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कब बदलेंगे . स्कूल से भगा देते हैं मास्टर साहेब !
गया: बाबू हमारे बच्चे कैसे पढ़ेंगे, स्कूल जाने पर तो मास्टर साहेब उन्हें भगा देते हैं. दोबारा स्कूल भेजने पर हमारी जाति बताते हैं. पूछते हैं कि हमारे बच्चे पढ़-लिख कर क्या करेंगे. कुछ ऐसा ही कहना है पुलिस लाइन के पास स्लम एरिया में रहनेवाले कई परिवारों के मुखिया का. उनका कहना है कि […]
गया: बाबू हमारे बच्चे कैसे पढ़ेंगे, स्कूल जाने पर तो मास्टर साहेब उन्हें भगा देते हैं. दोबारा स्कूल भेजने पर हमारी जाति बताते हैं. पूछते हैं कि हमारे बच्चे पढ़-लिख कर क्या करेंगे. कुछ ऐसा ही कहना है पुलिस लाइन के पास स्लम एरिया में रहनेवाले कई परिवारों के मुखिया का. उनका कहना है कि सरकारी स्कूलों में उनके बच्चों के लिए जगह नहीं है, प्राइवेट में पढ़ाने के लिए उनके पास पैसे नहीं हैं. ऐसे में तो उनके बच्चे निरक्षर ही रह जायेंगे. यह चर्चा यों ही नहीं है. स्लम एरिया के बच्चे स्कूल जाने के समय या तो खेल रहे होते हैं या फिर घर के अन्य कामकाज में लगे होते हैं.
विकास के नाम पर कुछ नहीं: इस एरिया में सरकार ने 10 से 12 लोगों को आवास योजना के तहत मकान बना कर दिया है. इन मकानों में शौचालय व पानी की कोई व्यवस्था नहीं की गयी है. यहां के वासिंदे सड़क किनारे राइजिंग पाइप से पानी लेकर काम चलाते हैं. नाली का पानी सड़कों पर बहना व जगह-जगह कूड़ा-कचरा फैला होना कोई नयी बात नहीं है.
नाजायज कनेक्शन से पानी की सप्लाइ: निगम के अधिकारियों की मानें, तो दंडीबाग से सेंट्रल जेल तक स्लम एरिया के लोगों ने मेन पाइप से नाजायज तरीके से कनेक्शन ले लिया है. इस कारण सामान्य घरों में वैध तरीके से कनेक्शन लिये लोगों को पानी नहीं मिलता. निगम द्वारा स्लम एरिया में दो सामुदायिक शौचालय बनाने की योजना है. इसमें एक शौचालय बन कर तैयार हो गया है. बस, पानी की समस्या के कारण चालू नहीं किया जा सका है.
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