसेंस लेने या उसके नवीनीकरण के लिए वन विभाग से एनओसी लेना पड़ेगा. वन विभाग के अनुमति के बगैर संरक्षित वन प्रक्षेत्र […]

डीएफओ ने वन अधिनियम के प्रावधानों को लागू करने के लिए डीएम को लिखा पत्र
भभुआ नगर : जिले के संरक्षित वन प्रक्षेत्र के अंतर्गत आनेवाले 314 गांव के लोगों को अब शस्त्र लाइसेंस लेने या उसके नवीनीकरण के लिए वन विभाग से एनओसी लेना पड़ेगा. वन विभाग के अनुमति के बगैर संरक्षित वन प्रक्षेत्र में शस्त्र लेकर घूमना भी अपराध माना जायेगा.
इस दिशा में जिला शस्त्र दंडाधिकारी द्वारा जल्द कार्रवाई की जायेगी.
उल्लेखनीय है कि अब तक जिले में शस्त्रों का अनुज्ञप्ति व उनका नवीनीकरण बिना वन विभाग से एनओसी प्राप्त किये ही जिला पदाधिकारी सह जिला शस्त्र पदाधिकारी द्वारा किया जाता रहा है.
जबकि, जिला वन प्रमंडल पदाधिकारी सत्यजीत कुमार के अनुसार, संरक्षित वन प्रक्षेत्र में रहनेवाले ग्रामीणों को बगैर वन विभाग से एनओसी प्राप्त किये शस्त्र अनुज्ञप्ति देना अथवा शस्त्रों का नवीनीकरण करना वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम 1972 के धारा 34 के प्रावधानों के प्रतिकूल है.
गौरतलब है कि सघन वन क्षेत्र व वन्य प्राणियों के बहुलवाले इस क्षेत्र में तीन दशक पहले ही प्रतिबंधित क्षेत्र घोषित कर दिया गया था. लेकिन, तब जिला वन प्रमंडल नहीं होने से प्रतिबंध के प्रवाधान का सख्ती से पालन नहीं हो पा रहा था.
यहां तक कि 1993 में कैमूर वन प्रमंडल अलग बनाये जाने के बाद भी शस्त्रों की अनुज्ञप्ति या नवीनीकरण बिना वन विभाग के एनओसी किये जाने की पूर्व से चली आ रही प्रक्रिया ही प्रचलन में थी, जिसका खामियाजा सबसे अधिक वन विभाग को उठाना पड़ा है. वन प्रक्षेत्र में लोग बेधड़क असलहे के साथ प्रवेश कर जाते हैं. कई बार वन्य जीवों का शिकार भी किया जा चुका है. अब डीएफओ द्वारा वन अधिनियम के इन प्रावधानों को जिले में लागू करने के लिए डीएम को पत्र लिखा गया है.
दो तरह के वन प्रक्षेत्र
संरक्षित वन प्रक्षेत्र के अंतर्गत दो तरह के वन प्रक्षेत्र आते हैं. प्रथम वन प्रक्षेत्र का वह सघन इलाका जो अति संवेदनशील है. उसे सेंचुरी क्षेत्र के नाम से जाना जाता है. दूसरा क्षेत्र में सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर इको सेंसेटिव एरिया क्षेत्र को शामिल किया जाता है, जिसमें सेचुरी एरिया के सीमा से लगे आगे तक 10 किलोमीटर परिधि तक का क्षेत्र आता है.
इन संरक्षित क्षेत्रों में किसी तरह का अग्नेय शास्त्र ले जाना, खनन करना, ज्वलशील पदार्थों को ले जाना, वन जीवों की हत्या करना कानूनन अपराध के श्रेणी में आता है. बताया जाता है कि इको सेंसेटिव क्षेत्र में 190 व सेंचुरी क्षेत्र में अधौरा, चैनपुर व भगवानपुर प्रखंड के कुल 124 गांव आते हैं. भू-भाग के हिसाब से वन प्रक्षेत्र का 98 हजार 644 किलोमीटर एरिया सेंचुरी क्षेत्र में व 12 हजार 910 हेक्टेयर का क्षेत्र इको सेंसटिव क्षेत्र में आता है.
राजस्व क्षति का भी नुकसान उठा रहा वन विभाग
शस्त्र लाइसेंस अथवा नवीनीकरण के मामले में वन्य जीव संरक्षण अधिनियम का पालन नहीं होने से वन विभाग को राजस्व क्षति का भी नुकसान उठाना पड़ रहा है. एनओसी मामला नहीं लागू होने से वन विभाग को तीन स्तर से प्रभावित हो रहा है.
पहला वन विभाग के दागियों को भी शस्त्र लाइसेंस मिलने की संभावना, दूसरा वन क्षेत्र में शस्त्र ले कर बेधड़क प्रवेश व तीसरा राजस्व की क्षति. नये लाइसेंस व पुराने लाइसेंस के नवीनीकरण में जो शुल्क लगता है. वह भी विभाग को नहीं मिल पाता.
बोले डीएफओ
एनओसी लेने के लिए मुख्य वन प्राणी प्रतिपालक के नाम आवेदन देना होता है. लेकिन, अब यह अधिकार जिला वन प्रमंडल पदाधिकारी को दिया गया है. उन्होंने बताया कि एनओसी का मामूली शुल्क होता है. लेकिन, यह सरकारी राजस्व है, जो अब तक जिला वन प्रमंडल को कभी प्राप्त नहीं हुआ. प्रशासन के साथ बैठकों में इस मामले को भी उठाया जाता रहा है.
सत्यजीत कुमार, डीएफओ कैमूर
इको सेंसटिव क्षेत्र में आनेवाले गांव
प्रखंड संख्या
भगवानपुर 63
रामपुर 61
चैनपुर 50
चांद 16

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