नहीं होती पशुओं की जांच
प्रसनजीत
गया : अगर आप बाजार मीट (मांस) खरीदने जा रहे हैं, तो जरा सावधान हो जाइए. कहीं ऐसा न हो कि दुकानदार आपको किसी बीमार जानवर का मांस परोस दे. यकीन कीजिए, ऐसे मांस खाने से आप खतरनाक बीमारियों से ग्रसित भी हो सकते हैं.
यह जानलेवा भी साबित हो सकता है. क्योंकि, शहर में बिना जांच के ही मीट (मांस) बेचे जा रहे हैं, जबकि मीट बेचने के लिए काटे जाने वाले जानवर का एंटीमोर्टम या पोस्टमार्टम होना बहुत जरूरी है.
शहर में हजारों मीट की दुकानें हैं, लेकिन ये मीट कहां से ला कर बेचे जा रहे हैं. इसकी जानकारी न आपको है और न ही नगर निगम को. नगर निगम भी मीट बिक्री की कोई चेकिंग नहीं करता.
आपको बता दें कि निगम ही मांस की दुकानों का लाइसेंस जारी करता है व हर साल इसे रिन्यूवल भी करता है. जांच के दौरान मीट खराब पाये जाने पर कार्रवाई का भी प्रावधान है. लेकिन, सबसे बड़ी समस्या है कि निगम के पास स्वास्थ्य पदाधिकारी ही नहीं हैं. वर्षो से इस पद पर किसी डॉक्टर की नियुक्ति नहीं की गयी है.
कहां से आते हैं जानवर, जानकारी नहीं : शहर में मीट के लिए लाये जाने वाले जानवर कहां से आते हैं. इसकी कोई जानकारी निगम के पास नहीं है, जबकि आम दिनों व त्योहारों में हजारों की संख्या में जानवर शहर में लाये जाते हैं. दूसरी चीज गौर करनेवाली है कि सड़क के किनारे लगने वाली दुकानों में लाये गये जानवर सड़क के कचरों को चबाते दिखते हैं.