10.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

नहीं लगे 15 फ्लोराइड ट्रीटमेंट प्लांट

निर्देश के बाद भी प्लांट के लिए नहीं की गयी जमीन चिह्नित भभुआ सदर : गरमी जैसे-जैसे विकराल रूप लेता जा रहा है, वैसे-वैसे जिले में पानी की समस्या भी लोगों के लिए परेशानी बनी हुई है. उस पर दूषित पेयजल व फ्लोराइडयुक्त पानी ने लोगों की समस्या को और बढ़ा दिया है. खासकर जिले […]

निर्देश के बाद भी प्लांट के लिए नहीं की गयी जमीन चिह्नित
भभुआ सदर : गरमी जैसे-जैसे विकराल रूप लेता जा रहा है, वैसे-वैसे जिले में पानी की समस्या भी लोगों के लिए परेशानी बनी हुई है. उस पर दूषित पेयजल व फ्लोराइडयुक्त पानी ने लोगों की समस्या को और बढ़ा दिया है. खासकर जिले के वैसे 60 गांव के हजारों लोग जहां आज भी शुद्ध पेयजल की जगह ग्रामवासी हड्डी के लिए घातक फ्लोराइडयुक्त पानी पीने को मजबूर हैं.
हालांकि, इन गांवों में से 15 फ्लोराइड प्रभावित गांवों का चयन कर फ्लोराइड ट्रीटमेंट प्लांट लगाये जाने की जिलास्तर पर कार्य योजना बनायी गयी थी. प्लांट के लिए सभी अंचलाधिकारियों को भूमि चिह्नित करने का निर्देश भी मिला था, लेकिन आज तक न तो सीओ जगह चिह्नित कर सके और न ही इन गांवों को जल प्रदूषण से बचाने के लिए विभागीय अधिकारी ही तत्पर दिखे. हालांकि, इस योजना से पहले फ्लोराइड से निबटने के लिए लगभग आठ वर्ष पहले यूनिसेफ संस्था द्वारा सरकारी स्कूलों में फ्लोराइड वाटर कीट उपलब्ध कराये गये थे, जिसमें पीएचइडी ने कुछ कीट चापाकलों में लगाया भी था.
सबसे अधिक फ्लोराइड प्रभावित रामपुर का झाली गांव: कैमूर जिले में वैसे तो फ्लोराइड से प्रभावित 60 गांव है. लेकिन, फ्लोराइड से सबसे अधिक प्रभावित रामपुर प्रखंड का झाली गांव बताया जाता है. इस गांव के पानी में फ्लोराइड की मात्रा 3.0 है. जबकि, इसी प्रखंड के नौहट्टा गांव में इसकी मात्रा 2.50 है.
इसी प्रकार भभुआ प्रखंड के दुमदुम, भगवानपुर के सरैया, चैनपुर के सिरसी, रामपुर के खरेंदा में फ्लोराइड की मात्रा 2.0 और इसके कुछ अधिक है. सबसे कम फ्लोराइड की मात्रा बेलांव में 1.50 है. पीएचइडी के अधिकारी बताते हैं कि इन सभी 60 गांवों में फ्लोराइड की मानक मात्रा 1.50 से अधिक है.
फ्लोराइड मिले पानी से क्या है नुकसान: फ्लोराइड मिले पानी पीने से कई प्रकार की बीमारियां लोगों में फैलती है. पीएचइडी में लैब टेक्नीशियन रमेश कुमार बताते हैं कि दूषित जल के सेवन से सबसे घातक प्रभाव हड्डियों पर पड़ता है. इसके लगातार सेवन से शरीर की हड्डियां धीरे-धीरे टेढ़ी होने लगती है.
कभी-कभी यह धनुषाकार भी हो सकता है. इसके अलावे इसका असर दांतों पर भी होता है. इसके असर से दांतों में क्षरण शुरू हो जाता है और दांत जल्द ही कमजोर पड़ जाते हैं. इस पर पीली परत चढ़ने लगती है. लैब टेक्नीशियन का कहना था कि इससे बचने के लिए लगाये गये हैंडपंपों में फ्लोराइड ट्रीटमेंट कीट लगाया जाना जरूरी है. इसके अलावे पानी को उबाल व छान कर भी पिया जा सकता है. साथ ही विटामिन से युक्त खाद्य पदार्थ जैसे नींबू, संतरा आदि का अधिक से अधिक प्रयोग करना चाहिए.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें