ग्रामसभा. बदनामी से बचने को ‘बभना’ गांव ने लिया संकल्प, नहीं िबकेगी शराब
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न खुद पीयेंगे, न िकसी को पीने देंगे
ग्रामसभा. बदनामी से बचने को ‘बभना’ गांव ने लिया संकल्प, नहीं िबकेगी शराब शराबबंदी के आठ महीने बाद भी शराब के लिए कुख्यात हो चुके बभना गांव ने मिल बैठ कर एक ऐतिहासिक निर्णय लिया है. एक बड़े समूह ने गांव की हो रही बदनामी से बचने के लिए दृढ़ संकल्प लिया है. लोगों ने […]
शराबबंदी के आठ महीने बाद भी शराब के लिए कुख्यात हो चुके बभना गांव ने मिल बैठ कर एक ऐतिहासिक निर्णय लिया है. एक बड़े समूह ने गांव की हो रही बदनामी से बचने के लिए दृढ़ संकल्प लिया है. लोगों ने कहा अब नहीं होगा गांव का नाम बदनाम, चाहे कुछ भी कर गुजरना पड़े, अब हम नहीं पीयेंगे, न पिलाएंगें, और चोरी-छिपे भी नहीं बिकेगी गांव में शराब…
जहानाबाद : कहने को तो बभना से ही शहर की शुरुआत होती है, लेकिन इसकी भौगोलिक स्थिति गांव जैसी ही है. शहरी क्षेत्र का हिस्सा कहे जाने वाला बभना की बदनामी से हर शख्स वाकिफ है. लोग कहते हैं कि यहां शराबबंदी के पूर्व से ही शराब का कुटीर उद्योग चला करता था, लेकिन सीएम के फैसले के बाद उद्योग तो खत्म हुआ मगर चोरी-छिपे शराब बिकती रही. खासकर इन दिनों बभना की बदनामी कुछ ज्यादा ही हो रही थी. गांव के लोगों को उनके हित-रिश्तेदारों द्वारा भी बात-बात पर कोसा जा रहा था. शराबबंदी के आठ महीने बाद भी मांझी परिवार का एक बड़ा तबका निठल्ले से शराब बेचने के धंधे में मशगूल था.
शाम ढलते ही चोरी-छिपे शराब पीने और पिलाने वालों की तादाद अचानक बढ़ जाती थी. देर रात तक गांव के गलियारों में कौतूहल मचा रहता था, जिससे गांव वाले आजिज हो चुके हैं. जद्दोजहद के बाद सहमति बनी लोगों ने मंगलवार की सुबह देवी स्थान के प्रांगण में एक बड़ा संकल्प लिया. जिसके गवाह नगर थाने के थानेदार भी बने. सैकड़ों की संख्या में जुटे गांव का हर तबका प्रांगण में मौजूद दिखा. सीएम के शराबबंदी फैसले का स्वागत करते हुए गांव ने एक स्वर में कहा कि अब हम बदल कर रख देंगे गांव की पहचान.
कोई नहीं कहेगा कि बभना में बिकती है शराब. चोरी-छिपे भी जो शराब बेचेगा अब उसकी खैर नहीं… छापेमारी के बाद भी शराब बेचने की सूचना पर पुलिस भी लगातार गांव के कई घरों में छापेमारी कर दोषी लोगों को जेल भेजती रही. कई बार पुलिस को शराब के तस्करों का सामना भी करना पड़ा. रोड़ेबाजी भी हुई, दारोगा जी घायल भी हुए फिर दोषी लोग जेल भेजे गये. बावजूद नहीं बदल रहा था इनका मन-मिजाज. अब जन चेतना का अलख जगा कर इसी गांव के लोगों ने शराबबंदी का समर्थन करने की ठानी है. ग्राम सभा में पहुंचे लोगों ने नयी पीढ़ियों को शराब की लत से बचाने का भी संकल्प लिया है. बभना के वार्ड पार्षद राजेश कुमार, रामजन्म सिंह, सकल यादव, धनंजय शर्मा, अखिलेश प्रसाद, प्रेम कुमार, लाल बाबू, शिव पूजन मांझी एवं उदय पासवान समेत सैकड़ों लोगों ने कहा कि इन दिनों गांव की कुछ ज्यादा ही बदनामी होने लगी थी. हर जगह शराब बंद है और यहां लोग स्काॅर्पियो से देर रात महुआ की देशी शराब पीने गांव की गलियों में पहुंचा करते थे.
जिससे गांव ऊब चुका था. बस पुलिस प्रशासन हमारी मुहिम को सपोर्ट करे तो हम एक नया इतिहास रच देंगे. गांव वालों ने नगर कोतवाल से भी प्रतिदिन पुलिस गश्ती लगाने, सूचना के तुरंत बाद संभावित ठिकानों पर छापेमारी करने और सुबह-शाम पुलिस की उपस्थिति दर्ज करा भय का माहौल पैदा करने का समर्थन मांगा है. ताकि शराब की कुरीतियों से हमारा गांव निबट सके. बदनामी के बोझ से उबर सके.
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