आधुनिकता के दौर में भी मिट्टी के दीये की डिमांड दीपावली पर बढ़ी दीपावली पर कुम्हारों की बढ़ी पूछ, खरीदारों की जुट रही भीड़ भभुआ (नगर). दीपों का महापर्व दीपावली में अब कुछ ही दिन शेष है. इसको लेकर आधुनिकता के दौर में भी भभुआवासी दीपावली पर घर-आंगन को रोशन करने के लिए झालर पट्टी लाइट से ज्यादा मिट्टी के दीये को महत्व दे रहे हैं. इसकी वजह से झालर लाइट पर मिट्टी के दीये भारी पड़ते दिख रहे हैं. हालांकि यह सोलह आने सच है कि आधुनिक परिवेश में आज हर लोग झंझट से दूर रहने यानी त्योहारों के अवसर पर भी परंपरागत व्यवस्था से दूर भाग रहे हैं, जिससे आधुनिक परिवेश के चलंत चायनीज लाइट झालर का प्रचलन रफ्तार पकड़ चुका है. लेकिन, इस परिवेश में आज भी परंपरागत व्यवस्था के डगर पर चलनेवालों की कमी नहीं है. इस वजह से दीपावली जैसे त्योहार में मिट्टी के दीये की पूछ कम नहीं दिख रही.त्योहार पर लोगों की सुनें प्रतिक्रिया प्रो0 भरत सिंह कहते हैं कि भले ही चाइनीज लाइट के प्रयोग का प्रचलन दीपावली पर बढ़ा है. परंतु मिट्टी के दीप की रोशनी से अतीत की झलक मिलती है.प्रदीप सिंह कहते हैं कि दीपावली पर घर-आंगन में अगर मिट्टी के दीये न जले तो आंगन की रौनक फिकी दिखती है.हीरा जायसवाल कहते हैं कि पिछले एक दो दशक से ही चाइनीज लाइट की पूछ झंझट से उबरने के लिए बढ़ी है. लेकिन, आज भी मिट्टी के दीप का वजूद मिटा नहीं है.अमित कुमार कहते हैं कि मिट्टी के दीप की पूछ दीपावली ही नहीं बल्कि हर पूजा पाठ के लिए जरूरी है, जिससे इसकी डिमांड आज भी है……………………फोटो…………….7.मिट्टी के दीयों से सजी दुकानें ……………………………….
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झालर लाइट पर मिट्टी के दीये आज भी भारी
आधुनिकता के दौर में भी मिट्टी के दीये की डिमांड दीपावली पर बढ़ी दीपावली पर कुम्हारों की बढ़ी पूछ, खरीदारों की जुट रही भीड़ भभुआ (नगर). दीपों का महापर्व दीपावली में अब कुछ ही दिन शेष है. इसको लेकर आधुनिकता के दौर में भी भभुआवासी दीपावली पर घर-आंगन को रोशन करने के लिए झालर पट्टी […]
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