गोपालगंज : सखी व सहेली के नाम पर कहीं फर्जीवाड़ा तो नहीं. पंचायत में मुखिया के स्तर पर सखी और सहेली की बहाली की प्रक्रिया इन दिनों तेज हो गयी है. आवेदन के नाम पर अभी से ही पंचायतों में नियुक्ति की तैयारी भी सेटिंग-गेटिंग के साथ आरंभ हो गयी है
बताते चलें कि राष्ट्रीय ग्रामीण शिक्षा परिषद, नयी दिल्ली की तरफ से सखी और सहेली दो पद के लिए आवेदन मुखिया के माध्यम से मांगा गया है. राष्ट्रीय ग्रामीण शिक्षा परिषद क्या है-आवेदन देख कर पता नहीं चलता. इसकी कोई अपनी वेबसाइट भी नहीं है. यहां तक की संस्थान का रजिस्ट्रेशन नंबर भी दर्ज नहीं है, जबकि 16 हजार सात सौ पदों पर नियुक्ति की बात कही गयी है.
प्रत्येक पांच सौ की आबादी पर एक सखी और एक सहेली की नियुक्ति की जानी है. सखी पद के लिए 6200 तथा सहेली के लिए चार हजार सात सौ रुपये मानदेय निर्धारित है. इसके लिए 350 रुपये का बैंक ड्राफ्ट आवेदन के साथ मांगा गया है, जबकि 200 रुपये का डीडी दलित-महादलित से मांगा गया है. सखी के लिए इंटर तथा सहेली के लिए मैट्रिक पास होना अनिवार्य है.
नियुक्ति पर सवाल उठाते हुए मांझा प्रखंड मुखिया संघ के अध्यक्ष राधा रमण मिश्र ने डीएम को आवेदन देकर पूरे मामले की नियुक्ति की जांच कर कार्रवाई की मांग की है. मुखिया ने कहा है कि न तो किसी अखबार में इसका विज्ञान प्रकाशित हुआ और नहीं यह संस्था कही रजिस्ट्र्ड है. ऐसी स्थिति में बड़े पैमाने पर जिले के भोले-भाले परिवार खास कर महिला अभ्यर्थियों के साथ धोखाधड़ी की जा रही है.
* महिलाओं को नौकरी देने के नाम पर हो रहा धोखा
* राष्ट्रीय ग्रामीण शिक्षा परिषद के नाम पर की जा रही गड़बड़ी
* 350 रुपये का डीडी मांगा जा रहा आवेदन के साथ
* ऊहापोह में पड़े हैं जिले के अधिकांश मुखिया
– एक मुखिया ने सखी और सहेली के नाम पर आपत्ति जतायी है. इस मामले की जांच करायी जा रही है. जांच रिपोर्ट आने तक आम लोगों को भी इंतजार करना होगा कि संस्था सही है या फर्जी.
कृष्ण मोहन, डीएम