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हाथ में पैसे नहीं, कैसे करूं बेटी के हाथ पीले

गया: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 500 व 1000 रुपये का नोट बंद करने की घोषणा को लोगों ने सराहा तो है, लेकिन यह कड़वी दवाई कइयों के लिए मुसीबत लाने वाली साबित हो रही है. शादी का सीजन होने के कारण शादी-विवाह में उपयोग आनेवाले जरूरत के सामान की खरीदारी में लोगों को ठंड के […]

गया: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 500 व 1000 रुपये का नोट बंद करने की घोषणा को लोगों ने सराहा तो है, लेकिन यह कड़वी दवाई कइयों के लिए मुसीबत लाने वाली साबित हो रही है. शादी का सीजन होने के कारण शादी-विवाह में उपयोग आनेवाले जरूरत के सामान की खरीदारी में लोगों को ठंड के महीने में भी पसीने छूट रहे हैं.
दुल्हन पर तो जैसे शामत ही आ गयी है. ऐसी ही एक दुल्हन की मां ने नोटों की समस्या को लेकर डीएम कुमार के दफ्तर पहुंच गयी. डुमरिया थाने के पोखरपुर गांव की रहनेवाली विधवा (शारीरिक शिक्षक श्याम बिहारी प्रसाद सिंह की पत्नी) मीनू कुमारी की एक ही फरियाद थी कि रुपये निकासी में उसकी मदद की जाये ताकि 16 नवंबर को बेटी का तिलक चढ़ाया जा सके. हालांकि डीएम के सुरक्षाकर्मियों ने विधवा को समझा-बुझा कर वहां से चलता कर दिया. सुरक्षाकर्मियों ने विधवा से कहा कि 500 व 1000 रुपये के नोट के बंद होने से सभी लोगों को परेशानी हो रही है. इसमें डीएम साहेब क्या करेंगे? विधवा ने सुरक्षाकर्मियों से कहा कि मैं डीएम से मिलकर अपनी समस्या सुनाऊंगी, ताकि डीएम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास उक्त समस्या से संबंधित पत्राचार कर सकें, हो सकता है, इसका कोई निदान निकल सके.
21 को होनी है बेटी की शादी : विधवा ने कहा कि कई वर्ष पहले उनके पति श्याम बिहारी प्रसाद सिंह की मौत हो चुकी थी. उसकी बेटी डॉली की शादी 21 नवंबर को इमामगंज थाने के पथरा गांव के रहनेवाले कृष्णदेव प्रसाद के बेटे मनोज कुमार से होना तय हुआ है. 16 नवंबर को तिलक का कार्यक्रम निर्धारित किया गया है. पति की मौत के बाद संबंधित विभाग द्वारा मिले रुपये बैंक खाते में जमा हैं. अचानक 500 व 1000 रुपये का नोट बंद कर दिया गया है और बैंक खाते से निकासी की रकम निर्धारित कर दी गयी है जिससे समस्या आ रही है. विधवा ने डीएम को बताया कि एक सप्ताह में उससे ज्यादा रुपये बैंक खाते से निकाल नहीं सकती हूं. बरातियों के खाने-पीने से संबंधित कामकाज से जुड़ी एजेंसी को 20 हजार रुपये देने हैं. सैकड़ों लीटर दूध की आपूर्ति को लेकर दूध विक्रेता को 20 हजार रुपये का भुगतान करना है. इसके अतिरिक्त और भी कई कामों के लिए रुपये की जरूरत है. उसने कहा कि शनिवार तक 20 हजार रुपये की निकासी चेक के माध्यम से की थी. रविवार को दिन भर लाइन में खड़ी रही, लेकिन रुपयों की निकासी नहीं हो सकी. सोमवार की सुबह भी लाइन में खड़ी रही लेकिन बैंक की तरफ से कहा गया कि रुपयों की निकासी नहीं हो सकती है.
समझा-बुझा कर डीएम ने भी विधवा को चलाया: विधवा ने डीएम से गुहार लगायी कि बहुत उम्मीद लेकर वह उनके पास आयी है. उसने डीएम से उसकी गुहार पीएम तक पहुंचाने की अपील की. डीएम ने बड़ी शालीनता से विधवा की शिकायतें सुनीं और कहा कि रुपयों की निकासी में संबंधित वित्त मंत्रालय द्वारा लागू किये गये नियमों का ही पालन करना है. हम (डीएम) हो या बैंक अधिकारी, इसमें कोई कुछ नहीं कर सकता है. बेटी की शादी है. स्वाभाविक है कि सामान की खरीदारी को लेकर रुपयों की आवश्यकता होगी, लेकिन हम सभी नियमों के आगे मजबूर हैं. आप खुद इसमें कुछ प्लानिंग करें और सोचें कि इसका रास्ता कैसे निकलेगा. अपने रिश्तेदारों से मदद लें. नकदी रुपये खर्च करने के बजाय चेक के माध्यम से खर्च करें. सरकार की योजना का सफल बनाने में आप सहयोग करें. विधवा ने डीएम को कहा कि सर, सरकार की योजना सही है, लेकिन इस योजना को लागू करने के पहले लोगों को होनेवाली तरह-तरह की परेशानियों को दूर करने से संबंधित उपाय खोज लिये जाते.
दिसंबर में है बहन की शादी, हाथ में कौड़ी नहीं
शहर की इनायत कॉलोनी की रहनेवाली साला नाज ने बताया कि उनकी बहन की शादी दिसंबर महीने में होनी है, लेकिन प्रधानमंत्री के उटपटांग निर्णय से इतनी परेशानी हो रही है कि क्या बताऊं, समझ में नहीं आ रहा है. घर में शादी विवाह का माहौल है और हम सभी बहनें बैंकों में रुपयों की अदलाबदली व निकासी को लेकर दिन-दिन भर लाइन में खड़े रहते हैं. हर दिन सुबह उठते के साथ ही बैंक का चक्कर लगाने का सिलसिला शुरू हो गया है. बताइये, यह भी दिन देखने को मिल रहा है. साला नाज ने बताया कि 500 व 1000 रुपये के नोट बंद करने के पहले पूरा इंतजाम कर लेना चाहिए था, जिससे लोगों को कोई परेशानी नहीं होती. अब तो जिधर देखो, उधर रुपयों की अदलाबदली व निकासी को लेकर बैंकों के आसपास अफरातफरी मची है. बहन की शादी में आवश्यक सामानों की खरीदारी को लेकर रुपये चाहिए, लेकिन बैंक या एटीएम से उतने रुपयों की निकासी नहीं हो रही है. सरकार तो दिल्ली में बैठी है, सता में बैठे लोगों को क्या समझ में आयेगा कि नये कानून से लोगों को कैसी-कैसी परेशानियों से सामना करना पड़ेगा.

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