खैरा : राज्य सरकार सुबे में स्वास्थ्य सेवा सुलभ कराने को लेकर लाखों रुपए खर्च कर रही है. इसके बावजूद ग्रामीण इलाकों के सरकारी अस्पतालों में डॉक्टर और कर्मचारियों का अभाव के कारण आम लोगों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है. स्थानीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर मात्र तीन डॉक्टरों के सहारे सातों दिन 24 घंटे सेवाएं ली जा रही हैं.
स्वास्थ्य केंद्र पर महिला चिकित्सक के नहीं रहने के कारण महिला रोगियों को प्रतिदिन परेशानियों का सामना करना पड़ता है. अस्पताल में ऑपरेशन थिएटर तो है लेकिन कोई टेक्नीशियन के नहीं होने के कारण सर्जरी करने में भी काफी परेशानियां आती हैं. वही लैब टेक्निशन नहीं होने के कारण यूरिन टेस्ट, ब्लड टेस्ट आदी करने के लिए टीबी लैब टेक्नीशियन का सहारा लेना पड़ता है. अस्पताल में ड्रेसर नहीं होने के कारण घायल रोगियों को ड्रेसिंग करने के समय उहापोह की स्थिति बन जाती है. प्रसुतियों के लिए अस्पताल में तैनात एएनएम व चतुर्वर्गीय कर्मचारियों से ड्रेसिंग का काम लिया जाता है.
बताते चलें कि उक्त अस्पताल पर 22 पंचायतों का बोझ होने के कारण प्रतिमाह यहां औसतन मरीजों की संख्या 3 से 4 हजार तक होती हैं. जिनको आए दिन सब प्रकार की समस्याओं से रूबरू होना पड़ता है.