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होमियोपैथ दवा की बोतल में मंगाया जाता था केमिकल

खजूरबानी से बरामद की गयी बोतल का लेबल निकली फर्जी कोलकाता के जिस स्थल पर कंपनी बतायी गयी वह नहीं मिली गोपालगंज : खजूरबानी शराबकांड में फिर एक चौंकाने वाली बात सामने आयी है. बिहार में पूर्ण शराबबंदी के बाद यहां शराब बनाने का केमिकल आसानी से उपलब्ध नहीं हो पा रहा था. इसके लिए […]

खजूरबानी से बरामद की गयी बोतल का लेबल निकली फर्जी

कोलकाता के जिस स्थल पर कंपनी बतायी गयी वह नहीं मिली
गोपालगंज : खजूरबानी शराबकांड में फिर एक चौंकाने वाली बात सामने आयी है. बिहार में पूर्ण शराबबंदी के बाद यहां शराब बनाने का केमिकल आसानी से उपलब्ध नहीं हो पा रहा था. इसके लिए आसान उपाय कारोबारियों ने ढूंढ़ निकाला था. जानकारों का मानना है कि होमियोपैथ की बोतल में केमिकल को आसानी से मंगाया जाता था. आम तौर पर जांच में होमियोपैथ की दवा होने से कोई शक नहीं कर पाता. बता दें कि 16 अगस्त की रात में जब पुलिस छापेमारी करने पहुंची,
तो खजूरबानी से थूजा-30 होमियोपैथ की दवा की खाली बोतल बरामद की गयी, जबकि 20 अगस्त को पुन: उत्पाद विभाग की टीम ने लाल बाबू पासी के घर के पास से जसटिसिया-30 की बोतल बरामद की. होमियोपैथ की इन दवाओं पर पश्चिम बंगाल के फर्जी पते का लेवल लगा हुआ था. इसकी जांच के लिए उत्पाद विभाग की टीम कोलकाता पहुंची, तो पूरा मामला ही फर्जी निकला.
जानकारों ने बताया कि नशा करने के लिए बनायी जानेवाली शराब में मिथाइल अल्कोहल जैसे पदार्थ का उपयोग किया जाता था. इसे आसानी से खजूरबानी तक पहुंचाने के लिए होमियोपैथ की दवा और बोतल का उपयोग किया जाता था, ताकि पुलिस से लेकर उत्पाद विभाग की आंखों में धूल झोंकी जा सके. उत्पाद विभाग एवं ड्रग विभाग की टीम जिले की कई दवा दुकानों पर छापेमारी कर जांच कर चुकी है. जांच में इन दवाओं का कोई ताल्लुक गोपालगंज की दुकानों से नहीं मिला है.

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