अहंकार मानव का सबसे बड़ा शत्रु : विवेकानंद

पंचदेवरी. अहंकार मानव का सबसे बड़ा शत्रु है. इससे ग्रसित मनुष्य को यह समझ में नहीं आता कि वह सही कर रहा है या गलत. अहंकार मनुष्य को विनाश की ओर अग्रसर करता है. अहंकारी मनुष्य चाहे कितना भी बड़ा क्यों ना हो, उसका विनाश निश्चित है. उक्त बातें कटेया प्रखंड के बगही बाजार में […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 26, 2015 8:04 PM

पंचदेवरी. अहंकार मानव का सबसे बड़ा शत्रु है. इससे ग्रसित मनुष्य को यह समझ में नहीं आता कि वह सही कर रहा है या गलत. अहंकार मनुष्य को विनाश की ओर अग्रसर करता है. अहंकारी मनुष्य चाहे कितना भी बड़ा क्यों ना हो, उसका विनाश निश्चित है. उक्त बातें कटेया प्रखंड के बगही बाजार में चल रहे पावन प्रज्ञा पुराण कथा एवं नौ कुंडीय गायत्री महायज्ञ में शांतिकुंज हरिद्वार से आये प्रख्यात प्रवचनकर्ता महाराज विवेकानंद जी ने कहीं. उन्होंने कहा कि कर्म से बढ़ कर कोई पूजा नहीं होती. कर्म का फल मनुष्य को इसी जन्म में भुगतना पड़ता है. इसलिए फल को ध्यान में रख कर ही कर्म के प्रति कदम बढ़ाना चाहिए. 21 मई से चल रहे इस महायज्ञ में नवनिर्मित मंदिर में हनुमान मूर्ति की प्राणप्रतिष्ठा भी करायी गयी. यज्ञ में काशीनाथ गुप्त, बजरंग सिंह, रामचंद्र सिंह, गोरखनाथ सिंह, रामअवध शर्मा आदि सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं.