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सिमट गयी सड़क, बढ़ा जोखिम

जहानाबाद : काको मोड़ बस पड़ाव से लगातार कोर्ट एरिया तक के इलाके का अतिक्रमण कर लिया गया है. कोई भी ऐसा स्थान नहीं जहां की सरकारी जमीन को छोटे -बड़े कारोबारियों के द्वारा कब्जा न लिया गया हो. कहीं होटल चलाया जा रहा है तो कहीं गैरेज /गुमटी ठेले की भरमार तो है ही […]

जहानाबाद : काको मोड़ बस पड़ाव से लगातार कोर्ट एरिया तक के इलाके का अतिक्रमण कर लिया गया है. कोई भी ऐसा स्थान नहीं जहां की सरकारी जमीन को छोटे -बड़े कारोबारियों के द्वारा कब्जा न लिया गया हो. कहीं होटल चलाया जा रहा है तो कहीं गैरेज /गुमटी ठेले की भरमार तो है ही फुटपाथ पर लकड़ी छड़, सीमेंट ,स्टोन चिप्स (गिट्टी) बेचे जा रहे हैं और तो और फुटपाथ पर मरीजों का खुलेआम इलाज हो रहा है.

एनएच पर कटते हैं बकरे : जहानाबाद रेलवे स्टेशन परिसर से जैसे ही एनएच 83 पर लोग कदम रखते है तो उसे रक्तपात का दृश्य देखना पड़ता है.फुटपाथ पर लगातार 20 ऐसी दुकानें चल रही है जहां बकरे मुर्गे का मछलियां धड़ल्ले से काटे जाते हैं. सुबह से लेकर रात 8 बजे तक ऐसी स्थिति बनी रहती है.
आस पास के वैसे लोग जिन्हें ऐसा दृश्य नागवार गुजरता है वो कहते हैं कि इसमें नगर परिषद का वरदहस्त मांसहारी कारोबारियों को है. इसके अलावा सड़क पर सब्जी बेचने का धंधा तो बेखौफ हो रहा है.
ऊंटा से अरवल मोड़ तक समस्या विकट : इस क्षेत्र में एक -दो नहीं बल्कि सैकड़ो दुकानें ऐसी है जिसके संचालक सरकारी जमीन को कब्जे मंे रखें हुए हैं. फुटपाथ का तो बजूद दिखता ही नहीं है. इस इलाके में ज्यादातर गैरेजो की संख्या है.
उनके सामने से फुटपाथ ढ़क चुका है लोग सड़क पर सहम-सहम कर चलने को विवश है.तेज रफ्तार में चलने वाले बाइक ,टेम्पो से धक्का लगने को लेकर राहगीर सशंकित रहते हैं. अरवल मोड़ के आस-पास का इलाका सर्वाधिक प्रभावित है. सड़क किनारे मकान निर्माण सामग्री गिराकर धंधा किया जा रहा है. बहुतायत संख्या में सब्जी के कारोबारी हैं. सड़क संकीर्ण कर दिए जाने से यहां पर रोज रूक-रूक कर जाम लगते रहता है.
अस्पताल मोड़ पर तीन तरफ से दबाव : सदर अस्पताल के मुख्य द्वार के बाहर निकलते ही नजारा अजीव दिखता है. यहां पर फुटपाथ को तो किचेन बना दिया गया है. उपर से सड़क पर कुर्सियां बिछाकर ग्रहाकों को खाना खिलाया जाता है. इसके अलावा आलू और लकड़ी के कारोबारी अतिक्रमण को बेखौफ बढ़ावा दे रहे हैं.
अस्पताल मोड़ पर प्रतिदिन सड़क के फुटपाथ पर मरीजो का इलाज होते देखा जा सकता है. अस्पताल मोड़ से पूरब मेन बाजार रोड़ की सड़क दोनों तरफ फुटपाथी दुकानदारों के कब्जे में रहती है.
नियामक इकाई की कथनी-करनी में फर्क :
शहर को अतिक्रमण से मुक्त करा लोगों को आवागमन की दिशा में राहत देने के लिए प्रशासन बीच में सजग हुआ था. नगर परिषद के अधिकारी इस मामले में कार्रवाई करने की अपनी योजना बनायी थी. अतिक्रमणकारियों को चार दिनों की मोहलत दी गईथी. लाउडस्पीकर से अतिक्रमण हटाने की चेतावनी दी गई थी. एसडीओ ने सड़क पर सब्जी बेचने वालों को 24 घंटे का समय दिया था. चेतावनी दी गयी थी. सड़क पर सब्जी नहीं बेचें बर्ना कार्रवाई होगी. ये सभी प्रशासनिक चेतावनी ढ़ाक के तीन पात साबित हो रहे है. अतिक्रमण हटाने की दिशा में कोई सार्थक कार्रवाई नहीं हो रही है.
क्या कहते हैं अधिकारी
अतिक्रमण हटाने के लिए जिला प्रशासन से पुलिस बल की मांग की गई है. प्रशासन द्वारा पुलिस बल उपलब्ध होते ही अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाया जायेगा. अतिक्रमणकारियों को अवैध कब्जा हटाने की चेतावनी दी गई है. -संजीव कुमार, कार्यपालक पदाधिकारी, नगर पर्षद .

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