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दिल के बाजार में दौलत नहीं देखी जाती, प्यार में सूरत..

कर्मनाशा : ‘ वतन परस्तों को मेरा सलाम लिख देना, शाहिदी धरती का सच्च पयाम लिख देना, लड़ा रहे हैं जो कुरसी के खातिर जनता को, वतन के दुश्मनों में उनका नाम लिख देना’ रविवार की शाम कवि मिथिलेश गहमरी ने यह पैगाम लोगों को देकर अपनी रचनाओं से कई प्रेरणा दीं. मां कुलेश्वरी महोत्सव […]

कर्मनाशा : ‘ वतन परस्तों को मेरा सलाम लिख देना, शाहिदी धरती का सच्च पयाम लिख देना, लड़ा रहे हैं जो कुरसी के खातिर जनता को, वतन के दुश्मनों में उनका नाम लिख देना’ रविवार की शाम कवि मिथिलेश गहमरी ने यह पैगाम लोगों को देकर अपनी रचनाओं से कई प्रेरणा दीं. मां कुलेश्वरी महोत्सव के अंतिम दिन कवि सम्मेलन का आयोजन किया.
समारोह में तय कार्यक्रम के अनुसार कवियों ने विधिवत मंच संभाल लिया. मंच पर कवियों के आते ही आयोजन समिति के लोगों ने उन्हें स्मृति चिह्न् व अंग वस्त्र देकर सम्मानित किया.
इसके बाद रात भर लोगों ने एक से बढ़ कर एक रचनाओं का लुत्फ उठाया. कवियों ने व्यंग्य, हास्य व गजल पढ़ कर राजनीति, नेताओं व पुलिस प्रशासन पर खूब प्रहार किया. साथ ही देश की आजादी के लिए मर-मिटने वालों को भी बखूबी याद किया.
दर्शकों ने रातभर तालियों की गड़गड़ाहट के साथ कवियों का भरपूर सम्मान किया. कवयित्री विभा सिंह ने कहा ‘दिल के बाजार में दौलत नहीं देखी जाती, प्यार होता है तो सूरत नहीं देखी जाती’. फारुख सरियाबी ने कहा ‘उनकी इज्जत खुदा दुनिया में बढ़ा देता है, जो वतन के लिए सर अपना कटा देते हैं’, ‘ऐसे लोगों से से हरगिज कभी न रिश्ता रखना, अम्ल के शहर में जो आग लगा देते हैं’. कवयित्री रंजना ने कहा कि ‘न ही राधा कहीं मिलती, न अब घनश्याम होते हैं, दशा दिल में दिया तो फिर बदनाम होते हैं’.
कवि सम्मेलन का उद्घाटन प्रखंड प्रमुख छविलाल राम व अन्य गण्यमान्य ने दीप प्रज्वलित कर किया.इसके बाद कवयित्री विभा सिंह ने ‘वीणा वाली जननी भवनी, मां द्वार तेरी बेटी आयी है’ वंदना से कार्यक्रम की शुरुआत की.
कवि शेष नाथ शरद, चंचल रत्नेश, डॉ जाफर, कुमार प्रवीण, लोकनाथ तिवारी, नागेश शांडिल्य, सिपाही पांडेय व धर्म प्रकाश आदि ने भी अपनी रचनाओं से लोगों का दिल जीत लिया. कार्यक्रम की अध्यक्षता शेषनाथ शरद व मिथिलेश गहमरी ने किया. इस दौरान सुजीत सिंह, उमाशंकर सिंह, वीरेंद्र सिंह, अशोक सिंह व दारा सिंह आदि उपस्थित थे.

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