गया: जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन के तत्वावधान में काव्य चक्र के तहत नेचुरल कोचिंग सेंटर मानपुर, गया की बंधुआ शाखा में काव्य संध्या का आयोजन किया गया. अध्यक्षता सुरेंद्र सिंह सुरेंद्र ने की. संतोष कुमार क्रांति ने सरस्वती वंदना ‘वर दे वीणा वादिनी वर दे..’ से कार्यक्रम का शुभारंभ किया.
चंद्रदेव केसरी ने ‘ज्ञान अमृत पिलाई, अज्ञान हरि हो, ज्ञान गंगा बहाई जग उजियार करि हो’ से कार्यक्रम को आगे बढ़ाया. जयराम कुमार सत्यार्थी ने कहा ‘जिस तरह कर रहे हो पढ़ाई, जीत लोगे जीवन की लड़ाई’. राजेंद्र राज ने राम-रहीम को एक बताया, वहीं मुद्रिका सिंह ने नौजवानों को नशे से दूर रहने की अपील की. मुकेश कुमार सिन्हा ने ‘हर भारतवासी का यही अरमान हो, वैभवशाली भारत का निर्माण हो, न हो रंजिश, बंदिश, बैर, क्लेश, सदैव खिलखिलाता रहे मेरा देश’ से भारत माता का गुणगान किया.
संजय सहियावी ने कहा ‘माता लक्ष्मी दौड़ल अएथुन, पहिले सरस्वती के बोलाव’. संजीत कुमार ने ‘स्वर्ग से भी सुंदर कर दे मां, मेरी धरा यह जग सारा, जीवन में खुशियां भर दे मां, यह जीवन हो सुंदर प्यारा’ से मां सरस्वती से आरजू की. योगेश कुमार मिश्र ने ‘माघ हे वसंती देवी आ गइली हे सखि’ से रिझाया. राजीव रंजन ने ‘आज खग भी सुना रही स्वर लहरी, जैसे वसंत से हो उसकी प्रीत गहरी’ सुमंत ने अपनी हास्य कविता में कहा ‘अशिक्षा अभिशाप है, आप सभी मानते हैं, दर्द मेरे दिल का कहां कोई जानते हैं’. नवीन कुमार ने अपनी आदर्शवादी कविता के माध्यम से ईश्वर को सर्वोपरि माना. अरुण हरलीवाल ने शिक्षित बेरोजगारों पर व्यंग्य किया. सुरेंद्र सिंह सुरेंद्र ने अपनी कविता से सभी को साथ चलने की अपील की. इससे पहले अनुराग-अभिषेक ने आगत कवियों का स्वागत किया. अंत में समाजसेवी उपेंद्र सिंह ने कवियों, अतिथियों व उपस्थित बच्चों को धन्यवाद दिया.